कौन है स्वामीनारायण जिनके नाम से अक्षरधाम और भव्य मंदिर बने हुए है
Swami Narayan Biography in Hindi उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में जन्मा एक बच्चा बहुत ही रहस्मय और तेज बुद्धि का धनि था , यह बच्चा आगे चलकर स्वामी नारायण (સ્વામિનારાયણ ) कहलाया . इसी बालक ने स्वामीनारायण सम्प्रदाय को शुरू किया जिसके आपको बहुत से भव्य मंदिर भारत और भारत के बाहर दिखाई देते है .
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कहाँ हुआ था जन्म
स्वामी नारायण का जन्म अयोध्या धाम के पास 1781 में रामनवमी के दिन हुआ था . तारीख थी 3 अप्रैल 1781 . इन्हे सहजानंद स्वामी के नाम से भी जाना जाता है . इनके पिता का नाम श्री हरिप्रसाद और माता का नाम भक्तिदेवी था .
बच्चे के पैर में था कमल चिन्ह हाथ में पद्म
आप जान कर चौंक पड़ेंगे की बच्चे के पैर में कमल चिन्ह उभरे हुए थे , यही नही हाथ में विष्णु जी का पद्म चिन्ह उभरा हुआ था . यह बात सुनकर सब आश्चर्य में पड़ गये और मानने लगे कि यह बच्चा विलक्षण है और किसी देवता का ही अवतार है .
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बचपन में ही कर दिए बड़े काम
जब यह बच्चा पांच वर्ष का था तब से ही शास्त्रों का ज्ञान लेने गया . 8 साल का हुआ तब इसका जनेऊ संस्कार कर दिया गया . इसके बाद इसने भारत की यात्रा शुरू कर दी . यात्रा के दौरान बहुत से संतो से मिला और सब को अपने ज्ञान और शिक्षा से चौंका दिया .
नाम मिला नीलकंठवर्णी
जब यह बालक 11 वर्ष का हुआ तो इनके माता पिता का देहांत हो गया . इस बालक ने फिर पुरे विश्व को अपना परिवार मन लिया और फिर भारत के बहुत से राज्यों की यात्रा की . उनके ज्ञान और व्यवहार की ख्याति हर जगह फ़ैल रही थी . लोग उसके ज्ञान और शिक्षा के कारण उनके अनुचर बनने लगे . वे लोगो के बीच में एक भगवान का अवतार थे , उनकी बोली लोगो के मन को जीत लेती थी , धर्म के लिए और सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने बहुत से काम किये .
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बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था की स्थापना
भगवान स्वामीनारायण के तीसरे आध्यात्मिक उत्तराधिकारी शास्त्री जी महाराज ने 1907 में बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था की स्थापना की . इस संस्थान ने दुनिया भर में बहुत से भव्य स्वामीनारायण मंदिरों का निर्माण किया जिसमे आपको दिल्ली का अक्षरधाम , गुजरात का अक्षरधाम मिलता है . यह नही ऐसे इन्होने 1200 से ज्यादा मंदिरों का निर्माण करवाया है .
क्या है बीएपीएस BAPS
BAPS की फुल फॉर्म है -Bochasanwasi Shri Akshar Purushottam Swaminarayan Sansthan . बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था.
इस संस्था के लोगो में आप तिलक , ध्वजा और मंदिर को देखेंगे जो हिन्दू धर्म के मुख्य प्रतीक है .
जगमगाता और सुन्दरतम मंदिर , लहराता हिन्दू धर्म का धवज और शान बढाता यह तिलक हिन्दुत्व का प्रतिक है .
स्वामीनारायण किन किन कुरीतियों का विरोध किया
स्वामी नारायण उस समय फैली बहुत सी सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों का विरोध किया जो इस तरह है .
- स्वामी नारायण ने मांस , मदिरा और तामसिक भोजन खाने का विरोध किया , उन्होंने कहा की ये भोजन मनुष्य को दानव बनाते है और वैसा ही काम करवाते है .
- इन्होने नारियो के उत्थान के लिए सती प्रथा , कन्या भूर्ण हत्या , हिंसा का भी पुरजोर विरोध किया .
- इन्होने छोटे बच्चे बच्चियों के बाल विवाह को भी समाज में एक कलंक बताया .
- इन्होने पशु बलि , भूत प्रेत बाधा शिकार का भी विरोध किया जिसमे किसी भी पुरुष महिला को गाँवों में भुत प्रेत चुड़ैल बताकर अत्याचार किया जाता था .
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सारांश
- स्वामीनारायण सम्प्रदाय की स्थापना करने वाले स्वामी नारायण भगवान के बारे में आपने जाना जिनके बहुत से मंदिर आपको BAPS और अक्षरधाम नाम से मिल जायेंगे . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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