किस तिथि के  है कौनसे स्वामी देवी  देवता , जाने तिथि अनुसार पूजा  

Kis Tithi Ko Kounse Devta Ki Puja Archna Karni Chahiye . हिन्दू पंचांग में 30 पक्ष होते है जिन्हें हम तिथि के नाम से जानते है . इसमे 15 पक्ष शुक्ल तो 15 पक्ष कृष्ण के होते है . हर माह एक पूर्णिमा और अमावस्या भी आती है जो इन 30 पक्षों में शामिल है . जैसे हर वार के कोई देवी देवता होते है वैसे ही हर तिथि के भी कोई स्वामी देव है अत: हमें उक्त तिथि में उस देवता की पूजा अर्चना जरुर करनी चाहिए . चाहे तिथि शुक्ल पक्ष की हो या फिर कृष्ण पक्ष की वो स्वामी देवता वही रहेगा जैसे कृष्ण एकादशी और शुक्ल एकादशी दोनों तिथियाँ भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की होती है उसी तरह . 

किस तिथि पर किस देवता की पूजा

तो आइये जानते है कि किस तिथि को किस देवी देवता की पूजा अर्चना बताया गया है .

प्रतिपदा

यह प्रथम तिथि होती है , किसी भी माह की शुरुआत इससे ही होती है , इसका दूसरा नाम पडवा भी बताया गया है . यह तिथि मुख्य रूप से अग्नि देव की पूजा की बताई गयी है . 

द्वितीया

माह की दूसरी तिथि को द्वितीया कहते है , इसका दूसरा नाम दूज भी बताया गया है . यह तिथि को ब्रह्मा जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए . दूज के चन्द्रमा के दर्शन करने का भी विधान है . 

तृतीया

माह की दूसरी तिथि को तीज कहते है . इस तिथि पर शिव और पार्वती की पूजा करने से सफल गृहस्थ जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है . इसके साथ ही यह तिथि धन के देवता कुबेर की पूजा की भी बताई गयी है जो धन धान देने वाले देवता है . 

चतुर्थी

यह तिथि शिव जी के पुत्र और प्रथम पुज्य देवता गणेश की बताई गयी है . चतुर्थी तिथि पर उनका जन्म हुआ है और चतुर्थी तिथि संकट चतुर्थी की बताई गयी है . गणेश जी की इस तिथि पर पूजा अर्चना से समाज में यश , बुद्धि और मंगलता मिलती है . 

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पंचमी

पंचमी तिथि को नाग देवा की पूजा की बात बताई गयी है . नाग पंचमी के बारे में आप जानते होंगे जो सर्प पूजा का दिन होता है . 

षष्ठी

भगवान शिव के ही अन्य पुत्र कार्तिकेय की पूजा की तिथि षष्ठी जो बताई गयी है जिन्हें दक्षिण में मुरुगन स्वामी के नाम से पूजा जाता है .

सप्तमी

जगत के साक्षात् देवता और जीवन दाता सूर्य की पूजा करने की तिथि सप्तमी है . सूर्य के रथ में सात ही घोड़े बताये गये है जिस पर सूर्य देवता सवार होकर अपना प्रकाश जगत में देते है .

अष्टमी

इस तिथि के स्वामी रूद्र देव ,  भैरव और वृषभ पर सवार शिव शंकर है . इस दिन इनकी पूजा करने से रोग कष्ट से मुक्ति मिलती है . 

नवमी

नवमी तिथि को माँ दुर्गा की पूजा करने की बात बताई गयी है . इससे शत्रु हनन होता है और यश में वृधि होती है . 

दशमी 

इस दशमी तिथि को मृत्यु के देवता धर्मराज की पूजा करने का विधान बताया गया है . जो व्यक्ति दशमी तिथि पर यम की पूजा करता है उसे अकाल मृत्यु का डर नही होता और अच्छी उम्र पाता है . 

एकादशी 

एकादशी तिथि को भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा और व्रत रखने का विधान है . हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है जो हर सुख देने वाला है . इसके साथ यह विष्णु के बहुतमुखी रूप विश्‍वेदेवा का भी दिन है जिसका ज्ञान उन्होंने गीता के उपदेश से पहले अर्जुन को युद्धक्षेत्र में दिखाया था . 

विश्वेद्वा भगवान


द्वादशी 

एकादशी के दिन किये गये व्रत का पारण द्वादशी को किया जाता है अत: द्वादशी पर विष्णु और कृष्ण की पूजा की तिथि है . 

त्रयोदशी 

त्रयोदशी तिथि को प्रेम के देवता कामदेव की पूजा अर्चना करने का विधान है . इससे आपकी आकर्षण शक्ति बढती है और समाज में आपके व्यक्तित्व और बात को महत्व दिया जाता है . 

चतुर्दशी 

चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की पूजा और व्रत रखने का दिन होता है . इसे प्रदोष व्रत भी कहा जाता है . 

पूर्णिमा 

पूर्णिमा को चंद्रमा अपनी पूर्णता में होता है अत: पूर्णिमा का दिन चन्द्र देवता की पूजा का बताया गया है . इस दिन सबसे ज्यादा सकारात्मक उर्जा का दिन और रात होती है .

अमावस्या 

 अमावस्या की तिथि पितर देवी देवताओ की पूजा की मानी जाती है . इस दिन पितरो के निर्मित तर्पण और श्राद्ध करना चाहिए और जरुरतमंदों को दान करके पितरो के सुख की कामना करनी चाहिए . 

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सारांश 

  1. इस तरह आपने जाना कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किस तिथि को कौनसे देवी देवता की पूजा अर्चना करनी चाहिए . क्यों है उस तिथि से उस देवता का सम्बन्ध .  आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.

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