हिंदी कैलेंडर और पंचाग में कुछ मुख्य शब्द और अर्थ
हिंदू धर्म में मंगलिक कार्यों व पूजन आदि में शुभ समय का बड़ा महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में हिन्दू कैलेंडर और पंचांग में कई बार ऐसे गहरे शब्द होते है जिनका अर्थ हमें पता नही होता है . हमने यहा कोशिश की है कि उन सभी कठिन शब्दों की व्याख्या यहाँ कर सके .
पंचांग के मुख्य शब्द और उनके अर्थ
मुहूर्त
दिन-रात के 30 मुहुर्त होते हैं। जिनमें ब्रह्म मुहूर्त सबसे बेहतर है। इस समय कोई भी काम किया जा सकता है।
चौघड़िया
दिन और रात में चौघड़िया सात प्रकार की होती है। इसमें शुभ, अमृत और लाभ चौघड़िया को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
दिन
वैदिक नियमों के मुताबिक दिन का समय श्रेष्ठ होता है। इस पहर कोई भी शुभ काम और पूजन किया जा सकता है।
वार
सात वारों में गुरुवार को श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि गुरु की दिशा ईशान है और ईशान में ही देवता निवास करते हैं।
पक्ष
हर महीने में 15-15 दिन के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दो पक्ष होते हैं। इसमें शुक्ल पक्ष को श्रेष्ठ माना जाता है।
माह
माह चैत्र, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन, ज्येष्ठ, श्रावण, अश्विनी श्रेष्ठ हैं लेकिन चैत्र व कार्तिक सर्वश्रेष्ठ है।
एकादशी
एकादशी विष्णु और कृष्ण की पूजा की सबसे उत्तम तिथि बताई गयी है अत: हिन्दू धर्म में एकादशी का अत्यंत महत्व है . हर पक्ष में यानी कि 15 दिन में एक एकादशी पड़ती है। इनमें कार्तिक मास की देव प्रबोधिनी एकादशी को सर्वश्रेष्ठ है। पुरे साल में 24 एकादशी आती है पर जब जिस साल अधिकमास हो तो यह 26 हो जाती है .
पंचमी
हर माह में तिथियों के मुताबिक एक पंचमी पड़ती हैं। इसमें माघ में बसंत पंचमी और सावन माह की नाग पंचमी श्रेष्ठ है।
ऋतु
साल में छह ऋतुओं का आगमन होता है। इसमें में वसंत और शरद ऋतु ही सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।
संक्रांति
सूर्य की 12 सक्रांतियां पड़ती हैं, लेकिन इनमें मकर संक्रांति सर्वश्रेष्ठ है। इस दौरान सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है।
नक्षत्र
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताये गये है जिसमे से कुछ है पुष्य , श्रावण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, रेवती, अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शुभ है।
अधिक मास
भारतीय ज्योतिष कैलन्डर में हर तीन साल बाद एक माह बढ़ जाता है जिसे हम अधिक मास के नाम से जानते है , हिन्दू धर्म में इस अतिरिक्त मास में ज्यादा से ज्यादा धार्मिक कर्म और पूजा पाठ करने चाहिए .
पंचक
पांच दिन का वो समय जब हमें अच्छे और शुभ कार्य टालने चाहिए . यह हर माह आते है और हिन्दू कैलेंडर में देखे जा सकते है .
सौरमास
सौरमास लगभग एक माह का समय होता है . पुरे साल में 12 सौर मास आते है जब सूर्य एक संक्राति से दूसरी संक्राति में गमन करता है .
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सारांश
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचांग और हिन्दू कैलेंडर में आये जरुरी शब्दों के क्या अर्थ और भावार्थ होता है , इससे आपको विशेष समय का पता चल जायेगा . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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