महर्षि वाल्मीकि का जीवन परिचय – कहानी
Maharishi Valmiki Biography . भारत के प्रसिद्ध महाकाव्यो में से एक है श्री राम के चरित्र पर लिखी गयी “रामायण ” इन्होने लिखी थी | इस रामायण को वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है | अभी तक कई रचनाकारों ने कई रामायणे लिखी है पर सबसे उत्तम और सटीक रामायण महर्षि वाल्मीकि जी की ही मानी गयी है | यह संस्कृत भाषा की सबसे पहली महाकाव्य है | कलियुग में रामचरितमानस के रचियता गोस्वामी तुलसीदास जी को भी इन्ही का अवतार कहा गया है |
नाम | महर्षि वाल्मीकि |
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उपनाम | रत्नाकर |
पिता का नाम | प्रचेता |
माता का नाम | अज्ञात |
पत्नी | अज्ञात |
जन्म-स्थान | उत्तर प्रदेश |
जयंती | आश्विन पूर्णिमा |
ऋषि वाल्मीकि का जन्म और बाल्यकाल
त्रेता युग में इनका जन्म हुआ | यह किस जाति में उत्पन्न हुए थे यह किसी को सही सही नही पता है | कोई इन्हे ब्राहमण तो कोई इसे भील जाति का बताते है | यह बचपन में भील जाति में पले बढे हुए और एक डाकू बनकर जीवन व्यतीत करने लग गये | उन्होंने अपने डाकू वाले समय में बहुत सारे पाप किये , लूटपाट मचाई .
नारद जी ने बदली जीवन की दिशा
एक बार उन्हें राह में देवऋषि नारद जी मिल जाते है और उन्हें उनके पापो के बारे में बताते है | उनकी बात सुनकर रत्नाकर अपने किये गये कर्मो पर बहुत लज्जित होता है | वे नारद जी से इन पापो से मुक्ति का मार्ग पूछते है | नारद जी उन्हें कठोर साधना द्वारा ब्रहम ज्ञान प्राप्त करने का मार्ग बताते है |
रामायण का होता है प्रखार ज्ञान
वे अपनी कई सालो की कठोर साधना और तप से वे अत्यंत दुर्बल हो जाते है | उनके शरीर पर चीटियाँ और दीमक मिट्टी का आवरण बना लेती है | यह उनके पापो का प्रायश्चित होता है | कठोर तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी उन्हें परम ज्ञान देते है और आगे के जीवन में राम कथा लिखने का मार्ग बताते है | राम की महान लीलाओ को वे 24000 श्लोको में उतारते है जिसे रामायण का नाम दिया गया .
हनुमान जी ने अपनी लिखी रामायण को किया लुप्त
श्री राम के जीवन पर लिखी गयी रामायण को सबसे पहले हनुमान जी ने लिखा था पर जब उन्होंने वाल्मीकि जी की रामायण पढ़ी तो उन्हें ही इसकी ख्याति प्राप्त हो , इसी कारण पहाड़ पर लिखी रामायण को समुन्द्र में डुबो दिए |
सीता को दी शरण
लंका में लंकेश रावण को मृत्यु देकर माता सीता को मुक्त कराने वाले श्री राम जब अयोध्या लौटे तब कुछ नगरवासियों ने सीता के चरित्र पर ही लांछन लगा दिया | मजबूर होकर अयोध्या के राजा श्री राम को सीता को महल से भेजना पड़ा| तब सीता को महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रम में जगह मिली और उन्होंने जीवन का बाकि समय यही व्यतीत किया | इसी आश्रम में उन्होंने राम के पुत्र लव को जन्म दिया | सीता के अन्य पुत्र कुश को वाल्मीकि जी ने कुशा से उत्पन्न किया |
अयोध्या का हवाई अड्डा इनके नाम पर
राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनने के बाद विश्व भर से राम भक्तो का अयोध्या आना होगा और उसके लिए अयोध्या में भव्य एयरपोर्ट का निर्माण किया जा चूका है . इस एयरपोर्ट का नाम रामयण रचियता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर किया गया है . Maharishi Valmiki International Airport Ayodhya Dham . इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है . दिल्ली से अयोध्या आने में सिर्फ एक घंटे 30 मिनट का समय लगता है .
पुरे हवाई अड्डे को रामायण के प्रसंगों के चित्रों में रंगा गया है . इसके निर्माण में भी वही पत्थर और लुक दिया गया है जो राम मंदिर अयोध्या का है .
सारांश
- यहा आपने जाना रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि के जीवन के बारे में . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी .
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