अत्यंत पावन है पशुपति नाथ मंदिर नेपाल
Nepal Pashupati Nath Temple Importance . भारत के बाहर एक शिवलिंग ऐसा है जहाँ बहुत से भारतीय दर्शन करने जाते है , इसे पशुपति नाथ शिवलिंग के नाम से जाना जाता है . यह शिवलिंग हिन्दू धर्म में बहुत पौराणिक मान्यताओ के कारण अत्यंत पूजनीय है .
आज हम नेपाल में स्तिथ पशुपति शिवलिंग के बारे में विस्तार से जानेंगे .
मंदसौर के पशुपतिनाथ शिवलिंग की महिमा क्योकि इसके है अष्ट मुख
कहाँ है भगवान पशुपति नाथ का :
यह दिव्य शिवलिंग नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर स्थित है। इसे यूनस्को ने अपनी सुंची में शामिल किया है | भगवान शिव के महा शिवलिंगों में इसका स्थान है | भारत से बहुत सारे शिव भक्त यहा दर्शन करने आते है |
पशुपति नाथ मंदिर का इतिहास
यह मंदिर कब बना और किसने बनाया इसकी पूरी जानकारी सटीक तो पता नही चल पाई क्योकि यहा के शिवलिंग की स्थापना महाभारत के समय से हो गयी है . फिर भी कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण तीसरी सदी में सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने करवाया था .
कैसे हुई इस शिवलिंग की स्थापना :
धर्मग्रंथो के अनुसार एक बार भगवान शिव ने चिंकारे का रूप धर के गहरी निद्रा में सो गये थे | देवी देवताओ ने जब उनकी तलाश की तो उन्हें नेपाल के इस भाग में पाया |
भगवान शिव को फिर से काशी लाने का प्रयास किया गया पर उस चिंकारे ने नदी के दूसरी तरफ छलांग लगा दी | ऐसा करने से उनका सींग चार टुकड़ो में टूट गया और इस चतुर्मुखी शिवलिंग की स्थापना हुई जो पशुपतिनाथ के नाम से अपने भक्तो में विख्यात हुआ |
पशुपतिनाथ लिंग रूप :
यह शिवलिंग चहुमुखी और एक मीटर ऊँचा काले चमकीले पत्थर से बना हुआ बताया जाता है जिसमे अद्भुत धातुये भी समाई हुई है | चारो मुख चारो वेदों प्रतीक माने जाते है | इसमे चारो दिशाओ में चार शीश है | ऊपरी भाग पर पांचवा शीश है |
हर छवि के दाए हाथ में रुद्राक्ष की माला और बांये में कमंडल है | सभी मुखो के नाम और गुण है | ऊपरी मुख ईशान मुख , पश्चिमी मुख को सद्योजात , दक्षिण वाले को अघोर मुख , उत्तर दिशा के मुख को अर्धनारीश्वर और पूर्व दिशा के मुख को तत्पुरुष मुख पुकारा जाता है |
नेपाल राजाओ के मुख्य देवता :
भगवान पशुपतिनाथ को नेपाल के राजाओ का मुख्य देवता माना जाता है | सबसे पहले राज परिवार ही इनकी पूजा करता है | गैर हिन्दुओ का मंदिर में प्रवेश की अनुमति नही है |
केदारनाथ से भी सम्बन्ध
नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर को लेकर एक महाभारत की कथा भी है कि जब उत्तराखंड के चार धाम में से एक केदारनाथ में पांड्वो को शिव रूपी बैल के दर्शन हुए थे तो भीम ने उस बैल की पूंछ पकड़ ली पर बैल धरती में समा गया था और उसकी पीठ केदारनाथ में तो मुख नेपाल के पशुपति नाथ में प्रकट हुआ .
भारत से कैसे जाए पशुपति नाथ मंदिर
यदि आप भारत के निवासी है और नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर दर्शन करने जाना चाहते है तो हम आपको पूरी जानकारी बताने जा रहे है .
आपको बता दे कि नेपाल भारत के उत्तर पूर्व में स्तिथ एक देश है जहाँ जाने के लिए आपको कोई वीजा की जरुरत नही होती है .
हवाई मार्ग :- भारत के किसी भी बड़े शहर से आप सीधे नेपाल के काठमांडू की फ्लाइट ले सकते है . यहा से मंदिर 7 किमी की दुरी पर है और आपको हवाई अड्डे के बाहर से ही मंदिर तक जाने के लिए कार बस मिल जाएगी
बता दे की दिल्ली से यदि आप काठमांडू की फ्लाइट लेते है तो इस 800 किमी की दुरी को पार करने के लिए आपको सिर्फ 2 घंटे का समय लगेगा .
रेल मार्ग :- जान ले की भारत से कोई सीधी ट्रेन काठमांडू तक नही जाती है . आप उत्तरप्रदेश के गोरखपुर तक ट्रेन ले सकते है . उसके बाद आप बस द्वारा नेपाल के अन्दर काठमांडू तक जा सकते है .
काठमांडू से गोरखपुर की दुरी सिर्फ 346 किमी की है .
सडक मार्ग :- उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से या फिर बिहार के बॉर्डर से आप नेपाल सडक मार्ग द्वारा जा सकते है .
क्या पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग है ?
शिव जी के द्वादश ज्योतिर्लिगो में क्या नेपाल स्तिथ शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है तो इसका जवाब है जी हां . यह शिवलिंग अर्धज्योतिर्लिंग में आता है . उत्तराखंड के चार धाम में से एक केदारनाथ और नेपाल का पशुपति नाथ मिलकर एक पूर्ण ज्योतिर्लिंग का निर्माण करते है .
Post a Comment