माँ दुर्गा की मुख्य सवारी शेर क्यों
हिन्दू धर्म में हर देवी देवता की एक पहचान है , यह पहचान उनकी सवारी , उनके शस्त्रों से की जाती है . जैसे शिव जी की सवारी नंदी तो विष्णु भगवान गरुड़ पर सवार है वैसे ही माँ दुर्गा की सवारी शेर को बताया गया है .
हम चित्रों में देखते है कही माँ दुर्गा चीता पर तो कही बब्बर शेर पर विराजित दिखाई देती है .
हमारे पुराण और धर्मग्रंथ बताते है किस देवी देवता को कौनसी सवारी पसंद है और उनका प्रिय अस्त्र शस्त्र क्या है।
इस सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा आती है क्यों माँ दुर्गा ने सिंह को ही क्यों अपना सवारी चुनी | क्यों माँ कहलाती है शेरोवाली माँ .
हम सभी जानते है कि माँ दुर्गा अर्थात कात्यायनी का जन्म सभी देवी देवताओ की शक्ति से हुआ है . उन्हें माँ पार्वती से ही अपनी सवारी शेर दी है .
कब कब आते है साल में माँ दुर्गा के नवरात्रे
कैसे शेर बना माँ पार्वती की सवारी
यह बात उन दिनों की है जब हिमालय की पुत्री पार्वती भगवान शिव की तपस्या में लीन रहती थी । वे शिव को अपने पति के रूप में पाना चाहती है और इसी लिए पहाड़ो में बसे घने जंगल में घोर तपस्या में लीन थी . एक दिन वहा एक शेर आया जो अत्यंत भूखा था । उसने पार्वती जी को तपस्या करते देखा तो उसे बड़ी ख़ुशी हुई की वो इस महिला को खाकर अपना पेट भर लेगा ।
शेर पार्वती की तपस्या को खत्म होने का इंतज़ार कर रहा था पर पार्वती तो अपनी तपस्या में मग्न थी ।
पार्वती जी का जब ध्यान उस शेर पर पड़ा तब उन्हें लगा की उनके साथ साथ इस शेर ने भी मन से घोर तपस्या की है । कुछ दिनों बाद भोले नाथ उनके तप पर प्रसन्न हो गए और दर्शन दिए ।
शेर की तपस्या से माँ हुई प्रसन्न
देवी पार्वती ने उन्हें बताया की इस शेर ने भी उनके साथ तप किया है , इसने भी घोर जंगल में भूखे प्यासे बर्फ़बारी के बीच मेरा साथ दिया है . अत: इसे मैं भी अपने साथ रखना चाहती है अत: आप मेरी सवारी बनने का वरदान दे |
तब से माँ पार्वती का ही रूप दुर्गा के साथ हमेशा एक सिंह दिखाई देता है । इन्हे शेरोवाली माता , सिंहवाहिनी माता के नाम से भी भक्त पुकारते है ।
सारांश
- हमने आपको पौराणिक कथा के माध्यम से बताया कि कैसे माँ दुर्गा की सवारी एक सिंह (शेर ) है और इसके पीछे क्या कहानी है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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