हिंगलाज मंदिर शक्तिपीठ पाकिस्तान

सबसे बड़े शक्तिपीठो में एक एक है माँ हिंगलाज का शक्तिपीठ , पर यह मंदिर भारत में नही बल्कि पाकिस्तान में है . हम सभी जानते है कि दक्ष प्रजापति के यज्ञ में शिव की पत्नी सती ने खुद को अग्नि कुण्ड में प्रवेश करा दिया था और फिर शिवजी उनके शरीर को लेकर हवा में फिरने लगे और उस शरीर को उनके हाथ से हटाने के लिए विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए 

जब देवी सती हुई तब उनके शरीर के अंग 51 स्थानों पर गिरे और शक्तिपीठ बने | ऐसा ही एक शक्तिपीठ सरहद पार पाकिस्तान बलूचिस्तान में स्थित है | यहा सती का सिर गिरा था | इस शक्तिपीठ में मुस्लिम सेवा भाव करते है और पाकिस्तान से कई हिन्दू भक्त दर्शन करने आते है | यहा के हिन्दुओ का यह मंदिर  असीम आस्था का केंद्र है |

maa hingalaj shaktipeeth dham


जनश्रुति है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम भी यात्रा के लिए इस सिद्ध पीठ पर आए थे। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्रि ने यहां घोर तप किया था। उनके नाम पर आसाराम नामक स्थान अब भी यहां मौजूद है।

माता हिंगलाज मंदिर में पूजा-उपासना का बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि इस प्रसिद्ध मंदिर में माता की पूजा करने को गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देव, दादा मखान जैसे महान आध्यात्मिक संत आ चुके हैं।

हिंगलाज शक्तिपीठ माँ


मंदिर का स्वरुप

ऊंची पहाड़ी पर बना यह मंदिर गुफा रूप में है। इस मंदिर में कोई दरवाजा नहीं। मंदिर की परिक्रमा भी गुफा के अन्दर से करनी पड़ती है | मान्यता है कि माता हिंगलाज देवी यहां सुबह स्नान करने आती हैं।

यहां माता सती कोटटरी रूप में जबकि भगवान भोलेनाथ भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं। माता हिंगलाज मंदिर परिसर में श्रीगणेश, कालिका माता की प्रतिमा के अलावा ब्रह्मकुंड और तीरकुंड आदि प्रसिद्ध तीर्थ हैं। इस आदि शक्ति की पूजा हिंदुओं द्वारा तो की ही जाती है इन्हें मुसलमान भी काफी सम्मान देते हैं।

कैसे जाये हिंगलाज मंदिर

भारतीयों के माँ हिंगलाज के मंदिर में जाना कठिन है क्योकि यह पाकिस्तान में है और दोनों देशो के बीच हमेशा तनातनी लगी रहती है अत: बटवारे के बाद पाकिस्तान में स्तिथ हिन्दू मंदिर भारतीयों से बहुत दूर हो गये है .


mata hinglaj shaktipeeth mandir

पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य में हिंगोल नदी के समीप हिंगलाज क्षेत्र में यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थापित है | कराची से छह-सात मील चलकर “हाव” नदी पड़ती है। यहीं से हिंगलाज की यात्रा शुरू होती है। यहीं शपथ ग्रहण की क्रिया सम्पन्न होती है |

हिंगोल नदी के किनारे से यात्री माता हिंगलाज देवी का गुणगान करते हुए चलते हैं। पहाड़ो को पार करके भक्त हिंगलाज के मंदिर के करीब पहुंचते है | मार्ग में तीन मीठे पानी के कुए है जिसके पानी से यात्रीगण पाप मुक्त होकर पवित्र हो जाते है |

माता का चुल

इस मंदिर में एक विशेष मान्यता है जिसमे भक्त को दस फीट के अंगारों से भरी जमीन पर चलना पड़ता है , इसे माता का चुल नाम की प्रथा कहा जा
ता है | मान्यता है की जो इस चुल वाली प्रथा के अनुसार चलता है , माता उसकी सभी मनोकामनाओ की पूर्ति कर देती है | 

angaro par chala


यह माता हिंगलाज का करिश्मा ही है की भक्त को इस अंगारों से कोई पीड़ा नही होती | हलाकि कई वर्षो से यह परम्परा बंद कर दी गयी है |

सारांश 

  1. हिंगलाज शक्तिपीठ मंदिर जो की माँ सती का एक विशेष शक्तिपीठ है . जाने इस मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी. 


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