क्यों रखी जाती है शिखा चोटी
Benefits Of Keeping Shikha or Choti on Head in Hindi
शिखा का अर्थ है पुरषों का सिर के बीच वाले भाग पर चोटी का रखना . प्राचीन काल में लोग सिर पर शिखा रखते थे , आज भी कई ब्राह्मण गुरु इसी तरह सिर पर शिखा रखकर इस परंपरा का पालन कर रहे है | यह आर्यों की पहचान और परम्परा का घोतक है | इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है जो इसका शत प्रतिशत पक्षधर है अर्थात स्वास्थ्य के नजरिये से भी सिर पर चोटी रखना कई फायदे लाता है |
अब जाने क्यों रखते है शिखा और इसके फायदे :
शिखा रखने के वैज्ञानिक लाभ : - जहा शिखा रखी जाती है उसके निचे के भाग में सुषुम्ना नाड़ी है जो मस्तिष्क के अन्य भाग से सबसे संवेदनशील होती है तथा वातावरण से विद्युत-चुम्बकी तरंगोँ (Electro Magnetic Rays ) का दिमाग से अच्छे से आदान प्रदान करती है | यह शिखा मस्तिष्क के तापक्रम को भी नियंन्त्रित रखती है जिससे दिमाग अच्छे से अपना कार्य कर पाता है |
अत: हम कह सकते है शिखा रखने से मस्तिष्क ज्यादा अच्छे से कार्य कर सकता है | मस्तिष्क के संतुलन के लिए इसे रखा जाता है | इसे रुढ़ीवाद मानना गलत है |
शिखा रखने के धार्मिक लाभ यह भी कहा जाता है मृत्यु के समय आत्मा मानव शरीर से 9 द्वार में से निकलती है ये द्वार है दो चक्षु द्वार (Eyes) , दो नसिका द्वारा (Nostril ) , दो श्रोत द्वार (Ears ) , मुख Mouth , लिंग या योनी व गुदा द्वार।| इसके अलावा शिखा | यदि सर पर शिखा है जो आत्मा को आसानी होती है निकलने में |
शिखा रखने पर योग क्रिया अच्छे से होती है , नैनों की ज्योति को भी यह शक्ति प्रदान करती है | मनुष्य का तेज भी इसी शिखा से बढ़ता है |
कर्म काण्ड और यज्ञ हवन के लिए जरुरी है शिखा : - शास्त्रों में बताया गया है कर्मकांडी ब्राह्मण और यज्ञ पूजा को सम्पन्न कराने वाले ब्राह्मणों के लिए सिर पर शिखा रखना जरुरी होता है . इसके बिना कर्मकांड और पूजा संपन्न नही मानी जाती है .
कितना हो आकर शिखा का :
कहते है की शिखा का आकार गाय के पैर के खुर के जितना होना चाहिए | इससे छोटी होने पर शिखा अच्छे से कार्य नहीं कर पाती | शास्त्र बताते है कि सहस्रार चक्र का आकार इसी आकार में होता है .
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