मंगल भवन अमंगल हारी चौपाई हिंदी भावार्थ सहित
Mangal Bhawan Amangal Hari Hindi Bhawarth . श्री तुलसीदास जी महाराज ने रामचरित मानस से बहुत ही प्यारी चौपाइयां लिखी है जो भक्तो को अति प्रिय और याद भी है | यह मंगल करने वाली और अमंगल का नाश करने वाली मंत्र समान चौपाई है |
जब कोई भक्त सुन्दरकाण्ड का पाठ करता है तो दोहे के बाद इसी चौपाई को जरुर दोहराता है और यह इतनी प्रसिद्ध चौपाई है कि हर हनुमान भक्त को मुख जुबानी याद है . आज हम इसका अर्थ और भावार्थ जानेंगे .
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं हनुमान जी श्लोक और अर्थ
रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड में दोहा 26 के बाद जो चौपाइयां आती है उसमे एक जगह सीता जी हनुमान जी कहती है मुझ सीता पर लंका में रावण के कारण बहुत संकट है अत: हे दीन दयाल हमारे सभी संकटों को दूर करे .
मंगल भवन अमंगल हारी चौपाई का अर्थ
मंगल भवन चौपाई के साथ बहुत सी रामचरितमानस की चौपाइयां गाई जाती है जिनके भी भावार्थ हम आपको यहा दे रहे है .
1 मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम – २
अर्थ : जो मंगल करने वाले है और अमंगल हो दूर करने वाले है , वो दशरथ नंदन श्री राम है वो मुझपर अपनी कृपा करे | यहा द्रवहु का अर्थ पिघलने वाले और अजिर का अर्थ आँगन से है . यहा राम के बाल्यक्रीडा करने वाले पांच साल के बच्चे रूपी मंगलमय भगवान से कृपा पाने की बात कही गयी है .
2. होओ , होइ है वही जो राम रचि राखा, को करि तर्क बढ़ावै साखा
अर्थ : जो भगवान श्री राम ने पहले से ही रच रखा है ,वही होगा | हमारे कुछ करने से वो बदल नही सकता .
3. होओ , धीरज धरम मित्र अरु नारी , आपद काल परखिये चारी
अर्थ : बुरे समय में यह चार चीजे हमेशा परखी जाती है , धैर्य , मित्र , पत्नी और धर्म |
4. होओ , जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
अर्थ : जिन लोगो का सच्चा स्नेह होता है उसे वो मिलता है ,इसमे कोई संदेह नही है .जैसे सीता जी राम को पहली नजर में देखकर उन्हें मन ही मन पाने का सपना देखने लगी और वो फिर पूरा भी हुआ .
5. हो, जाकी रही भावना जैसी रघु मूरति देखी तिन तैसी
अर्थ : जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है |
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6. रघुकुल रीत सदा चली आई , प्राण जाए पर वचन न जाई
अर्थ : रघुकुल सूर्यवंशी परम्परा में हमेशा वचनों को प्राणों से ज्यादा महत्व दिया गया है अत: चाहे प्राण चले जाए पर दिया हुआ वचन कभी नही जाना चाहिए .
7 .हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
अर्थ : प्रभु श्री राम भी अंनत हो और उनकी कीर्ति भी अपरम्पार है ,इसका कोई अंत नही है | जैसे अनेको साधू संत है वैसे ही उनके अनंत मुख और अनंत कहानियां है . ऐसे ही आप देख सकते है कि रामायण भी कितने संतो द्वारा लिखी गयी है .
सारांश
- मंगल भवन आ मंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी चौपाई का हिंदी अर्थ और भावार्थ इससे पता चलेगा कि कैसे यह नेगटिवीटी को दूर कर सकारात्मक उर्जा बढ़ाने वाली है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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