हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा क्यों
Kyo Hanuman ji Hai Kaale Rang Ke . अजर अमर बालाजी महाराज की वैसे तो सिंदूरी रंग की प्रतिमा ही देखने को मिलती है पर कुछ मंदिर ऐसे है जहाँ हनुमान जी की मूर्ति काले रंग की है . क्या आपने ऐसे हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन किये है जहाँ हनुमान जी की प्रतिमा का रंग श्याम है .
गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी के रूप का वर्णन किया है वो ही रूप ज्यादातर मंदिरों में हनुमान प्रतिमा का दिखाई देता है .
लाल देह लाली रसे , अरुधर लाल लंगूर अर्थात लाल रंग वाले वानरराज हनुमान जिन्होंने श्री राम के अजर अमर नाम के लिए खुद को पुरे सिंदूर से रंग लिया था . फिर इसके बाद ही हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाया जाने लगा .
अब आपको इस आर्टिकल में बताएँगे भारत के उन अनोखे मंदिरों के बारे में में जहाँ हनुमान जी की मूर्ति काले रंग की है और इसके पीछे का राज भी आपको बताएँगे .
शास्त्रों में बताया गया है कि हनुमान जी के गुरु सूर्य देव थे और हम सभी जानते है कि सूर्य देव में कितना तेज है . इसी तेज के प्रभाव में जब तक हनुमान जी सूर्य की शरण में रह कर शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तब हनुमान जी का रंग काला हो गया .
अत: काले रंग के हनुमान की मूर्ति सूर्य देव की शिष्य के घोतक होते है , यही कारण है की भारत में कई जगह ऐसी प्रतिमाये आपको देखने को मिलेगी .
अभयदाता हनुमान अर्थात अपने भक्तो का डर दूर करने वाले , उनके संकटों को भगाने वाले हनुमान जी .
रायबरेली के इस मंदिर में भी आपको हनुमान जी प्रतिमा काले रंग की मिलेगी .
यहा हनुमान जी की मूर्ति राम राम करते हुए मिलेगी . राम नाम की महिमा अनंत है और यही नाम सबसे ज्यादा प्रिय हनुमान जी को है . आप किसी भी मंदिर में हनुमान जी के सामने राम राम कह देंगे तो आपका एक कनेक्शन हनुमान जी जुड़ जायेगा .
इस मंदिर में अपार हनुमान भक्तो की भीड़ आती है और कहते है कि यहा हनुमान जी जाग्रत है और अपने भक्तो की पुकार को सुनकर समाधान करते है . मंगलवार और शनिवार को यहा अपार भीड़ आती है .
राजस्थान की राजधानी में दो काले हनुमान जी के मंदिर है . एक चांदी की टकसाल में तो दूसरा जल महल के पास .
चांदी की टकसाल का मंदिर पुरे जयपुर में प्रसिद्ध है . इस मंदिर की स्थापना जयपुर के राजा जयसिंह ने ही करवाई थी . मंदिर में विशालकाय मनुष्य आकृति की ही हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा है .
इस मंदिर में यह प्रतिमा उगते सूर्य को देखते हुए है अर्थात पूर्वमुखी है जो रक्षक का कार्य कर रही है . मंदिर को बाहर से देखने पर यह एक महल की तरह ही दिखाई देता है .
जल महल के पास स्तिथ काले हनुमान जी के मंदिर के अपने अलग हट कर नियम है . इस मंदिर में आप घंटी नही बजा सकते , तेज आवाज में जयकारे और भजन नही गा सकते और ना ही कोई भेंट , प्रसाद या दान दे सकते है .
हनुमान जी की एक और काले रंग की प्रतिमा का मंदिर निजामाबाद में है . इस मूर्ति के निर्माण में बहुमूल्य पत्थर काम में लिया गया है . कहते है यह मूर्ति 1836 से घने जंगल में थी , मंदिर बनने की कहानी भी रोचक थी .
ऐसा बताया जाता है कि मूर्ति को बैलगाडी में लादकर मूर्तिकार इसे संत शिरोमणि मठ में स्थापित करने के लिए जा रहे थे पर इस जगह आकर बैल आगे नही बढ़ते है . थक हार कर बैलगाडी वाले लोग इस मूर्ति और बैलगाड़ी को यही छोड़कर चले जाते है .
उसी रात को हनुमान ने संत शिरोमणि सद्गुरु महाराज स्वामी के सपने में आकर उन्हें उसी जगह मंदिर बनाने का आदेश देते है और फिर मंदिर यहा बना दिया जाता है.
दक्षिणमुख काले हनुमानजी का मंदिर वाराणसी
भगवान शिव की नगरी काशी में भी एक काले हनुमान जी का मंदिर है जो साल में सिर्फ एक बार खुलता है . इस मंदिर में हनुमान जी दक्षिणमुखी है . यहा दर्शन मात्र से भक्तो के असाध्य रोग दूर हो जाते है .
यह मंदिर काशी के रामनगर में राजा के टीले पर बना हुआ है . यहा आप शरद पूर्णिमा के दिन ही दर्शन कर सकते है .
कहा जाता है कि यह प्रतिमा सैकड़ो साल पहले पाताल लोक से प्राप्त हुई थी , इसके बाद इसकी पूजा राजदरबार के लोग करते लग गये थे .
सारांश
- क्यों कई मंदिरों में है हनुमान जी की काली प्रतिमा . भारत के वे मंदिर जहाँ काले रंग के हनुमान है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
Post a Comment