जीण माता से जुड़ी है ये हैरान कर देने वाली रोचक बातें और तथ्य
Jeen Mata Temple in Hindi .राजस्थान के सीकर जिले में जीण माता का प्रसिद्ध सिद्ध स्थान है . यहा जीण माता को माँ दुर्गा का ही अवतार माना जाता है . नवरात्रि के दिनों में यहा भव्य मेला भरता है और लाखो भक्त माँ के दरबार में आकर माथा टेकते है.
तो आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे जाग्रत शक्तिपीठ जीण भवानी मंदिर के बारे में रोचक बातें और तथ्यों को .
कौन है जीण माता ?
कहते है की जीण माता का जन्म राजस्थान के चुरू जिले में घांघू गांव के राजपरिवार में हुआ था . उनका भाई का नाम हर्ष था . एक बार दोनों भाई बहिन में किसी बात को लेकर विवाद हो गया और बहिन जीण एक अरावली की पहाड़ी (काजल शिखर ) पर आकर ध्यान मग्न हो गयी .
पीछे पीछे भाई हर्ष नही वहा आ गया और बहिन को मना कर घर चलने की बात करने लगा पर जीण नही मानी और थक हार कर हर्षं ने भी पास की पहाड़ी पर तपस्या करना शुरू कर दिया .
इस तरह दोनों भाई बहिन तपोसाधना में लीन हो गये. आज वहा दोनों के अलग अलग मंदिर है जिसे जीण माता मंदिर और हर्षनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है .
कहाँ है जीण माता मंदिर
यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में दक्षिण दिशा में अरावली की पहाडियों पर स्तिथ है . सीकर से इसकी दुरी 29 किमी की है .
वही जयपुर से 108 किमी की दुरी पर है . जबकि विश्व प्रसिद्ध खाटू श्याम जी मंदिर से यह 57 किमी की दुरी पर है .
औरंगजेब की सेना की हार ?
शेखावती के मंदिरों पर जब औरंगजेब की सेना आक्रमण कर रही थी तब वे जीण माता के मंदिर की तरफ भी बढ़ी . तब जीण माता के चमत्कार के कारण लाखो मधुमख्खियाँ मंदिर परिसर में आ गयी और पूरी सेना को जगह जगह बारम्बार काटने लगी . दर्द से छटपटाते सैनिक इधर उधर भागने लगे और औरंगजेब ने भी मान लिया की माँ जीण चमत्कारी है और वो उनके सामने नतमस्तक हो गया . उसने माँ के लिए सोने का छत्र भी भेजा था .
उसने वचन दिया कि वो इस मंदिर में अखंड दीपक और उसके तेल की व्यवस्था करेगा फिर दिल्ली से वो तेल इस मंदिर में अपनी सेना के साथ भेजा करता था .
भंवरा देवी है जीण माता
औरंगजेब की सेना पर मधुमख्खियो के हमले के कारण जीण माता को भंवरा देवी के नाम से भी जाना जाता है . दुर्गा सप्तशती के अध्याय में बताया गया है कि दुर्गा माता के अवतार में एक अवतार भंवरा देवी का होगा जिसकी सेना में लाखो मधुमख्खियाँ होगी .
ग्रहण में भी होती है आरती
इस जीण भवानी मंदिर की एक खास बात यह भी है कि यहा आरती ग्रहण के समय भी होती है . साल के हर दिन तय समयानुसार मंदिर में आरती होती है .
जीण माता की मुर्ति स्वरुप
जीण माता मंदिर में मूर्ति अष्ट भुजाओ वाली है . माँ का रंग सिंदूरी है . कपडे भी माँ लाल और सिंदूरी रंग के धारण करती है .
मंदिर के गर्भगृह के द्वार चांदी से बने हुए है . मन्दिर में प्रवेश करने से पहले दाई तरफ आपको सिंदूरी रंग के लक्कड़ भैरव के दर्शन होंगे .
मंदिर की दीवारों पर आपको सभी नवदुर्गाओ की मूर्तियाँ देखने को मिलेगी .
हर्षनाथ मंदिर में त्रिमूर्ति
हर्ष नाथ मंदिर जीण माता मंदिर के ऊपर पहाड़ी पर बना हुआ है . इस जगह ही हर्ष नाथ जी अखंड तपस्या की और फिर समाधी ली थी . इसके बाद वो हर्ष नाथ भैरव बन गये .
यहा आपको लगेगा की यह एक ही मूर्ति के तीन मुख है पर ऐसा नही है . यह तीन अलग अलग लोगो की मूर्ति है जो एक साथ मिली हुई है . एक है हर्षनाथ दुसरे है भैरव जी और तीसरा मुख है जीण माता का .
इनके सामने ही एक अखंड दीपक जल रहा है . तीनो के सिर पर चांदी के मुखुत और ऊपर चांदी के छत्र सुशोभित है .
हर्षनाथ मंदिर के पास प्राचीनतम मूर्तियाँ
यहा आप जब मंदिर के आस पास देखेंगे तो आपको पत्थरो पर अद्भुत कलाकृतियाँ उभेरी हुई मिलेगी . यहा अर्ध्यनारेश्वर गणेश जी की मूर्ति भी है . ये मूर्तियाँ बहुत ही पुरानी है जो बताती है कि मंदिर का इतिहास बहुत पहले से है .
जीण माता मंदिर से जुड़ी मुख्य बातें
* मंदिर में 100 से ज्यादा परिवार के पंडित कार्यरत है जिनका बारी बारी से नंबर आता है .
* मंदिर में जो पुजारी है वो पराशर ब्राह्मण जाति के है .
* जिन पंडितो का पूजा करने का नंबर आता है उन्हें मंदिर में ही रहना पड़ता है और पूर्ण ब्रह्मचार्य नियम का पालन करना पड़ता है .
* जीण माता के जो चढ़ावे में वस्त्र और गहने आते है , उनका प्रयोग पंडितो की बहिन और बेटी ही कर सकती है , पंडितो की पत्नियां नही .
* जीण माता मंदिर में सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण का कोई प्रभाव नही होता , ग्रहण में ही इस मंदिर में आरती पूर्वसमय अनुसार होती है .
* हर साल भाद्रपक्ष महीने में शुक्ल पक्ष में श्री मद्देवी भागवत का पाठ व महायज्ञ होता है।
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