एकलिंगजी मंदिर उदयपुर
राजस्थान के उदयपुर से लगभग 22 किमी की दुरी पर दो पहाडियों के बीच कैलाशपुरी नाम का एक तीर्थ है , वही भगवान् शिव का यह एकलिंगजी मंदिर स्थापित है | यहा शिवजी एकलिंगजी के नाम से प्रसिद्ध है | यह मंदिर मेवाड़ का भव्य और प्राचीन मंदिरो में से एक है |
कैसा है एकलिंगजी मंदिर का शिवलिंग :
इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग के चार मुख है जो चतुर्मुखी शिवलिंग के रूप में भी जाना जाता है |
यह चार मुख शिव ,सूर्य , विष्णु और ब्रह्मा का प्रतिनिदित्व करते है .
मंदिर के मुख्य गर्भगृह के सामने पीतल से बने नंदी विराजमान है | इसके अलावा मंदिर परिसर में 108 देवी देवताओ के छोटे छोटे मंदिर बने हुए है | एकलिंगजी का नित्य पुष्पों और रत्नों से श्रंगार किया जाता है | मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति यहा के पंडितो से लेनी पड़ती है जो आपको विशेष तरह के वस्त्र पहनाते है |
अत्यंत प्राचीन है यह मंदिर :
एकलिंगजी मदिर मेवाड़ का प्राचीनतम मंदिरों में से एक है | मेवाड़ के राजपूत राजाओ के शुरू से ही एकलिंगजी आराध्य रहे है | युद्ध जाने से पूर्व वे अपने इसी भगवान का आशीष लिया करते थे | मेवाड़ के संस्थापक बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण करवाया और एकलिंग की मूर्ति की प्रतिष्ठापना की थी। मंदिर का उसके बाद कई बार जीर्णोद्वार का कार्य हो चूका है | मंदिर की दीवारों पर बहुत ही बारीक़ कारीगरी करके हजारो मूर्तियाँ बनी हुई है जो इसको अलग ही रूप देती है .
मेवाड़ के आराध्य देव
एकलिंग जी प्राचीनकाल से ही मेवाड़ राज्य के महाराणाओं तथा अन्य राजपूतो के प्रमुख आराध्य देव और अधिपति रहे हैं।मान्यता है कि जब मेवाड़ की सेना युद्ध में निकलती थी तो एकलिंग जी के जयजयकारे चारो दिशाओ में गुंजायमान हो जाते थे . राजा भी महाराज एकलिंग जी को ही मानता था और उनके दीवान के रूप में कार्य करता था .
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