पौष बड़े का महत्व भोग में
Push Bada Mahotsav . सबसे ठन्डे माह में जिस महीने का नाम लिया जाता है वो है पौष का महिना जो दिसम्बर या जनवरी के बीच में आता है . यह ठण्ड का समय होता है और इसमे गर्म चीजो को खाया जाता है . यह हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से दसवा महिना है .
पौष माह एक ऐसा माह है जब सामूहिक रूप से मंदिरों में पौष बड़ो को का आयोजन किया जाता है | भगवान की पूजा अर्चना और भोग लगाने के बाद इसे भक्तो में वितरित किया जाता है | सामूहिक रूप से चंदा एकत्रित कर के यह धार्मिक आयोजन क्रियान्वित किया जाता है |
पौष मास अत्यधिक ठण्ड का मौसम है और दाल की पकोड़ी के साथ हलवा का प्रसाद इसे आन्दित बनाता है | किसी मंदिर में पंगत प्रसादी तो कही दोना प्रसादी की व्यवस्था की जाती है | यह निर्भर करता है संग्रह किये गये चंदे और भोग प्राप्त करने वाले भक्तो की संख्या पर | यह आयोजन सामूहिक प्रेम का प्रतिक है |
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पौष है ठंडा माह , भगवान का भी रखते है ध्यान
पौष का महिना अत्यधिक ठण्ड का महिना है अत: मंदिरों में गर्म हलवे और दाल की पकोड़ी के साथ रेवड़ी , गजक आदि गर्मी लाने वाली चीजो का भोग लगाया जाता है | कही कही मंदिर में देवताओ को ठण्ड से बचाने के लिए अंगीठी भी जलाई जाती है | साथ ही देवताओ के वस्त्र उनी और गर्म भी तैयार करवाए जाते है जिससे उनके आराध्य को ठण्ड ना लगे |
पौष माह में सूर्य की पूजा
इस माह में सबसे ज्यादा सूर्य देवता की पूजा करने का विधान है . इस ठण्ड भरे मौसम में सूर्य ही लोगो को गरमाहट देते है . पौष माह में ही मकर संक्रांति का पर्व आता है जो धर्म , दान पूण्य के हिसाब से बहुत बड़ा दिन होता है . इस दिन ही सूर्य उत्तरायण दिशा में हो जाता है .
पौष बड़ा महोत्सव
पौष माह में राजस्थान के विभिन्न शहरों में सर्दी का स्वागत करने और भगवान को गर्म भोग लगाने के लिए मंदिरों में घरो में पौष बड़ो प्रसादी का आयोजन किया जाता है .
पौष बड़ा का अर्थ होता है पौष माह में दाल का पकोड़ा और उसके साथ सूजी का या फिर गाजर का हलवा . इसके साथ साथ कई जगह पुड़ी और सब्जी भी बनाई जाती है .
पहले ये देवी देवताओ को अर्पित की जाती है और फिर उसे प्रसाद के रूप में सभी में वितरित की जाती है .
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सारांश
- भगवान को पौष माह में क्यों लगता है भोग . पौष बड़े का क्या महत्व है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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