मकर संक्रांति का महत्व
सूर्यदेवता को जीवंत और प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है . हमारे जीवन के लिए सूर्य का होना बहुत जरुरी है .अत: इस देवता से जुड़े मुख्य पर्वो में एक है मकर संक्रांति का त्योहार . सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रुप में जाना जाता है। भारत में अलग अलग भागो में इसे अलग अलग नाम से पुकारा जाता है | गुजरात में ‘उत्तरायण’ , पंजाब और हरियाणा में लोहडी पर्व ,उतराखंड में उतरायणी और केरल में पोंगल |
मकर संक्रांति 2024 कब है
हर साल मकर संक्रांति जनवरी माह के 14 या 15 को मनाई जाती है . इस साल 2024 में मकर संक्राति का पर्व 15 जनवरी को आएगा . सूर्य देवता मकर राशि में रात को 2 बज कर 54 मिनट पर प्रवेश करेंगे , इसी कारण संक्राति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा .
मकर संक्रांति की महिमा
- इसी दिन चमत्कारी माँ गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था |
- महाभारत काल में भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति के दिन ही देह त्याग किया था |
- श्रीकृष्ण ने गीता में बताया है की संक्रांति से लगने वाले सूर्य के उत्तरायण में देह त्याग करने को मोक्ष की प्राप्ति होती है |
- उत्तरायण के 6 माह में सूर्य की किरणे शांति और स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होती है |
- उत्तरायण के समय को देवी देवताओ का दिन बताया गया है जब दक्षिणायन को उनकी रात |
- भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला गंगा सागर तीर्थ पर भरता है जिसमे 10 से 20 लाख तक भक्त स्नान करने आते है |
सूर्य की पूजा और तीर्थ स्नान की महिमा :
इस दिन गंगा सागर , काशी (वाराणसी ) , त्रिवेणी संगम, हरिद्वार , पुष्कर , उज्जैन की शिप्रा , लोहार्गल आदि तीर्थ स्थलों पर भारी संख्या में श्रद्धालु स्नान करते है और भगवान सूर्य को जल से अर्ध्य देते है |
मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा क्यों
हिन्दू वर्ष को दो भागो में विभाजित किया गया है | एक उत्तरायण और दक्षिणायन | मकर संक्राति के दिन सूर्य अपनी दिशा बदलकर उत्तर की तरफ झुक जाता है | अर्थात् उत्तरायण इसी दिन से लग जाता है | यही कारण है की इस दिन पञ्च देवताओ में से एक भगवान सूर्य की महिमा में पूजा की जाती है |
दान का पावन दिन
इस दिन को दान देने के लिए सबसे अच्छे दिनों में से एक माना जाता है | हर व्यक्ति को अपनी स्थिति के अनुसार अन्न , वस्त्र , धातु दान गरीबो को करना चाहिए | इस दिन किया गया दान कई गुणा अधिक फल और पुण्य देने वाला माना गया है | इन चीजो का कभी भी दान नही करे | जबकि इन चीजो का दान करना अति शुभ बताया गया है |
तिल के लड्डू का महत्व :
मकर संक्रांति सर्दी के दिनों में आती है जब शरीर को आंतरिक रूप से गर्माहट की जरुरत होती है | तिल और गुड़ के बने लड्डू शरीर को गर्म करते है और सर्दी से बचाव में सहायक है | अत: वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो संक्रांति के दिनों में तिल और गुड का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होता है .
तिल का दान :
मकर राशि के स्वामी शनि है और इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है | हम जानते है शनिदेव सूर्य के शत्रु भाव रखते है अत: शनि को शांत करने के लिए तिल का दान किया जाता है | महिलाये इसी कारण इस दिन तिल के लड्डू बनाकर 14 दूसरी महिलाओ को यह दान करती है .
क्यों मकर संक्रांति के दिनों में तिल गुड़ खाया जाता है
सारांश
- 2024 में मकर संक्रांति कब है और जाने हिन्दू धर्म में इसका क्या महत्व है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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