धन की देवी लक्ष्मी जी से जुड़ी 10 जरुरी बातें
10 Facts about goddess Lakshmi (Goddess of Wealth) . यदि धन की देवी की बात की जाये तो सबसे पहले नाम है माँ लक्ष्मी जी का जिन्हें वैभव और ऐश्वर्य की देवी कहा जाता है . जिस भक्त पर माँ लक्ष्मी जी की कृपा हो जाये उसके पास कभी अन्न धन की कमी नही आती है .
लक्ष्मी जी का अवतरण
माँ लक्ष्मी की उत्पति की एक प्राचीन पौराणिक कथा है। एक बार क्षीरसागर मंथन द्वारा (दूध का सागर ) देवता (भगवान) और असुर (राक्षस) अमृत पाकर अमर होना चाहते थे । इस विधि को मरुत मंथन कहा जाता है। भगवन विष्णु ने कुर्मा का रूप (कछवा ) लिया और मंथरा पर्वत की मदद की मंथन की रॉड बनकर, जबकि सर्पो के राजा वासुकि ने मंथन की रस्सी बनकर मदद की।
देवता और राक्षसो ने सागर मंथन किया। दिन रात में बदल गए और रात महीने में बदल गए और महीने साल में बदल गए फिर भी देवताओ और राक्षसो ने सागर मंथन जारी रखा। यह मंथन कई हजार सालो तक चला | अब इसमें कई कीमती और हानिकारक चीजे प्रदर्शित होने लगी । कुल मिला कर १४ कीमती तोहफे जिससे "१४ रत्न" बाहर आये। वह थे रम्भा ,धनु ,विष ,धन्वन्तरि ,वारुणी , कल्पद्रुम , एलिक्सिर , शशि , शंख , मणि , गजराज ,धेनु ,बज, श्री लक्ष्मी , ज़हरीला विष (हलाहल) भी बाहर आया जिससे भगवान् शिव ने पिया और नीलकंठ महादेव बन गए। धन और सम्पन्नता की देवी माँ लक्ष्मी से भगवन विष्णु की शादी हुई |
लक्ष्मी जी का रूप
उनके चित्रो में वह नारी के रूप में दर्शायी गयी है ,और उनके चार हाथ है। वह एक सुनहरा अस्तर के साथ लाल कपड़े पहनती है , और एक कमल पर खड़ी रहती है। उनके हाथ में सोने के सिक्को से भरा एक घड़ा है और दुसरे हाथ में कमल का फूल है । माँ लक्ष्मी पर दो या चार हाथी सोने के घड़ो से पानी छिनकते है और माँ के बाजु में खड़े रहते है। इनके एक हाथ में कलश और उसके ऊपर श्रीफल (नारियल ) है .
लक्ष्मी जी की सवारी : माँ लक्ष्मी की सवारी हाथी और उल्लू है .
लक्ष्मी जी का परिवार
समुन्द्र की बेटी और भगवान विष्णु की जीवन संगिनी . इसके साथ ही लक्ष्मी जी एक बहिन भी है जिसका नाम अलक्ष्मी (दरिद्रता ) है . रविवार के दिन पीपल के पेड़ में अलक्ष्मी का वास होता है अत: रविवार को पीपल की पूजा नही की जाती है .
लक्ष्मी जी के अवतार
लक्ष्मी की विष्णु भगवान की अर्धागिनी है और जब जब विष्णु भगवान पूर्ण अवतार लेकर इंसान के रूप में आते है तो माँ लक्ष्मी भी अवतार लेकर उनका साथ देने आती है .
त्रेता में श्री राम का साथ देने वो स्वयं सीता बन कर आई थी
द्वापर में वो श्री कृष्ण का साथ देने रुक्मिणी बन कर आई .
लक्ष्मी जी को प्रिय
माँ लक्ष्मी का प्रिय वार है शुक्रवार , इसके अलावा हर पूर्णिमा का दिन इनकी पूजा के लिए सबसे बड़ा है . दीपावली और शरद पूर्णिमा का दिन भी लक्ष्मी जी की पूजा का माना गया है .
लक्ष्मी जी की पूजा में उन्हें प्रिय चीजे है कमलगट्टा , लाल कपड़ा , रोली , श्रीफल , पीली कौड़ी , कमल का पुष्प ,
यहा इस बता का विशेष ध्यान रखे कि माता लक्ष्मी की मूर्ति या फोटो में लक्ष्मी जी बैठी हुई अवस्था में हो . क्योकि बैठी अवस्था में माँ लक्ष्मी स्थाई होती है .
क्यों लक्ष्मी जी को धन की देवी कहा जाता है ?
माँ लक्ष्मी जी जब समुन्द्र से अवतरित हुई थी तो उनके हाथो में स्वर्ण कलश था जिसमे से सोने के सिक्के बरस रहे थे , ऐसा कहा जाता है कि इस कलश के सिक्के कभी खत्म नही होते है और अनंत है . इस तरह धन बरसाने वाली देवी के रूप में माँ लक्ष्मी को माना जाता है .
दूसरा कारण यह भी है कि माँ लक्ष्मी जी विष्णु की संगिनी है जो पालनकर्ता है और पालनकर्ता के रूप में यह जीवन जीने के लिए अन्न धन देती है .
लक्ष्मी और महालक्ष्मी में अंतर
ऐसा कहा जाता है कि लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू है .
जबकि महालक्ष्मी धन की देवी है जिनका वाहन सफ़ेद हाथी है .
लक्ष्मी जी के आठ रूप
माता लक्ष्मी जी के आठ रूप बताये गये है जो है .
- आदिलक्ष्मी
- धन लक्ष्मी
- धान्यलक्ष्मी
- गजलक्ष्मी
- संतानलक्ष्मी
- वीरलक्ष्मी
- विजयलक्ष्मी
- विद्यालक्ष्मी
सारांश
- इस आर्टिकल में हमने जाना कि धन की देवी लक्ष्मी जी से जुड़ी 10 जरुरी बातें कौनसी है और कैसे माँ लक्ष्मी का अवतरण हुआ , इनका परिवार कौनसा है आदि . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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