एकादशी और द्वादशी श्याम बाबा के लिए

Ekadashi Dwadashi Khatu Shyam ji Importance . खाटू श्याम जी के महा दान शीश के दान के कारण भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें द्वापर युग में घर घर उनके नाम श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया और आज हम देख रहे है बाबा श्याम के नाम का डंका भारत और विदेश में हर जगह बज रहा है | हजारो मंदिर बाबा के नाम से बन चुके है | व्रत-उपवास करने के विभिन्न महत्व और नियम जाने | यह दिन वैष्णव संप्रदाय में सर्वश्रेष्ठ और अतिफलदायक माना गया है |

एकादशी द्वादशी का महत्व खाटू श्याम जी

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श्याम बाबा का सबसे मुख्य दिन :

हम अपने आराध्य देव श्री खाटू नरेश का मुख्य दिन शुक्ल पक्ष एकादशी का मानते है जिसे ग्यारस के नाम से पूजा जाता है | और उसके बाद आने वाला द्वादशी के दिन इनकी ज्योत लेकर भोग में चूरमा बाटी का भोग लगाते है | साल में 12 शुक्ल एकादशी आती है और उन दिनों में लाखो भक्त खाटू मंदिर में आकर बाबा श्याम के दर्शन करते है और सौभाग्य की कामना मांगते है . 

खाटू श्याम जी की महिमा


क्यों एकादशी का दिन श्याम बाबा का प्रिय है |

वैष्णव मत के अनुचर श्री विष्णु भगवान को पूजते है और उन्ही के रूप श्री कृष्ण की पूजा करते है | भगवान विष्णु के पूजन का सबसे मुख्य दिन एकादशी को माना जाता है | भगवान खाटू श्याम कृष्ण के वरदान के कारण ही पूजे जाते है इसलिए भी इनका मुख्य दिवस ग्यारस मानी गयी है | 

श्याम जन्मोत्सव

खाटू श्याम जी मंदिर में कार्तिक शुक्ल एकादशी की की श्याम बाबा क शीश को दर्शनार्थ सुशोभित किया गया था | इसी कारण इस दिन श्याम बाबा का जन्मदिवस भी मनाया जाता है |

shyam cake birthday


श्याम बाबा के द्वादशी के दिन का महत्व :

यह कहा जाता है की श्याम बाबा ने अपना शीश का दान फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को दिया था और फिर महाभारत के युद्ध को देखने के लिए न्यायधीश बने | इस महाबलिदान के कारण ही इस दिन बाबा श्याम की ज्योत लेकर उन्हें चूरमे , खीर का भोग लगाया जाता है |

ऐसा भी कहा जाता है कि फाल्गुन द्वादशी के दिन ही कलियुग में इनका शीश श्याम कुंड से प्रकट हुआ था और यह उनका प्राकट्य दिवस के रूप माना जाता है . यही कारण है इस तिथि के पहले 10 दिनों तक खाटू श्याम जी मेला भरता है . 

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