बैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व , पौराणिक कथा और व्रत और पूजन विधि
वैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व
Baikunth chaturdashi story in hindi and importance कार्तिक मास की देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु चार माह बाद अपने शयन से उठते है और उसके बाद अपने परम आराध्य परब्रहम शिव की उपासना में लग जाते है | अत: इस दिन की गयी भक्ति शिव और विष्णु दोनों की कृपा प्रदान करने वाली बताई गयी है |
भगवान विष्णु ने पुराणों के माध्यम से बताया है कि जो नर नारि कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी अर्थात बैकुण्ठ चतुर्दशी को सच्ची श्रद्धा भावना से विष्णु भगवान की पूजा अर्चना करेंगे , उन्हें मृत्यु के बाद वैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी |
उन्होंने अपने द्वारपाल जय-विजय को व्यक्तियों के वैकुंठ धाम में प्रवेश का कार्य दे रखा है | अत:जीवन के बाद बैकुंठ लोक में श्री हरि के चरणों की प्राप्ति के लिए इस दिन विष्णु भक्ति का महत्व अत्यंत है |
2023 में कब आएगी बैकुंठ चतुर्दशी?
इस साल 2023 में बैकुंठ चतुर्दशी 10 नवम्बर रविवार के दिन आ रही है |
बैकुंठ चतुर्दशी पर विष्णु ने किया शिव पूजन , मिला सुदर्शन चक्र
पुराण कथाओ के अनुसार विष्णु भगवान शिव के पूजन के लिए एक बार काशी नगरी आये | उन्होंने मणिकर्णिका घाट पर एक हजार स्वर्ण कमल पुष्पों से भगवान विश्वनाथ के की पूजा अर्चना शुरू की | शिवजी ने उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से एक कमल कम कर दिया | विष्णु भगवान् ने जब एक कमल कम पाया तो उन्होंने अपनी प्रखार भक्ति में अपने एक नयन को शिवजी को चढाने के लिए आगे बढे |
तभी महादेव ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया | उन्होंने विष्णु भगवान् की भक्ति की अत्यंत प्रशंसा की | उन्होंने विष्णु भगवान को करोड़ों सूर्यों की कांति के समान वाला सुदर्शन चक्र भेंट किया |
साथ ही उन्होंने यह वरदान दिया कि आज के दिन ("बैकुंठ चतुर्दशी") के दिन जो व्यक्ति आपके लिए व्रत करेगा और आपका भक्तिमय पूजन करेगा उसे आपका धाम प्राप्त होता |
सारांश
- तो मित्रो आपने जाना की वैकुण्ठ चतुर्दशी का क्या महत्व है और इसमे कौनसी व्रत कहानी और पूजन किया जाता है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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