अन्नकूट पर्व और गोवर्धन पूजन की महिमा
भारत के सबसे बड़े त्यौहार दिवाली के अगले दिन अन्नकूट पर्व मनाया जाता है | इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है | मंदिरों में तरह तरह के भोग बनाकर देवी देवताओ के प्रसाद चढ़ाकर भक्तो में वितरित किया जाता है | कही कही भगवान को 56 भोग चढाने का महत्व अत्यंत रहता है | उसके बाद यह प्रसाद संध्या पर भक्तो में वितरित कर दिया जाता है |
8 बार दिन में खाने वाले बाल कृष्ण ने इंद्र के कोप से उत्पन्न भीषण वर्षा से सम्पूर्ण ब्रज को गोवर्धन पर्वत को उठाकर बचाया था | यह क्रम लगातार 7 दिन तक चला और फिर दीपावली के अगले दिन खत्म हुआ | अत: 8*7 =56 तरह के व्यंजन से भगवान कृष्ण को खाना खिलाया गया को बाद में 56 भोग के रूप में प्रसिद्ध हुआ | कृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत के सभी ब्रजवासी आभारी रहे और फिर शुरू हुआ इस दिन से इस पर्वत की पूजा की प्रथा |
गोवर्धन पूजा 2023
इस साल गोवर्धन पूजा 13 नवम्बर को है . गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है . इस दिन से कार्तिक मास का शुक्ल पक्ष शुरू होता है .
इस साल 2023 में गोवर्धन पूजा का समय है सुबह 4 बजकर 18 मिनट से 8 बजकर 43 मिनट तक है.
घर में कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा :
यह पर्व प्रकृति के साथ व्यक्ति के सम्बन्ध और आभार को प्रकट करता है | गोवर्धन पर्वत प्रकृति को दर्शाता है . पर्वत पीने लायक जल को देने वाले है , यहा वे पशुओं को खाने का चारा देते है और वर्षा कराने में सहायक होते है . यहा ब्रज के गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परम्परा है | घर की स्त्रियाँ सुबह जल्दी नहा कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेती है | फिर घर के बाहर मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है | यह एक लेटे हुए देवता की प्रतिकृति के रूप में बनाया जाता है .
फिर इसे फूलो और गन्ने से सजाया जाता है .
इस पर रुई करवे से पूजा करके बतासे और चावल के खील का भोग लगाते है , फल मिठाई चढाते है और ऊपर एक दीपक प्रज्जवलित करते है | गाँव में पशुओ को नहला कर उनकी भी इस दिन पूजा की जाती है |
इसके बाद महिलाये इस गोवर्धन जी के परिक्रमा करती है . परिक्रमा करते करते हर परिक्रमा के बाद इसमे जौ को बोया जाता है . साथ ही परिक्रमा करते करते लोटे से जल भी हल्का हल्का गिराया जाता है .
ऐसी मान्यता है कि गोवर्धन भगवान की पूजा करने से अच्छी फसल , अच्छे पालतू जीव , अच्छा मौसम और धन वृधि होती है .
शाम को होता है मंदिरों में अन्नकूट प्रसादी
गोवर्धन की शाम को फिर मंदिरों में अन्नकूट प्रसादी का आयोजन किया जाता है . यह प्रसादी भगवान को भोग लगाकर लोगो को बांटी जाती है . इसमे गेंहू बाजरा मोठ जैसे कई अन्न और बहुत सी सब्जियां काम में ली जाती है .
कढ़ी का इसमे मुख्य रोल होता है . यह प्रसाद बहुत ही स्वादिष्ट होता है और परस्पर प्रेम को दर्शाता है .
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