कृष्ण क्यों कहलाते है रणछोड़ , क्यों इस नाम से उनका एक मंदिर गुजरात में है ? 


Ranchhod Krishna Story . कृष्ण भगवान का एक नाम रणछोड़ भी है जिसका अर्थ है युद्ध से भागने वाला . यह नाम बहुत से भक्तो को पसंद नही है क्योकि इससे लगता है कि कृष्ण भगवान जो की त्रिलोकी नाथ है वो कायर या डरपोक है .
पर ऐसा बिलकुल नही है . कृष्ण अपने समय के बहुत बड़े कूटनीतिज्ञ थे और उनके फैसले जनहित के लिए हुआ करते थे .

रणछोड़ मंदिर की जानकारी


आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से बताएँगे वो कहानी जिसके कारण कृष्ण को रणछोड़ पुकारा जाने लगा और उसके पीछे की सच्चाई .

कृष्ण के रणछोड़ बनने की कहानी 

आप सभी जानते है कि कृष्ण का जन्म द्वापर में कई दैत्यों , राक्षसों और पापियों का संहार करने के लिए हुआ था . उसमे से एक था कंस . जब कृष्ण ने कंस का वध किया और अपने नाना को फिर से मथुरा का राजा बना दिया तो जरासंध ने कई बार मथुरा पर हमले किये पर हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा .

उसके बाद जरासंध ने असूर कालयवन का साथ लिया जो महा शक्तिशाली था . मथुरा पर बार बार संकट के बादल छाने के कारण कृष्ण ने यही विचार किया कि वो मथुरावासियों को लेकर ऐसी जगह चले जाए जहाँ शांति हो और वो पर्वत या किसी समुन्द्र के किनारे हो .

इसी सोच से वो द्वारिका आये जो समुन्द्र के किनारे और रैवताचल पर्वत के पास थी .

इसके बाद शिल्पकारियों द्वारा भव्य द्वारिका नगरी बसाई गयी और मथुरा वासी वहा शांति से रहने लगे .

उधर कृष्ण ने अपनी लीला दिखाई और मथुरा में कालयवन के सामने जाकर भागने का नाटक किया . कालयवन भी कृष्ण के पीछे भागने लगा .

रास्ते में राजश्री मुचुकुन्द सो रहे थे , उनके पास पहुँच कर कृष्ण गायब हो गये और कालयमन को लगा कि ये ही कृष्ण है और वो उन पर वार पे वार करने लगा .

तब महाबली मुचुकुन्द की नींद टूटी और गुस्से ने उन्होंने जब उस कालयमन को देखा तो भस्म में बदल गया . तब उसके बाद श्री कृष्ण ने मुचुकुन्द को दर्शन दिए . मुचुकुन्द कृष्ण को देखकर आन्दित हो गये और फिर कृष्ण अपनी द्वारिका लौट गये .

द्वारिका में उन्होंने फिर से महाराज उग्रसेन को राजा बना दिया .

जानिए भगवान कृष्ण को क्यों कहा जाता है छलिया, कौनसे किये थे छल 

गुजरात में है रणछोड़ जी का मंदिर 

गुजरात में रणछोड़ जी का मंदिर द्वारका के पास डाकोर में  है . यह परकोटे से घिरा हुआ है और सात मंजिल का है . इस मंदिर के शिखर पर एक विशालकाय ध्वजा हमेशा लहराती है . आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस ध्वजा में एक थान से भी ज्यादा कपडा काम में लिए जाता है .

रणछोड़ जी मंदिर

इस मंदिर में कृष्ण की श्याम रंग प्रतिमा है जिनके होठो के पास बंसी सजी हुई है . 

डाकोर जी मंदिर द्वारका


कृष्ण को प्रिय है ये पांच चीजे 

कैसे पहुँचे रणछोड़ मंदिर ?

सबसे पहले तो आप गुजरात के मुख्य शहरों से डाकोर की दुरी जान ले . अहमदाबाद से डाकोर 82 किमी की दुरी पर है . वड़ोदरा से डाकोर की दुरी 72 किमी की है .

१. वायु मार्ग – अहमदाबाद एयरपोर्ट से डाकोर 82 किलोमीटर दूर स्थित है. जहाँ से बस या टैक्सी द्वारा डाकोर पहुँचा जा सकता है.

२. रेल मार्ग – आनंद रेलवे स्टेशन से डाकोर 33 किमी दूर है. जहाँ से बस या टैक्सी द्वारा डाकोर पहुँचा जा सकता है.

पर यहा आपको कम ट्रेन ही लेकर आएगी , अत: आप वड़ोदरा और अहमदाबाद तक ट्रेन से आकर फिर बस या कार द्वारा भी जा सकते है . 

३. सड़क मार्ग – अहमदाबाद और वड़ोदरा सहित कई शहरों से डाकोर के लिए बस सेवा उपलब्ध है.

हिन्दू धर्म में एकादशी का महत्व है बहुत ज्यादा

सारांश 

  1.  तो कृष्ण को कहते है रणछोड़ ? क्यों भागे थे कृष्ण युद्ध का मैदान छोड़ कर .  साथ ही हमने आपको बताया कि रणछोड़ मंदिर कहाँ है और इसके पीछे की क्या कहानी है.  आशा करता हूँ कि आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा . 

लड्डू गोपाल जी की पूजा विधि सेवा और देखभाल

Post a Comment

Previous Post Next Post