राधे अष्टमी के दिन का महत्व और कैसे करे इस दिन राधा जी की पूजा
हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु को जगतपालनकर्ता कहा जाता है . भगवान विष्णु ने जगत कल्याण के लिए समय समय पर कई बार अवतार लेकर अधर्म पर धर्म की जीत करवाई है . त्रेता में वो राम बनकर आये तो रावण का वध हुआ और फिर द्वापर में कृष्ण बन कर आये तो कंस मारा गया . इस कृष्ण के अवतार में उनकी सबसे खास गपि थी राधा रानी जो बरसाने में जन्मी थी और श्री कृष्ण से कुछ साल बड़ी थी .
कृष्ण के साथ राधे की भी पूजा आज भी मंदिरों में की जाती है . ऐसा भी कहा जाता है कि राधे कृष्ण का ही रूप थी और लक्ष्मी का अवतार थी . जो राधे राधे करता है उसकी कृष्णा जरुर सुनते है .
राधे का जन्मोत्सव भी कृष्ण जन्माष्टमी के ही महीने भाद्रपद में मनाया जाता है .
राधे अष्टमी शुभ मुहूर्त
हर साल राधे का जन्मोत्सव भाद्रपद मास की शुक्ल अष्टमी को मनाया जाता है . इस साल राधे अष्टमी का दिन 23 सितम्बर शनिवार को आ रहा है .
कब से कब तक राधे अष्टमी का दिन
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 23 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी .
चुकी सूर्य का उदय काल 23 सितम्बर को है अत: राधे अष्टमी (Birthday Of Radhe Rani ) 23 को ही मनाई जाएगी .
बरसाने में होती है धूम
राधे जी की जन्मस्थली बरसाने में है अत: देश में सबसे ज्यादा धूम राधे अष्टमी को बरसाने में होती है . इस दिन बड़ी धूम धाम से किशोरी जी राधे की पूजा अर्चना भगवान श्री कृष्ण के साथ की जाती है . देश भर से लोग राधे जी के दर्शन करने बरसाने में आते है .
ऐसा कहा जाता है कि राधे राधे के जाप करने से श्री कृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते है और जपकर्ता को शीघ्र ही उसका फल देते है .
कैसे करे राधा अष्टमी पर पूजा
इस दिन ब्रहम मुहूर्त में उठकर राधे राधे नाम का जप करके दिन की शुरुआत करनी चाहिए . इसके बाद नित्यकर्म से निवृत होकर साफ़ सुथरे कपडे पहने .
इस दिन बहुत से भक्त राधे अलबेली सरकार के लिए व्रत भी रखते है , यदि आप चाहे तो आप भी व्रत रख सकते है .
सुबह शाम राधे कृष्णा के मंदिर में जाकर उन्हें फुल , फल और वस्त्र चाहे और राधे चालीसा और राधे की आरती गाये .
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