पितरो की विदाई कैसे की जाती है
पितृ पक्ष में सम्पूर्ण सम्मान देने के बाद पितरो को पूर्ण आदर भाव से श्रद्धापूर्ण विदाई की जाती है | विदाई वाला दिन सर्व पितृ अमावस्या की रात्रि मानी जाती है | इसे पितृ विसर्जन दिन भी कहा जाता है . इनके नाम से दीपदान ज्योति से इन्हे खुशी खुशी विदा किया जाता है |
श्राद्ध पक्ष में पहले ही आपको पितरो का तर्पण , ब्राह्मण भोज और पितृ पक्ष पूजा विधि जैसे कार्य पूर्ण कर लेने चाहिए |
कैसे करते है पितरो की विदाई
विधि अनुसार किसी नदी तट पर इनके नाम से चौदह दीप जलाकर उन्हें बहते पानी में छोड़ दिया जाता है |
और उन्हें याद करके विदा किया जाता है |
ध्यान रहे आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर हो और जाने अनजाने कोई गलती हुई हो तो उसकी माफ़ी मांग ले |
अपने और अपने परिवार के मंगलमय आशीष मांगे |
यदि आस पास में नदी नही हो तो यह कार्य आप पीपल के पेड़ पर भी कर सकते है | पीपल के पेड़ के निचे भी आप चौदह दीप प्रज्वलित कर अपने पितरो से भूल चुक माफ़ी मांगे और आशीष की कामना करे |
पितरो से जुड़े यह लेख भी जरुर पढ़े
सर्व पितृ दोष अमावस्या का पितरो के लिए महत्व
पितरो की तस्वीर लगाने से जुड़े मुख्य नियम
सारांश
- तो दोस्तों इस पोस्ट में आपने जाना कि कैसे हम पितरो की विदाई कर सकते है जिसे पितृ विसर्जन कहा जाता है . पितरो को पूर्ण सम्मान और प्रेम भाव से विदा किया जाता है जिससे की वो हम पर अपनी कृपा बनाये रखे . आशा करता हूँ कि आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा .
Post a Comment