जानिए भगवान कृष्ण को क्यों कहा जाता है छलिया।

Krishna Betrayed Many Times In Mahabharata पृथ्वी पर भगवान कृष्ण का जन्म, बुराई का नाश करने और शांति व धर्म की स्थापना करने के लिए हुआ था। उन्हें भगवान विष्णु के अवतार बताया गया है | उनका मानना था कि जो व्यक्ति, सच्चाई की राह पर चलता है वह सदैव जीत हासिल करता है। लेकिन अगर आप पाप का अंत करना चाहते हैं तो उसके लिए पाप न करें। महाभारत में शुरू लेकर अंत तक भगवान कृष्ण की भूमिका काफी अहम रही है।

कृष्णा क्यों है छलिया


अगर महाभारत का बारीक अध्ययन करें तो धर्म और सत्य का संदेश देने वाले भगवान कृष्ण ने भी कई जगह धोखे और प्रवंचना का सहारा लिया और पांडवो को जीत दिलवाई। भगवान कृष्ण द्वारा महाभारत में किया गये धोखे के कारण ही उन्हें छलिया कहा जाता है | वे परम कूटनीतिज्ञ थे जिन्होंने पांडवों की विजयश्री के लिए कूटनीति का बार बार सहारा लिया था | हालाकि धर्म की जीत के लिए और अच्छे परिणाम के लिए की गयी कूटनीति गलत नही होती है . 

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गोपियों के साथ छल 

कहते है कि जब कान्हा कंस वध से पहले गोकुल में रहते थे तो यमुना नदी के किनारे बहुत से गोपियों के साथ रास रचाते थे . गोपियाँ उनके प्रेम में इतनी समर्प्रित थी वे अपना सुध बुध खो कर कान्हा को चाहती थी . जब फिर कृष्ण मथुरा गये और कंस का वध करके मथुरा के राजा बन गये तो उन्होंने फिर उन गोपियों से मुलाकात नही की . यही कारण था कि गोपियाँ उन्हें छलिया कहने लगी . 

भीष्म की हत्या

भीष्म एक अद्वितीय तीरंदाज थे और अर्जुन के पास ऐसा ज्ञान नहीं था कि वे उन्हे पराजित कर सकें। पांडवो और भगवान कृष्ण को यह बात मालूम थी , भीष्म कभी महिलाओं पर वार नहीं करते थे। ऐसे में उन्होने इसी बात का लाभ उठाया और शिखंडी को उनके सामने युद्ध करने के लिए खड़ा कर दिया। जबकि महिलाओं का युद्ध करना मना था लेकिन चूंकि उसका जन्म महिला के रूप में हुआ था और वह एक योद्धा थी, इसलिए उस पर रोक नहीं लगी।

द्रोणाचार्य की हत्या

यह सर्वविदित है कि द्रोणाचार्य सभी के गुरू थे, उन्हे हराना नामुमकिन था। ऐसे में उनका वध एक चुनौती था। कृष्ण ने उनके वध के लिए एक चाल चली और भीम से अश्वथामा नाम के हाथी को मरवा दिया। इस पर पांडव ने चिल्लाकर बोला कि अश्वथामा मारा गया और उनके हाथ से धनुष बाण छूट गया। इस प्रकार, भगवान कृष्ण की चालाकी से द्रोणाचार्य का वध हो गया।

जयद्रथ की हत्या

जयद्रथ ने अभिमन्यु का वध कर दिया था जिससे आहत होकर अर्जुन ने कहा था कि वो एक विशेष धनुष से संध्या तक जयद्रथ का वध कर देंगे वरना खुद के प्राण त्याग देंगे। सूर्य अस्त से पहले जयद्रथ को अर्जुन नहीं मार पाएं तो अग्नि में जलने की तैयारी करने लगे । तभी भगवान कृष्ण ने अपने हाथों से ढके सूर्य को हटा दिया और जयद्रथ के सामने आते ही अर्जुन ने उसे मार डाला, क्योंकि वो सुबह से छुपकर बैठा था।

अर्जुन को बचाने के लिए घटोत्कच का इस्तेमाल

भगवान कृष्ण जानते थे कि कर्ण का सबसे बड़ा दुश्मन, अर्जुन थे। और अर्जुन ही उसे मार सकते हैं। ऐसे में कृष्ण ने घटोत्कच को दुर्योधन पर आक्रमण करने को कहा, ताकि कर्ण अपनी सारी शक्ति अपने मित्र को बचाने में लगा दें। इस तरह अर्जुन बच जाएगा और कर्ण की वास्तविक  शक्ति का अंत हो जाएगा।

कर्ण की हत्या

कर्ण की हत्या भी एक प्रकार का धोखा है। जब कर्ण, रथ पर ऊपर था तो अर्जुन ने उसके रथ पर नीचे की ओर वार किया और रथ को जमीन में गाड़ दिया। जब कर्ण उसे निकालने उतरा तो वह निहत्या था, उसी समय उसे सोचने समझने का मौका दिए बिना अर्जुन ने उसका वध कर दिया। इस प्रकार कर्ण, कृष्ण की चाल से मारा गया।

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बर्बरीक से शीश दान

भीम का पौत्र और सबसे बड़ा धरुर्धर वीर बर्बरीक जब हारे का सहारा (कौरवों का साथ ) बनने युद्ध भूमि की तरफ निकला तब कृष्ण ने उसे रोकने के लिए उसका शीश सुदर्शन से काट दिया | कृष्ण ही उनके गुरु थे और यह शीश विच्छेद धर्म की जीत के लिए हुआ था

कृष्ण बर्बरीक


 अत: कलियुग में कृष्ण ने बर्बरीक को अपना नाम श्याम दिया और घर घर में पूजने का वरदान भी दिया | आज राजस्थान के खाटू में श्याम बाबा का बहुत प्रसिद्ध मंदिर इस्तिथ है जिसे हारे के सहारे का मंदिर बोला जाता है |

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