पितृ देवी देवता कौन है
पितृ हमारे ही कुल के पूर्वजो की आत्माए है जो ईश्वर को प्यारे हो चुके है | यह पितृ लोक में वास करती है पर इनका ध्यान हम्हारे घर के सभी सदस्यों पर भी होता है | हमें कभी भी उन्हें भुलाना नहीं चाहिए क्योकि हमारा अस्तित्व उन्ही से ही है |
यह माता पिता तुल्य ही है और इनका हर शुभ कार्य और अमावस्या में ध्यान और पूजन करना चाहिए | इनकी सेवा करना भगवान विष्णु की सेवा करने तुल्य है | यह घर के बड़े होते है और मान सम्मान की लालसा रखते है | श्राद्ध पक्ष में पूजा विधि से इनकी पूजा की जानी चाहिए और पितरो को तर्पण विधि से करने पर इन्हे मोक्ष की प्राप्ति होती है |
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पितृ लोक क्या है ?
जैसे मनुष्य मनुष्य लोक में रहता है वैसे ही पुण्य आत्माए पितृ लोक में रहती है | मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है, पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इनसे उपर स्वर्ग लोक है| आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं |
कर्म जितने अच्छे होते है उन्हें उसी तरह ऊपर का लोक प्राप्त होता है | इन सब में सबसे अच्छा लोक स्वर्ग लोक माना जाता है |
आपके घर में पितृ हो तो ध्यान रखे इन बातो का :
- हर मांगलिक कार्यो में ध्यान रखकर इन्हे श्रद्दा से याद करे , कभी भी इन्हे भुलाना नही चाहिए . ये तो सिर्फ आपके प्रेम के भूखे होते है .
- हर अमावस्या को इनके भोग लगाये , इनके लिए पीपल में जल चढ़ाये और पितृ शांति की विनती करे .
- हर दिन इनके नाम का दीपक जलाये
- हर शनिवार की शाम पीपल जी के पेड़ पर सरसों का दीपक जलाकर नामो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करे .
- श्राद्ध पक्ष में इनकी उचित तिथि पर श्राद्ध निकाले और दान दक्षिणा करके ब्राहमणों को भोजन कराये .
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