गया का विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला – 17 दिन के मेले में आते है लाखो लोग
Pitra Paksh Fair Festival In Gaya Dham धार्मिक शास्त्रों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में पिंडदान , तर्पण , ब्राह्मण भोज और दान का महत्व बताया गया है | 16 दिन के श्राद्ध पक्ष में मृत्यु के देवता यमराज पितृ लोक का दरवाजा खोल देते है जिससे की पितृ अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सके | दिवंगत पूर्वजनो की आत्मा की संतुष्टि के लिए मोक्षधाम गया जी का अत्यंत महत्व है | यहा पितृ पक्ष में 17 दिन का महा मेला भरता है जिसमे देश विदेश से लाखो भक्त अपने पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए यहा आते है | इस साल 2023 में पितृ पक्ष (श्राद्ध के दिन ) 28 सितम्बर से 14 अक्टूबर तक है .
जबकि गया जी में पितृ पक्ष के मेला 29 सितम्बर से चलेगा .
जिस तरह नदियों में गंगा सबसे पवित्र है वैसे ही पूर्वजो कि शांति के लिए तीर्थ धामों में गया सबसे उत्तम माना गया है | यहा पितृ पक्ष में बहुत सारे श्रद्दालु दूर दूर से आते है | अत: अब इसने मेले का रूप धारण कर लिया है |
श्राद्ध के लिए ऑनलाइन बुकिंग भी की जा सकती है |
कैसा रहेगा पितृ पक्ष का मेला
मेले क्षेत्र में सैकड़ो CCTV कैमरे लगाये गये है जिससे कि मेले कि निगरानी अच्छे से रखी जा सके | लोगो कि तादाद को देखते हुए 16 स्वास्थ्य केन्द्रों का भी निर्माण किया गया है | जगह जगह मेले से जुड़े बैनर और बोर्डिंग लगाये गये है |
शहर के 21 स्कूल बाहर से आने वाले लोगो के रहने के लिए काम में लिए जा रहे है | इसके कारण 15 हजार स्टूडेंट्स को २० दिन कि छुट्टी दे दी गयी है |
ई पिंड दान की व्यवस्था भी
यदि आप खुद आकर गया जी में अपने के लिए पिंड दान नही कर सकते है तो आपके चाहने पर गया जी में एक प्रतिनिधि आपकी तरफ से पुरे कर्म काण्ड के साथ पिंड दान कर देगा . सबूत के लिए पूरा विडियो बनाकर आपको भेजा जायेगा . आप यह ऑनलाइन बुक करवा सकते है .
इसके लिए आप ऑफिसियल लिंक पर क्लिक करके पूरी जानकारी ले सकते है .https://pitrapakshagaya.in
दशरथ ने पुकारा था श्री राम को यहा
इस मोक्षधाम का सम्बन्ध रामायण की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है | लंका विजय के बाद जब श्री राम ,सीता और लक्ष्मण अपने पुष्पक विमान से अयोध्या लौट रहे थे | बीच में बिहार का गया धाम जब आया , तब वहा स्तिथ पहाड़ी में से उन्हें आवाज आई कि पुत्र राम , तुम गया कि मोक्षदायिनी नगरी से मेरा श्राद्ध कर मुझे मोक्ष कि प्राप्ति करवाओ | तब श्री राम ने सीता संग दशरथ जी का पिंडदान करवाया था |
पिंडदान की दो मुख्य जगहे
गयाजी तीर्थ में आये व्यक्ति या तो पिंडदान के लिए पुनपुन नदी में या फिर गोदावरी सरोवर में पिंडदान कर सकते है . यदि आप पुनपुन नदी तक नही जा सकते है तो फिर आप गया में स्तिथ गोदावरी सरोवर में पिंड दान कर दे .
गया का नामकरण गयासुर से
पुराणों के अनुसार गया में गयासुर नाम के एक राक्षस ने घोर तपस्या करी थी | इस कारण उसके नाम पर गया का पवित्र तीर्थ स्थल बन गया | गया राक्षस की पीठ पर एक विशाल शीला को रखा गया है जिसे प्रेत शीला कहा जाता है | यहा जो व्यक्ति श्राद्ध के दिनों में हवन , पूजा और श्राद्ध करते है , उनके पूर्वजो को मोक्ष कि प्राप्ति होती है |
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