आश्विन मास का महत्व और इसमे आने वाले व्रत त्योहार
हिन्दू पंचांग के अनुसार सातवा मास आश्विन का होता है . इसमे पितरो के श्राद्ध के दिन फिर 9 दिन के बड़े नवरात्रे , रावण संहार दिवस के रूप में दशहरा और फिर शरद पूर्णिमा के बड़े पर्व शामिल है .
हमारे हिन्दू धर्म में आश्विन मास का अत्यंत महत्व है . यही वो मास है जो सूर्य की गर्मी धीरे धीरे थोड़ी कमजोर होने लगती है और सर्दियां शुरू होना शुरू हो जाती है .
आश्विन मास में क्या ना करे
आश्विन मास में कुछ चीजे खाने से परेज रखना चाहिए जैसे कि प्याज , लहसुन , करेला , लौकी , मुली , सरसों आदि नही खाने चाहिए .
कहते है आश्विन मास में भी दूध और दूध से बनी चीजो का सेवन कम से कम करना चाहिए .
इस महीने में किसी से बैर या किसी पर क्रोध ना करे .
आश्विन मास का महत्व
इस महीने की शुरुआत पितरो के दिनों से होती है जो 14 दिन तक चलते है जिसे हम पितृ पक्ष कहते है . कहते है कि इन चौदह दिनों तक पितृ लोक के दरवाजे धरती के लिए खुल जाते है और पितृ देव धरती पर आकर अपने वंशजो से
तर्पण , श्राद्ध , दान और प्रेम समर्पण चाहते है .
पितृ पक्ष खत्म होने के आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या के अगले दिन से आश्विन नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है और अगले 9 दिन माँ दुर्गा की भक्ति में नवरात्रों के मनाये जाते है .
साल में वैसे तो चार नवरात्रि आते है पर सबसे बड़े नवरात्रे इन्ही दिनों को माने जाते है .
इसके बाद दशहरा आता है राम जी ने लंकापति रावण का वध करता है .
इसके बाद इसमे शरद पूर्णिमा आती है .
आश्विन मास में आने वाले पर्व और त्योहार
आइये एक नजर मारते है कि आश्विन मास में कब कौने पर्व और व्रत आ रहे है .
श्राद्ध पक्ष - 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर
शारदीय नवरात्रि - 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर
दशहरा - 24 अक्टूबर
शरद पूर्णिमा - 28 अक्टूबर
सारांश
- आश्विन मास का हिन्दू धर्म में महत्व और इसमे आने वाले पर्व और व्रत कौनसे है . जानिए सभी तारीख . आशा करता हूँ कि आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा .
Post a Comment