माला से मंत्र जप के 10 मुख्य नियम और विधि
Mantra Jap Ke Niyam . हमारे धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है की मंत्र जाप अपने आराध्य देवी देवता तक पहुँचने का एक मन से मार्ग है |
मंत्र का अर्थ : ” मन: तारयति इति मंत्र ” अर्थात् जो ध्वनि या कम्पन मन को तारने वाली हो वही मंत्र है | मन्त्र जाप करने से एक कम्पन उत्पन्न होता है जो हमारी प्रार्थना को प्रभु के करीब लेकर जाता है | मंत्र जप द्वारा आध्यात्मिक शारीरिक और मानसिक तीनो सुखो की प्राप्ति होती है | हमारे मन और नयन दिव्य होते है |
हमारे धर्म ग्रंथो , वेदों और पुराणों में सभी देवी देवताओ के अलग अलग मन्त्र बताये गये है जिनका पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से एकाग्रचित होकर जाप करने से उक्त देवी देवता को प्रसन्न किया जा सकता है | ध्यान रखे मंत्र तब ही सिद्ध और असरदार होगा जब वो सही विधि और उचित नियम से जाप किया जाये |
मंत्र जप के 10 नियम और विधि
यह आलेख उन सभी के लिए है जो मंत्र की शक्ति तो जानते है पर जप विधि में ध्यान नही दे पाते | मंत्र को कैसे सिद्ध करे और उसका पूर्ण लाभ उठाने के लिए ध्यान से पढ़े मंत्र से जुड़े मुख्य नियम | पढ़े : भगवान श्री राम के शक्तिशाली मंत्र जप
- मंत्र जप के लिए बैठने का आसन : मंत्र को सिद्ध करने के लिए और उसका पूर्ण लाभ उठाने के लिए सबसे पहले सही आसन का चुनाव करे | हमारे ऋषि मुनि सिद्धासन का प्रयोग किया करते थे | इसके अलावा पद्मासन , सुखासन , वीरासन या वज्रासन भी काम में लिया जा सकता है |
- समय का चुनाव : मंत्र साधना के लिए आप सही समय चुने | जब आप आलस्य से दूर और वातावरण शांत हो | इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त अर्थात् सूर्योदय से पूर्व का समय उपयुक्त है | संध्या के समय पूजा आरती के बाद भी जप का समय सही माना गया है |
- एकाग्रचित ध्यान : मंत्र जप करते समय आपका ध्यान और मन एकाग्रचित होना चाहिए | आपको बिल्कुल भी बाहरी दुनिया में ध्यान नही देना चाहिए | मन दूसरी बातो में ना लगे | जिस देवता का आप मंत्र उच्चारण कर रहे है बस उन्हें रूप का ध्यान करते रहे |
- मंत्र जाप दिशा : ध्यान रखे मंत्र का जाप करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए |
- माला और आसन नमन : जिस आसन पर आप बैठे हो और जिस माला से जाप करने वाले हो , उन दोनों को मस्तिष्क से लगाकर नमन करे |
- माला का चयन : आप जिस देवता के मंत्र का जाप कर रहे है , उनके लिए बताई गयी उस विशेष माला से ही मंत्र जाप करे | शिवजी के लिए रुद्राक्ष की माला तो माँ दुर्गा के रक्त चंदन की माला बताई गयी है | रुद्राक्ष की उत्पति की कहानी
- माला छिपाकर करे जाप : मंत्र उच्चारण करते समय माला को कपडे की थैली में रखे | माला जाप करते समय कभी ना देखे की कितनी मोती शेष बचे है | इससे अपूर्ण फल मिलता है |
- मंत्रो का सही उच्चारण : ध्यान रखे की जैसा मंत्र बताया गया है वो ही उच्चारण आप करे | मंत्र उच्चारण में गलती ना करे | मंत्र के उच्चारण को किसी सिद्ध पंडित से सीख ले . हालाकि मरा मरा बोलने से राम राम निकलता है पर सही तरीका तो राम राम बोलने से ही है .
- माला को फेरते समय : माला को फेरते समय दांये हाथ के अंगूठे और मध्यमा अंगुली का प्रयोग करे | माला पूर्ण होने पर सुमेरु को पार नही करे | सुमेरु का कार्य सिर्फ आपको यह बताना होता है कि आपने पुरे 108 नाम जप लिए है .
- एक ही समय : मंत्र जाप जिस समय पर आप कर रहे है अगले दिन उसी समय पर जाप करे | कहते है कि एक ही समय पर जप करने से उसका फल अत्यधिक मिलता है .
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