उज्जैन का प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर गोपाल मंदिर
Dwarkadhish Gopal Mandir Ujjain . उज्जैन की नगरी काशी के बाद सबसे बड़ी शिव नगरी कहलाती है , यहा विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर है तो पास ही है माँ पार्वती का हरसिद्धि मंदिर . काशी के कोतवाल भी काल भैरव और विक्रांत भैरव के रूप में अवंतिका में पूजनीय है .
उज्जैन के प्रसिद्ध मंदिरों में एक नाम है गोपाल द्वारकाधीश मंदिर का जो 300 साल से भी ज्यादा पुराना है .
कहाँ है गोपाल मंदिर
यह मंदिर महाकाल मंदिर से सिर्फ 10 मिनिट की दुरी पर शहर के मध्य भाग में मुख्य सड़क पर बड़ा बाजार चौक पर स्तिथ है . मंदिर के बाहर से ही कालेवर्ण वाले श्री कृष्ण के दर्शन हो जाते है . उनकी ठोड़ी पर एक बहुत ही महंगा हीरा चमकता है .
गोपाल मंदिर का इतिहास
उज्जैन के इस प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर का निर्माण आज से लगभग 300 साल पहले किया गया था . इस मंदिर का निर्माण उज्जैन के महाराजा दौलतराज सिंधियां की पत्नी बैजा बाई ने 1833 के आस पास करवाया था .
यहा के कृष्ण की मूर्ति का रूप द्वारकाधीश की तरह ही है अत: इसे द्वारकाधीश गोपाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है .
मंदिर का गर्भगृह सफ़ेद संगमरमर से बना है जबकि दरवाजे चांदी से बने हुए है . यहा का मुख्य द्वार चांदी से बना है जिसमे बहुमूल्य रत्न जड़े हुए है . कहते है कि यह द्वार सोमनाथ मंदिर में लगा हुआ था जिसने गजनी ने लुटा था और फिर उस गजनी से दौलतराज ने ले लिया था .
महाकाल की सवारी आती है मिलने कृष्ण से
वैकुण्ठ चौदस के दिन महाकालेश्वर मंदिर से महाकाल की सवारी गाजे बाजे के साथ निकलती है जो नगर भ्रमण करके इसी गोपाल मंदिर में श्री कृष्ण से मिलने मध्य रात्रि 12 बजे आती है . यह बहुत है देखने लायक होता है जब शिव रूपी महाकाल गोपाल रूपी कृष्ण से मिलने आते है .
यह पर्व हरिहर कहलाता है . हरि यानी विष्णु और हर अर्थात महादेव का मिलन .
इस पर्व पर कृष्ण और शिव भक्तो का मेला उज्जैन में उमड़ पड़ता है .
मुख्य पर्व
इस मंदिर में श्री कृष्ण से जुड़े मुख्य पर्व बड़ी धूमधाम से मनाये जाते है . श्री कृष्ण जन्माष्टमी , हरिहर पर्व और हर माह आने वाली एकादशी .
सारांश
- तो दोस्तों आपने जाना उज्जैन के गोपाल मंदिर के बारे में विस्तार से . साथ ही हमने बताया कि यह मंदिर उज्जैन में कहाँ है और किस कारण से प्रसिद्ध है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी
Post a Comment