उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर जहाँ मंगल दोष होता है शांत
Mangalnath Temple In Ujjain In Hindi | उज्जैन में मंगलनाथ का मंदिर .उज्जैन भारत के 7 मुख्य प्राचीन धार्मिक नगरो में से एक है | यहा मंगल दोष को शांत करने के लिए एक विशेष मंदिर मंगलनाथ का है | यहा महाकालेश्वर मंदिर , मदिरापान करने वाले काल भैरव , हरसिद्धि माता और बहुत सारे प्राचीन और रहस्यमई मंदिर स्थित है | विष्णु के नाख़ून से बनी शिप्रा नदी के तट पर बसा यह शहर आस्था का अनूठा केंद्र है |
मंगल का उज्जैन से सम्बन्ध
शास्त्रों में बताया गया है की नवग्रह में मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति बताया गया है | मंगल का जन्म स्थान भी उज्जैन की भूमि है | इसी कारण जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है , वे यहा मंगलनाथ मंदिर में विशेष पूजा अभिषेक के द्वारा मंगलदोष को शांत कराने आते है | यह मंगल पीड़ा को दूर करने का सबसे सिद्ध स्थान माना जाता है |
मंगलनाथ मंदिर उज्जैन से जुडी बाते
मंगलनाथ की प्रतिमा भगवान शिव के शिवलिंग की तरह ही है | इस मंगल शिवलिंग पर भक्तो द्वारा अभिषेक और पूजा की जाती है | यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है और इसका पुनः निर्माण सिंधिया राजघराने ने करवाया था .
मंगलवार को भक्तो की अपार भीड़ मंगलनाथ मंदिर में दिखाई देती है क्योकि मंगल ग्रह का विशेष वार मंगलवार को बताया गया है . यहा जिस जातको को मांगलिक दोष होता है उन्हें पूजा अर्चना जरुर करवानी चाहिए .
भात पूजा द्वारा विशेष रूप से मंगल दोष को कम किया जाता है | भात को चावल कहा जाता है |
मार्च में आने वाली अंगारक चतुर्थी के दिन मंगलनाथ मंदिर में भक्तो का रैला उमड़ पड़ता है | माना जाता है इस दिन दर्शन मात्र से आप मंगल ग्रह को प्रसन्न कर सकते है |
कैसा दिखता है मंगलनाथ मंदिर
पहले यह मंदिर सफेद मार्बल से बना हुआ था लेकिन अब इसके रूप रंग में काफी बदलवा आ चूका है | यह मंदिर बहुत ही भव्य और लाल पत्थरो से तैयार किया गया है | मंगल ग्रह को प्रिय रंग लाल है | इसलिए यह मंदिर ईटीया रंग से बनाया गया है | पहली बार आप जायेंगे तो आप मंदिर में मंगलनाथ को खोजते रह जायेंगे और शिवलिंग की पूजा कर आयेंगे | पर वास्तव में यहा मंगलनाथ ही शिवलिंग के रूप में विराजमान है |
भात पूजा का मंगल के लिए महत्व
मंगल ग्रह दोष वालो का स्वभाव गुस्से वाला गर्म होता है | भात यानि चावल को शांति का प्रतीक माना जाता है | मान्यता है की यदि मंगलनाथ मंदिर में पूजा भात से करेंगे तो मंगल दोष वालो का स्वभाव शांत हो जायेगा | जीवन में रिश्ते सुधरेंगे और आप का स्वभाव लोगो को आकर्षित करेगा .
मंगल ग्रह के जन्म की कथा
आइये अब जानते है कि कैसे उग्र ग्रह मंगल का जन्म हुआ था और इसकी पौराणिक कथा क्या है .
कहते है कि एक बार अन्धासुर और भगवान शिव का घोर भीष्म युद्ध हुआ जिसमे शिव जी इतने ज्यादा क्रोधित हो गये है कि उनका शरीर गर्म हो गया और उनकी पसीने की बूंद अवंतिका नगरी में गिरी जिससे गर्म पसीने की बूंद से लाल रंग के मंगल का जन्म हुआ .अत: उज्जैन नगरी ही मंगल ग्रह की जन्मस्थली है .
इसके बाद उस युद्ध में मंगल भी शिव जी के साथ उस दैत्य से लड़ा और जब दैत्य का वध हुआ तो मंगल ने उसका पूरा रक्त अपने अन्दर ले लिया अत: मंगल ग्रह लाल रंग का है .
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