कुकुरदेव मंदिर – यहा होती है कुत्ते की पूजा
Dog Temple in India Kukurdev सुनने में अजीब लगे पर जी हां यह सच है | विविधतापूर्ण हमारे देश में एक जगह ऐसी है जहा कुत्ते की मूर्ति (idol of Dog )की होती है पूजा | मंदिर का नाम भी इसी कारण रखा गया है कुकुरदेव | हमने पहले भी आपको जीव जन्तुओ के अनोखे मंदिरो के बारे में जानकारी दी थी .
इस मंदिर की मुख्य मान्यता है की जो भक्त यहा आकर कुत्ते की मूर्ति की पूजा करेंगे उन्हें कभी कुत्ता नही खायेगा और ना ही कभी उनके कुकुर खाँसी होगी | भारत में ऐसे बहुत से मंदिर है जहा जीव जन्तुओ की भी पूजा होती है |
कहाँ है यह मंदिर
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के खपरी गांव में अति प्राचीन समय से है | मंदिर परिसर में कुत्ते की प्रतिमा के बगल में शिवलिंग भी है |
क्यों होती है कुत्ते की पूजा इस मंदिर में
यहा आपके मन में जरुर यह सवाल उठ रहा होगा की आखिर क्यों एक कुकुर की पूजा होती है इस मंदिर में | चलिए इसके पीछे की कहानी हम आपको बताते है |
प्राचीन समय में यहा बंजारों की एक बस्ती हुआ करती थी | उसमे से एक बंजारा था मालीघोरी जिसके पास एक वफादार कुत्ता था | एक बार कर्ज लेने के लिए उसने अपना कुत्ता साहूकार को दे दिया | एक रात साहूकार के घर चोरी हुई और माल को समीप के तालाब में छिपा दिया गया | कुत्ते ने यह देख लिया और सुबह साहूकार को माल पकड़ा दिया |
साहूकार कुत्ते से बहुत खुश हुए और उसके गले में चोरी की यह बात एक कागज़ में लिखकर , उसके मालिक के पास भेज दिए |
मालिक को लगा की बिना बताये यह कुत्ता साहूकार के घर से भाग आया है | मालिक ने कुत्ते को डंडे से पीटना शुरू कर दिया और इस कारण कुत्ता मारा गया |
कुत्ते के मरने के बाद जब वो खत मालिक के हाथो लगा तो वो निर्दोष कुत्ते की मौत से टूट सा गया | उसने एक जगह इसकी समाधी बना दी और रोज पूजा करने लगा | फिर किसी ने यहा कुत्ते की मूर्ति लगा दी और मंदिर का निर्माण हुआ |
भैरव की सवारी है कुत्ता
हमारे देवी देवताओ में शिव के अवतार भैरव नाथ की सवारी स्वान अर्थात् कुत्ते को माना जाता है | भैरव के लगभग सभी मंदिरों के पास काले कुत्ते आपको जरुर मिलेंगे | भक्तगण ऐसे कुत्तो को दिव्य मानकर इन्हे खाने के लिए कुछ न कुछ जरुर देते है | भैरव जी की सवारी कुत्ते (श्वान ) को भोजन खिलाने से काल भैरव प्रसन्न होते है .
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