गेट ऑफ़ हेल तुर्कमेनिस्तान का आग उगलता गड्ढा

Gate of Hell  Turkmenistan Facts in Hindi  दोस्तों दुनिया के रहस्मई जगहों का ज्ञान कराने वाली वेबसाइट में आपका स्वागत है . 

क्या आप धरती पर एक ऐसे गड्ढे के बारे में जानते है जिसका निर्माण खुद खुदरत ने किया है और जिसे गेट ऑफ़ हेल यानी की पाताल का द्वार कह कर पुकारा जाता है . जिस गड्ढे में 40 सालो से लगातार आग भभक रही है . 

जो दुनिया में अपनी एक अलग ही पहचान बना कर रख रखा है . 

1971 से ही यहा प्राकृतिक गैस निकल रही है जो तब से लगातार जले जा रही है .  यह गैस सल्फर की है जिसकी जलने की गंध कई किलोमीटर तक सूंघी जा सकती है . 

    Aag Ugalta Gaddha

    तो आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि वो कौनसी जगह है जहाँ 40 साल से ज्यादा एक बड़े से गड्ढे में आग लगी हुई है . इस जगह को नरक का द्वार यानी की गेट ऑफ़ हेल (Gate of Hell in Hindi Facts ) क्यों कहते है . किसने और क्यों लगाई यह आग . 


    कहाँ है गेट ऑफ़ हेल का बड़ा सा आग उगलता गड्ढा 

    यह आग लगा हुआ बड़ा सा गड्ढा भारत के उत्तर पश्चिमी देश तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में बना हुआ है . 

    इस गड्ढे के चारो तरफ बंजर जमीन और रेगिस्तान फैला हुआ है . यहा आग उगनले के पीछे कोई चमत्कार नही बल्कि प्राकृतिक गैस का रिसाव है . यहा धरती प्राकृतिक गैस से भरी हुई है . जब यहा यह रिसाव होने लगा तो जमीन का एक बड़ा भाग धंस गया और गड्ढा बन गया . इस गैस को खत्म करने के लिए यहा भौगोलिक शौधकर्ताओं ने ही आग लगा दी . आज भी यहा आग तब से जल रही है क्योकि लगातार कई सालो से यहा से प्राकृतिक गैस का रिसाव हो रहा है . 


    कैसे लगी इसमे आग ?

    दोस्तों आप हैरान हो जायेंगे कि इसमे आगे किसने और क्यों लगाई . 

    1970 के आस पास यह तुर्कमेनिस्तान सोवियत संघ का ही एक भाग था . यहा सोवियत संघ के कुछ शौधकर्ता पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की खोज कर रहे थे , 

    इस गड्ढे से तेजी से प्राकृतिक गैस का रिसाव होने लगा . देखते ही देखते जमीन का एक बहुत बड़ा भाग धस गया और एक बड़े से गड्ढे का जन्म हो गया . उस गड्ढे में से तेजी से जहरीली गैसे निकलने लगी .   उन्हें लगा कि यह गैस वातावरण में फ़ैल गयी तो आस पास के लोगो के लिए जोखिम पैदा कर सकती है . इसलिए इस गैस को रोकने ले लिए उन्होंने यहा आग लगा दी . 

    उन्हें लगा कि कुछ दिनों में जब गैस खत्म होगी तब आग बुझ जाएगी . लेकिन यह उनकी सोच से भी परे था . आज तक ( 40 साल बाद भी ) यह गैस लगातार जलती जा रही है . 

    कैसा यह यह गड्ढा

    यह बहुत बड़ा आग का धधकता हुआ गड्ढा है जो 69 मीटर चौडा  और 30 मीटर गहरा है . इस गड्ढे से मीथेन नाम की गैस का रिसाव  हो रहा है . इसे देखने पर यह लगता है कि यह आगा का बहुत बड़ा गोला है .  इसे यहा स्थानीय लोग पाताल का द्वार यानी कि Gate Of Hell - नरक का द्वार  भी कहते है . 

    Gateway of hell

    आस पास की जगह पर इस आगे से तापमान बहुत बढ़ चूका है . साथ ही पुरे वातावरण में प्रदुषण फ़ैल चूका है . 

    बंद करने की कोशिश में है प्रशासन 

    तुर्कमेनिस्तान 47 साल से  इस गड्ढे में लगी आग को बुझाने की कोशिश में अब लगा हुआ है . दरअसल इस आग से आस पास के कई किलोमीटर में प्रदुषण बढ़ चूका है और इसे आने वाले समय में और भी ज्यादा प्रदुषण फैलने की सम्भावना हो रही है . 

    यह जलती हुई आग कोई फायदा भी नही कर रही है इसलिए अब इसे बुझाने की कोशिश की जा रही है . 

    ऐसा नही है कि इसे बुझाने की कोशिश नही की गयी पर इसे बुझाना भी बहुत बड़ी पहेली बन चूका है . बुझने के बाद यदि लगातार गैस का रिसाव होता रहा तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है . 

    बता दे 1970 से अब तक यहा अरबो रुपए की गैस तो जल चुकी है और पता नही इस धरती में कितनी गैस बाकी है जिसे सही तरीके से प्रयोग करे तो तुर्कमेनिस्तान की अर्थव्यवस्था बहुत सुधर सकती है . 

    देखने आते है पर्यटक 

    इस जगह को अपनी आँखों से देखने बहुत से पर्यटक यहाँ आते है . दुनिया में अपने आप में एक अलग ही आग उगलता गड्ढा है .  पर्यटकको की सुरक्षा के लिए कई इंतजाम किये गये है .  गड्ढे के  चारो  तरफ बेरिकर लगाये गये है जिससे की कोई इस गड्ढे में ना गिर सके . 

    तुर्न्केमिस्तान नरक का दरवाजा


    Conclusion (निष्कर्ष )

    मित्रो इस पोस्ट ( पाताल का द्वार -धरती का वो भाग जो सालो से आग से लगी हुई है  )  में आपने जाना गेट ऑफ़ हेल (Gate Of Hell) के नाम से कौनसी जगह फेमस है . क्यों यह जगह को गेट ऑफ़ हेल कहा जाता है . 

    आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट ( गेट ऑफ़ हेल तुर्कमेनिस्तान ) बहुत ज्ञानवर्धक लगी होगी तो इसे ध्यान से पढ़े और दोस्तों के साथ शेयर कीजियेगा . 

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