उत्तरकाशी का पौराणिक महत्व और दर्शनीय स्थल
Uttarkashi tourist places in hindi गंगोत्री धाम से कुछ दुरी पर है उत्तर की काशी अर्थात उत्तरकाशी . इसे बाबा भोले की छोटी नगरी के नाम से भी जाना जाता है . प्रवेश करते ही आपको वातावरण शिवमय दिखना शुरू हो जाता है . स्कंद पुराण ने इस नगर को वरुणावत कहा गया है .
कहाँ है उत्तरकाशी
उत्तराखंड के चार छोटे धाम में से एक है गंगा नदी का उद्गम स्थल गंगोत्री धाम. इस गंगोत्री धाम से उत्तरकाशी 100 किमी की ही दुरी पर स्तिथ है
तीन काशियो में से एक है
भारत में तीन काशी नगरियो का वर्णन मिलता है .
एक काशी जो सबसे मुख्य है जिसे हम वाराणसी (उत्तर प्रदेश का बनारस ) कहते है , दूसरी गुप्त काशी जो केदारनाथ के पास स्तिथ है और तीसरी यह उत्तरकाशी जो गंगोत्री के मार्ग पर है . .
महातपस्वियों की तपोभूमि है उत्तरकाशी
इस जगह नारायण अवतार पशुराम जी ने शिव की घोर तपस्या करके अत्यंत शक्तिशाली परसु को प्राप्त किया था .
इसी भूमि पर ऋषि मार्कंडेय ने भी तपस्या करके मृत्यु पर विजय प्राप्त की थी .
अब जानते है कि उत्तरकाशी में कौनसे दर्शनीय धार्मिक स्थल और मंदिर है .
काशी विश्वनाथ मंदिर
जैसे काशी में काशी विश्वनाथ का मंदिर है उसी तरह उत्तरकाशी में भी विश्वनाथ जी का मंदिर है . यहा का शिवलिंग अत्यंत पुराना है और कहते है की यह वही शिवलिंग है जिसने मृत्यु देवता यमराज से मार्कंडेय जी के प्राण बचाए थे .
यह मंदिर उत्तर काशी का प्रमुख तीर्थ स्थल है और यहा आने वाले श्रद्दालु सबसे पहले इसी मंदिर में आकर प्राणदाता शिव शम्भू के दर्शन शिवलिंग के रूप में करते है .
आदिशक्ति का त्रिशूल
यहा आपको एक बहुत ही बड़ा त्रिशूल देखने को मिलेगा जो जमीन में गढ़ा हुआ है . कहते है कि यह त्रिशूल साक्षात् माँ भगवती का है और इससे ही माँ ने महिषासुर का वध किया था . यह त्रिशूल यहा जमीन में गढ़ा हुआ है , इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता है . यह त्रिशूल 26 फीट गहरा बताया जाता है .
कितनी बार ही इसकी गहराई पता करने की कोशिस की गयी पर आज तक इसकी कुल लम्बाई का पता नही चल पाया है .
आज इस त्रिशूल की पूजा भक्त लोग आकर करते है और इस पर माँ की चुनडी चढाते है .
इस त्रिशूल को देखने से लगता है कि माँ ने तीन श्रंगी ताज पहन रखा है और दर्शन दे रही है .
कण्डार देवता का मंदिर
बड़ाहाट में यहा शिव जी का एक और मंदिर है जिसे कण्डार मंदिर के नाम से जाना जाता है . इन्हे ही उत्तरकाशी के ग्राम देवता इष्ट देवता के रूप में पूजा जाता है . यह विशेष रूप से इसी नगर के देवता है . संगाली गाँव जो की यहा से पांच किमी की दुरी पर है वहा इन्ही क्षेत्रपाल का प्राचीन मंदिर है .
यहा शिवजी का रूप मूर्ति रूप में है और सीने तक यह मूर्ति दर्शन देती है .
परशुराम जी का मंदिर
उत्तरकाशी में विष्णु अंशावतार भगवान परशुराम जी घोर तपस्या की थी और शिव जी उनकी तपस्या का मान रखकर उनकी इच्छाअनुसार वरदान दिया था . वरदान में इन्हे महाशक्तिशाली परसा प्राप्त हुआ जिससे इन्होने पापी क्षत्रियो के रक्त से जमीन को लाल कर दिया .
यहा विराजित मूर्ति काले पत्थर की बनी है और खड़ी अवस्था में है . आँखे बंद है जैसे की आज भी वो भोले के ध्यान में मग्न हो रहे हो .
माँ अन्नपूर्णा मंदिर
अन्न की देवी और भोजन की व्यवस्था कराके भूख को शांत करने वाली माँ अन्नपूर्ण पार्वती जी का ही एक रूप है . जैसे महिला जब रसोई में खाना बनाती है तो वो अन्नपूर्णा बन जाती है .
सारांश
- हमने यहा आपको बताया कि उत्तरकाशी कहाँ है और आप कैसे जा सकते है . उत्तरकाशी नगरी का धार्मिक महत्व क्या है और यहा देखने लायक दर्शनीय स्थल और मंदिर कौनसे है .आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी
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