माँ वैष्णो देवी की आरती और चालीसा का पाठ
माँ वैष्णो देवी की आरती हिंदी में - Maa Vaishno Devi Aarti Hindi Lyrics माँ वैष्णो देवी की आरती के माध्यम से बताया गया है की माँ के द्वार पर आने वाले भक्त अपनी इच्छा पूर्ण करके जाते है | माँ वैष्णवी को सम्पूर्ण सुखो को देने वाली बताया गया है | वैष्णो देवी के मंदिर में यह आरती नियमित रूप से की जाती है | विश्व भर से पुरे साल वैष्णो देवी माता मंदिर की यात्रा करने लाखो भक्त आते है और इस अति सुन्दरतम जगह में माँ के दर्शन का आनंद पाते है .
हिन्दू धर्म में देवी देवताओ की आरती का अत्यंत महत्व है जिसमे हम गा कर प्रभु का अग्नि दीपक द्वारा गुणगान करते है और फिर आरती के अंत में इस अग्नि दीपक में प्रकट शक्ति को आरती लेकर अपने अन्दर समाहित कर लेते है .
माँ वैष्णो देवी की आरती लिरिक्स
जय वैष्णव माता, मैया जय वैष्णव माता।
हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता ॥॥ जय वैष्णवी माता..॥
द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सब कुछ पा जाता।।
ऊँ जय वैष्णो माता।
तू चाहे तो जीवन दे दे, चाहे पल मे खुशियां दे दे।
जन्म मरण हाथ तेरे है शक्ति माता ।।
ऊँ जय वैष्णो माता।
जब जब जिसने तुझको पुकारा तूने दिया है बढ़ के सहारा
भोले राही को मैया तेरा प्यार ही राह दिखाता।।
ऊँ जय वैष्णो माता।
हर साल सहगल आता और तेरे गुण गाता।
ऊँ जय वैष्णव माता, मैया जय वैष्णव माता।।
माँ वैष्णो देवी की आरती -2 लिरिक्स
जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता । हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
शीश पे छत्र विराजे,मूरतिया प्यारी । गंगा बहती चरनन,ज्योति जगे न्यारी ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे,शंकर ध्यान धरे ।सेवक चंवर डुलावत,नारद नृत्य करे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
सुन्दर गुफा तुम्हारी,मन को अति भावे ।बार-बार देखन को,ऐ माँ मन चावे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
भवन पे झण्डे झूलें,घंटा ध्वनि बाजे ।ऊँचा पर्वत तेरा,माता प्रिय लागे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल,भेंट पुष्प मेवा ।दास खड़े चरणों में,दर्शन दो देवा ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
जो जन निश्चय करके,द्वार तेरे आवे ।उसकी इच्छा पूरण,माता हो जावे ॥
॥ जय वैष्णवी माता..॥
इतनी स्तुति निश-दिन,जो नर भी गावे ।कहते सेवक ध्यानू,सुख सम्पत्ति पावे ॥
जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता । हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता ॥
माँ वैष्णो देवी की महिमा का चालीसा पाठ
आइये पढ़े माँ वैष्णो देवी की महिमा को बताने वाला वैष्णो देवी चालीसा पाठ हिंदी में . माँ वैष्णो का यह पाठ सर्व सुखो को देने वाला है . शुक्रवार के दिन इस पाठ को पढने में महत्व अत्यंत है . माँ वैष्णो को गरुड़ पर सवार और काली लक्ष्मी और सरस्वती के मिश्रण रूप में बताया गया है .
इस पाठ के द्वारा आप वैष्णो देवी के पवित्र मंदिर और त्रिकुट पर्वत के साथ वैष्णो माता का गुणगान करते है .
Vaishno devi chalisa paath
गरूड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकुटा पर्वत धाम ।
काली, लक्ष्मी, सरस्वती शक्ति तुम्हें प्रणाम ।।
चौपाई
नमो नमो वैष्णो वरदानी ।
कलिकाल में शुभ कल्यानी ।।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी ।
पिंडी रूप में हो अवतारी ।।
देवी-देवता अंष दियो है ।
रत्नाकर घर जन्म लियो है ।।
करी तपस्या राम को पाऊं ।
त्रेता की शक्ति कहलाऊं ।।
कहा राम मणि पर्वत जाओ ।
कलियुग की देवी कहलाओ ।।
विष्णु रूप से कल्की बनकर ।
लूंगा शक्ति रूप बदलकर ।।
तब तब त्रिकुटा घाटी जाओ ।
गुफा अंधेरी जाकर पाओ ।।
काली लक्ष्मी सरस्वती मां ।
करेंगी पोषण पार्वती मां ।।
ब्रह्मा, विष्णु शंकर द्वारे ।
हनुमत, भैंरो प्रहरी प्यारे ।।
रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलायें ।
कलियुग वासी पूजन आवें ।।
पान सुपारी ध्वजा नारियल ।
चरणामृत चरणों का निर्मल ।।
दिया फलित वर मां मुस्काई ।
करन तपस्या पर्वत आई ।।
कलि-काल की भड़की ज्वाला ।
इक दिन अपना रूप निकाला ।।
कन्या बन नगरोटा आई ।
योगी भैरों दिया दिखाई ।।
रूप देख सुन्दर ललचाया ।
पीछे-पीछे भागा आया ।।
कन्याओं के साथ मिली मां ।
कौल-कंदौली तभी चली मां ।।
देवा माई दर्षन दीना ।
पवन रूप हो गई प्रवीणा ।।
नवरात्रों में लीला रचाई ।
भक्त श्रीधर के घर आई ।।
योगिन को भण्डारा दीना ।
सबने रूचिकर भोजन कीना ।।
मांस, मदिरा भैरों मांगी ।
रूप पवन कर इच्छा त्यागी ।।
बाण मारकर गंगा निकाली ।
पर्वत भागी हो मतवाली ।।
चरण रखे आ एक षिला जब ।
चरण-पादुका नाम पड़ा तब ।।
पीछे भैरांे था बलकारी ।
छोटी गुफा में जाय पधारी ।।
नौ माह तक किया निवासा ।
चली फोड़कर किया प्रकाषा ।।
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी ।
कहलाई मां आदि कुंवारी ।।
गुफा द्वार पहुंची मुस्काई ।
लांगुर वीर ने आज्ञा पाई ।।
भागा-भागा भैरांे आया ।
रखा हित निज शस्त्र चलाया ।।
पड़ा शीष जा पर्वत ऊपर ।
किया क्षमा जा दिया उसे वर ।।
अपने संग में पुजवाऊंगी ।
भैरांे घाटी बनवाऊंगी ।।
पहले मेरा दर्षन होगा ।
पीछे तेरा सुमरन होगा ।।
बैठ गई मां पिण्डी होकर ।
चरणों में बहता जल झर-झर ।।
चौंसठ योगिनी-भैरांे बरवन ।
सप्तऋषि आ करते सुमरन ।।
घंटा ध्वनि पर्वत बाजे ।
गुफा निराली सुन्दर लांगे ।।
भक्त श्रीधर पूजन कीना ।
भक्ति सेवा का वर लीना ।।
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याया ।
ध्वजा व चोला आन चढ़ाया ।।
सिंह सदा दर पहरा देता ।
पंजा शेर का दुःख हर लेता ।।
जम्बू द्वीप महाराज मनाया ।
सर सोने का छत्र चढ़ाया ।।
हीरे की मूरत संग प्यारी ।
जगे अखण्ड इक जोत तुम्हारी ।।
आष्विन चैत्र नवराते आऊं ।
पिण्डी रानी दर्षन पाऊं ।।
सेवक ‘षर्मा‘ शरण तिहारी ।
हरो वैष्णो विपत हमारी ।।
दोहा
कलियुग में तेरी, है मां अपरम्पार ।
धर्म की हानि हो रही, प्रगट हो अवतार ।।
|| इति वैष्णो देवी चालीसा पाठ समाप्त ||
तो मित्रो इस तरह आपने वैष्णो देवी के दिव्य चालीसा का पाठ हिंदी में पढ़ा .
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