महालक्ष्मी जी का एक ऐसा मंदिर, जहां प्रसाद के रूप में मिलते हैं सोने चांदी
Devi Lakshmi Ka Esa Mandir Jaha Prasad Me Milte hai Sona Chandi
हिंदू धर्म में बहुत से ऐसे मंदिर हैं जो अपनी विशेषताओं और अनोखी मान्यताओ के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। मंदिरों में भक्त अपने आराध्य देवी देवता के आगे माथा टेकने आते है और उन्हें प्रसाद , माला , झंडे , गिफ्ट , नारियल , सोना -चांदी ,रूपए आदि अर्पित करते है | पुजारी भगवान को भोग लगाकर फिर से उन्हें प्रसाद दे देते है | पर आज हम आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने वाले है जहाँ प्रसाद में बहुमूल्य धातुए और आभूषण शामिल है |
यह बात सुनकर आप आश्चर्यचकित हो जायेंगे पर यह बिलकुल सही है | तो चलिए जानते है उस मंदिर के बारे में विस्तार से जहा यह खजाना लुटाया जाता है |
कहाँ है यह मंदिर ?
यह अनोखा मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम में मानक चौक में स्तिथ है जो देवी महालक्ष्मी को समर्प्रित है | दूर दूर से भक्त माँ लक्ष्मी के खजाने को पाने के लिए इस मंदिर में आते है | इस खजाने को भरने वाले भी माँ के भक्त ही है जो दिल खोल कर इस मंदिर में सोना चांदी रूपए भेंट चढाते है | साल के कुछ दिन यहा जमा खजाने को भक्तो के लिए खोल दिया जाता है |
करोड़ो का श्रंगार होता है इस मंदिर में
कुछ खास मौको पर मंदिर को बहुत ही भव्य रूप से सजाया जाता है . मंदिर के अन्दर चारो तरफ बड़े छोटे नोटों से तरह तरह की आकृति बनाकर सजाया जाता है . महंगे आभूषण हीरा पन्ना से मंदिर की शोभा अलग ही दिखती है . पूरा मंदिर परिसर भरा भरा सजा सजा दिखाई देता है . जहा देखो वहा पैसे और गहने . ऐसा लगता है कि कोई भव्य तिजोरी में माँ का मंदिर बना हुआ है .
क्यों ना हो जब बहुत सारे भक्त अपना अपना धन इस मंदिर को सजाने के लिए कुछ दिन के लिए दे जाते है और फिर बाद में उन्हें पंडित इनका धन लोटा देते है .
कब बांटा जाता है खजाना
इस महालक्ष्मी मंदिर में धनतेरस और दीपावली के समय यह महँगी चीजे भक्तो में वितरित की जाती है | माँ के दरबार भी सोने , चांदी , हीरे मोती और रुपयों से सज्जा रहता है | इन दिनों माँ के दर्शन करना भाग्योदय कराने वाले होते है | आपको बता दे कि यह जो चीजे भक्तो में बांटी जाती है यह उन लोगो की की होती है . इसे वे लोग मंदिर सजाने के लिए देकर जाते है और मंदिर वाले सभी भक्तो के द्वारा चढ़ायी गयी चीजो का हिसाब रखते है और उन्हें फिर से उनका खजाना लौटा दिया जाता है .
हम सभी जानते है की माँ लक्ष्मी का अवतरण दीपावली के दिन ही हुआ था और इसी कारण इस दिन इनकी भव्य पूजा घर घर में होती है |
कब से शुरू हुई परम्परा
यह परंपरा काफी पुरानी है और कई वर्षो से चली आ रही है | इस मंदिर में यह परम्परा इसलिए शुरू हुई की माँ लक्ष्मी धन की देवी है और उनके अवतरण के दिवसों पर (दीपावली के आस पास ) उनके भक्तो को उनके आशीर्वाद रूपी खजाना प्राप्त होना चाहिए | माँ लक्ष्मी के चित्रों में भी आपने देखा होगा की वे स्वर्ण वर्षा करने वाली देवी है | कनकधारा पाठ से एक बार आदि गुरु शंकराचार्य ने सोने की वर्षा करवाई थी |
इस मंदिर को लेकर भी ऐसी मान्यता है कि जो भक्त दीपावली के समय जितना धन और गहने इस मंदिर को सजाने के लिए पांच दिन के लिए देगा , मातारानी उसका धन कई गुणा बढ़ा देगी . इसलिए भक्त यहा जमकर धन चढाते है , पांच दिन बाद मंदिर वाले उनका धन उन्हें फिर से दे देते है .
रजिस्टर में रखा जाता है सारा हिसाब
दोस्तों मंदिर प्रबंध इतना विश्वासी और अच्छा है कि पुरे आने वाले धन और गहनों का हिसाब रखा जाता है और 5 दिन बाद जिस भक्त ने जो भी चढ़ाया है , रजिस्टर में देखकर उसे वो ही चीजे फिर से लौटा दी जाती है .
क्या करते है भक्त इस खजाने का :
यह लक्ष्मी जी का खजाना भक्त अपने साथ ले जाते है और इसे कभी खर्च नही करते | इसे वे अपने घर की तिजोरी में रखते है जिससे उनके ऊपर माँ लक्ष्मी की कृपा से कभी धन की कमी नही आये |
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सारांश
- ऐसा मंदिर जहाँ प्रसाद में मिठाइयो के साथ खजाना भी बांटा जाता है . इस खजाने में पैसा , रूपया , चांदी सोना और दूसरी धातुये हो सकती है . यह मंदिर भी तो धन की देवी लक्ष्मी जी का है . यहा हमने महालक्ष्मी मंदिर रतलाम के बारे में आपको जानकारी दी . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी .
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