नवग्रह कौनसे है और उनके नाम और महिमा क्या है
Jyotish Me Navgrah . ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह और राशियाँ मुख्य आधार है | यह सभी ग्रह भगवान शिव के रूद्र रूप से जन्मे है और हर व्यक्ति के अच्छे बुरे दिन का कारण बनते है | जीवन अच्छे से चलते चलते सब कुछ उल्टा होने लगता है तो हो सकता है की कोई ग्रह आपको दोष दे रहा है |
ये जो 9 ग्रह है उनके नाम निम्न है सूर्य , चंद्रमा , मंगल , बुध , गुरु , शुक्र , शनि , राहू , केतु (7 सप्ताह के वार ) और अंतिम दो है राहू और केतु .
कौन कौन से होते है नवग्रह – जाने नाम :
- सूर्य : भगवान सूर्य जिनके चारो ओर सभी ग्रह चक्कर लगाते है | यह सत्व गुण वाले पर पांच मुख्य देवताओ में आते है |
- चन्द्रमा : इनका दूसरा नाम सोम है और सोमवार इनका वार है | चन्द्र देवता भगवान शिव के सिर पर विराजमान है |सत्व गुण वाले है |
- मंगल : यह लाल रंग के युद्ध के देवता कहलाते है | पृथ्वी देवी की संतान के रूप में पूजे जाते है और वृश्चिक और मेष राशि के स्वामी कहलाते है | यह मंगल दोष उत्पन्न करते है . हनुमान जी की पूजा अर्चना से यह दोष दूर होता है .
- बुध : यह चन्द्र देव और तारा का पुत्र है | यह रजगुण वाले है और व्यापार के देवता कहे जाते है | इनका दिन बुधवार है |
- बृहस्पति यह ग्रह देवताओ के गुरु बृहस्पति का प्रतिनिदित्व करता है | ये सत गुण वाले है और देवताओ के पुरोहित भी कहलाते है . ऋषि अंगीरा के ये पुत्र है और शिवजी ने ही इन्हे देवताओ का गुरु का पद प्रदान किया था . इनका प्रियवार गुरूवार का है .
- शुक्र : इस ग्रह का स्वामी दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य है | यह स्वभाव से रज तत्व वाले है और प्रजनन , धन का कार्यभार सँभालते है .
- शनि : तमस प्रकृति का है और शनिवार इसका वार है | शनि देव भगवान सूर्य का पुत्र है और बहुत धीरे चलना वाला ग्रह है | इसके चारो ओर एक रिंग लगी हुई है | इसे सूर्य के एक चक्र लगाने में 30 साल का समय लग जाता है .
- राहू : उत्तर चंद्र आसंधि के देवता हैं | यह सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण का कारण बनते है | यह कटे हुए सिर के अमर दैत्य है | यह दुसरो ग्रहों के साथ मिलकर बुरे परिणाम भाग्य में लाते है
- केतु : यह भी राहू की तरह असुर कुल के ग्रह है | इन्हे दक्षिण चंद्र आसंधि का देवता कहा जाता है | यह भी ग्रहण का कारण बनते है |
सभी नवग्रहों के अलग अलग बीज मंत्र और जाप विधि है जिनके विधिपूर्वक किसी पंडित से पूछकर आप उस ग्रह को शांत कर सकते है |
नवग्रहो का महत्व
हमारे हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि जब बालक जिस काल और जगह में जन्म लेता है उसी के अनुसार उसकी कुंडली बन जाती है . उसके अच्छे और बुरे ग्रहों का पता चल जाता है और यदि कोई ग्रह दोष होता है तो उसकी शांति के उपाय पंडित बता देते है .
इसलिए ग्रहो का मनुष्य के जीवन में अच्छा और बुरा दोनों प्रभाव पड़ता है . आपका समय किस ग्रह के क्षेत्र में चल रहा है उसी अनुसार आपके जीवन में घटनाक्रम चलना शुरू हो जाता है . आपने अक्सर बड़े बुजुर्गो से सुना होगा कि इसके तो ग्रह खराब चल रहे है , अर्थात रुष्ट ग्रह आपके जीवन को प्रभावित कर रहे है .
यही कारण है कि जब कोई हवन या यज्ञ करवाया जाता है तो उसमे नवग्रहों की भी पूजा अर्चना की जाती है . जब सभी ग्रह आप पर प्रसन्न होंगे तो आपको आर्थिक , सामाजिक और मानसिक सभी जगह सुकून और आनंद की प्राप्ति होगी .
नवग्रहों के मंदिर
हमारे देश में आपको कई जगह नवग्रहों को समर्प्रित मंदिर भी मिल जायेंगे जहाँ ग्रह दोष शांति की पूजा की जाती है . ग्वालियर के डबरा में सूर्य सहित सभी नवग्रहों की पत्नियों साथ मंदिर बना हुआ है .
सारांश
- हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रह कौनसे होते है और किस ग्रह से कौनसे देवता जुड़े हुए है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी .
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