इस भूतों के मेले में उतारे पेड़ पर लटक जाते है भूत
GHOST FESTIVAL OF INDIA | BETUL,MADHYA PRADESH भारत में किस जगह भूत प्रेत उतारे जाते है
क्या आप भूत प्रेत या नकारात्मक शक्तियों में विश्वास करते है . आप कहेंगे कि हमने कभी इन्हे देखा तो नही पर दुनिया भर में इनके बारे में बहुत सी कहानियाँ पढ़ी है सुनी है .
जी हां दोस्तों , जब हम बहुत जगहों से भूत प्रेतों से जुड़ी बाते सुनते है तो कही ना कही इन पर विश्वास बनना शुरू हो जाता है .
भारत में तो एक ऐसी प्रसिद्ध जगह है जहाँ तो भूत प्रेतों का मेला (Ghost Festival in India ) तक भरता है .
तो आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि भूत प्रेत का यह मेला किस जगह भरता है . इस मेले में किस तरह भूत प्रेत आते है और इस मेले को भराने का उद्देश्य क्या है .
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कहाँ भरता है भूत प्रेतों का मेला ?
भारत के मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से लगभग 42 किमी दूर एक गाँव है जिसका नाम है मलाजपुर .
इस गाँव में हर साल भूतों का मेला भरता है . यह मेला मकर संक्रांति की पहली पूर्णिमा से शुरू होता है और बसंत पंचमी तक भरता है .
देश विदेश से बहुत से लोग इस मेले में भाग लेने आते है . संभवत यह मेला दुनिया में लगने वाले मेलो में से सबसे अलग है .
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क्यों भरता है यहा भूतों का मेला
इस मलाजपुर गाँव में एक पवित्र मंदिर है . मेले के समय भारत भर से उपरी शक्तियों और भूत प्रेत बाधाओ से पीड़ित लोग अपनी परिजनों के साथ यहा आते है .
वे लोग जब इस मंदिर के उल्टी परिक्रमा लगाते है तब उनके अन्दर रमने वाले भूत प्रेत दूर होने लगते है .
बताया जाता है कि स्वस्थ व्यक्ति मंदिर के सीधे चक्कर जबकि भूत प्रेत बाधित व्यक्ति उल्टे चक्कर लगाते है .
कैसे निकलता है भूत
मेले के समय भूत बाधित व्यक्ति को इस जगह पर लाया जाता है . फिर उसे इस मंदिर के पास बहने वाले बंधारा नदी में स्नान करवाया जाता है . इसके बाद उस व्यक्ति को समाधी स्थल पर लाया जाता है .
जैसे ही वो व्यक्ति यहा समाधी पर हाथ जोड़ता है , उसके अन्दर का भूत बोलना शुरू कर देता है . उसके शरीर में अलग ही शक्ति दिखाई देना शुरू कर देती है . साँसे तेज तेज चलने लगती है . वो झुमने लगता है .
उसके बाद वो व्यक्ति बाबा के समाधी की परिक्रमा शुरू कर देता है . भूत तड़पने लगता है और क्षमा याचना करके उस व्यक्ति के शरीर को छोड़ने की प्रतिज्ञा लेता है .
कहते है कि आज भी बाबा की समाधी इतनी शक्तिशाली है कि भूत यहा शरीर से निकल कर यही बने पीपल के पेड़ से उलटे लटक जाते है .
सही होने पर चढ़ाना पड़ता है गुड़
यहा जो व्यक्ति परिक्रमा के द्वारा भूत प्रेत बाधा से मुक्त हो जाता है , उसे फिर खुद के वजन के बराबर गुड चढ़ाना पड़ता है .
इस तरह यहा मेले के समय बहुत सा गुड़ एकत्रित हो जाता है .
कमाल की बात यह है कि इतने सारे गुड़ पर फिर भी कोई चींटी कोई कीड़ा नही लगता .
इस गुड़ को मंदिर प्रशासन फिर से भक्तो में प्रसाद के रूप में बाँट देता है .
किसका है यह मंदिर
इस चमत्कारी जगह पर आज से 250 साल पहले एक महायोगी गुरु साहब बाबा नाम के साधक हुए थे .
यहा एक पवित्र पेड़ के निचे ही उन्होंने जीवित समाधी ले ली थी .
वे बहुत ही चमत्कारी थे और यहा के लोग उन्हें भगवान ही मानते थे . गाँव वालो ने उनका इस पेड़ के निचे मंदिर बना दिया . आज यही सभी तरह की भूत प्रेत बाधाये दूर होती है .
इस मंदिर का नाम उन्ही के नाम पर गुरु साहब बाबा मंदिर है .
इस गाँव की अनोखी मान्यता
इस गाँव में आपको हिन्दू धर्म से जुडी एक अलग ही मान्यता देखने को मिलेगी . यहा जो लोग साहब बाबा जी पर विश्वास रखते है , उनकी मृत्यु के बाद उनके शव को जलाया नही जाता है .
बल्कि उन्हें जमीन में समाधी दी जाती है . ऐसा करके वे अपने गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करते है
Conclusion (निष्कर्ष )
इस आर्टिकल में हमने जाना कि भारत की एक ऐसी अनोखी जगह के बारे में जहाँ भूत प्रेत निकाले जाते है .
यह जगह मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से आधे घंटे की दुरी पर है . यहा कुछ दिनों के लिए जनवरी फरवरी में मेला भरता है जहाँ भूत प्रेतों से बाधित व्यक्ति का ईलाज किया जाता है .
दूर दूर से इस जगह लोग आते है और उपरी हवाओ को अपने शरीर से दूर करवाते है .
आशा करता हूँ यह पोस्ट आपको ज्ञानवर्धक लगी होगी .
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