घर के मंदिर में शुभ अशुभ धातुएं कौनसी बताई गयी है
Lucky and Unlucky Metals In Hindu Temples
पूजा पाठ सुख शांति और ईश्वर की कृपा दिलाने वाला वो सुखद मार्ग पर जिसे हर व्यक्ति को चलना चाहिए | यह संसार और इसका हर एक कण ईश्वर का ऋणी है और पूजा पाठ के द्वारा हम उनका धन्यवाद करते है | हमारे ऋषि मुनियों ने पूजा पाठ के कई नियम बनाये है जो हमें पालन करने चाहिए |
इसमे एक नियम पूजा पाठ में काम आने वाली धातुओ से भी जुड़ा हुआ है | आइये जानते है की मंदिर में किस धातुओ का हमें प्रयोग करना चाहिए और किनका नहीं और इसके पीछे क्या कारण है …..
पूजा पाठ में शुभ धातुएं
आपने मंदिरों में जितनी भी धातुओ की मूर्ति देखी होगी वो आपको सोने (Gold) , चांदी (Silver) ,ताम्बे (Copper) , कांसे (Zinc ) या पीतल (Brass) की दिखी होगी | यह धातुए पूजा पाठ और मूर्ति निर्माण में अत्यंत शुभ मानी जाती है | सोना और चांदी कीमती धातु होने के कारण पीतल , ताम्बे की मूर्ति का भी निर्माण अधिक मात्रा में किया जाता है जो हर कोई अफ्फोर्ड कर सकता है |
शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग धातु अलग-अलग फल देती है। सोना, चांदी, पीतल, तांबे की बर्तनों का उपयोग पूजा के लिए शुभ माना गया है। मान्यता है कि इन धातुओं से पूजा करने पर देवी-देवता जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। साथ ही वैज्ञानिक रूप से इन धातुओ से बनी मूर्तियों और पात्रो को हाथ से रोज रगड़ना भी त्वचा के लिए अच्छा होता है |
पूजा पाठ में अशुभ धातुएं कौनसी है
पूजा पाठ में लोहा, स्टील और एल्युमिनियम धातु से बने बर्तन काम में नही लेने चाहिए । इन्हे अपवित्र माना गया है | इन धातुओं की मूर्ति भी मंदिर में नहीं लगाई जाती है | इसके साथ ही प्लास्टिक को भी अपवित्र पदार्थ माना गया है .
अशुभ होने का कारण जंग
लोहा और उससे जुड़कर बनी मिश्र धातु जैसे स्टील और एल्युमिनियम को पूजा पाठ और मंदिर में काम में लेना शुभ नहीं माना जाता है | ये धातुए हवा, पानी से जंग खा कर अपना रूप बिगाड़ लेती है | ऐसी धातुओ की मूर्ति या पूजा का सामान अपवित्र माना जाता है |
लोहे में हवा, पानी से जंग लग जाता है। एल्युमिनियम से भी कालिख निकलती है। पूजा में कई बार मूर्तियों को हाथों से स्नान कराया जाता है, उस समय इन मूर्तियों रगड़ा भी जाता है। ऐसा लम्बे समय तक होने से इनका रूप बिगड़ जाता है और यह पूजा के योग्य नही मानी जाती है |
पूजा के बर्तन किससे साफ़ करे ?
पूजा के बर्तन साफ़ करने के लिए आपको शुद्ध मिट्टी या फिर पीताम्बरी का प्रयोग करना चाहिए . इससे बर्तनों की शुद्धता बनी रहेगी जिससे की हम भगवान की पूजा अर्चना और भोग चढाते है .
कभी भी पूजा पाठ में काम आने वाले बर्तनों को उसी विम , जुने और सर्फ से नही मांझे जिससे की हम दुसरे खाने पीने के बर्तन मांझते है .
यदि आपको बर्तनों की कालिख उतारनी है तो आप खाने का सोडा और कपूर का चूर्ण काम में ले सकते है .
सारांश
- तो मित्रो आपने जाना कि पूजा पाठ के लिए घर के मंदिर में हमें किन शुभ धातुओ से बने पात्रो और बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए और कौनसी धातुओ के पात्र अशुभ माने गये है .आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी
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