यमुनोत्री धाम यात्रा में दर्शनीय स्थल
Yamunoti Tirth Sthal Yatra Se Judi Rochak Baate . यमुनोत्री उत्तर के चार धामों मे से एक प्रथम पड़ाव वाला धाम है | यमुना नदी को सूर्य की पुत्री बताया गया है इसी कारण इसका ने नाम सूर्यपुत्री भी है | पास में ही कालिंदी पर्वत जहा से यमुना झील के रूप में निकलती है | यहा पानी साफ़ और बर्फ से बना हुआ है | गंगोत्री धाम की तरह ही यहा भी कपाट गर्मियों में खुल कर सर्दियों में बंद कर दिए जाते है |
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यमुनोत्री मंदिर का निर्माण टिहरी के राजा महाराजा प्रतापशाह ने बनवाया थान मंदिर में काला संगमरमर है.
यमुनोत्री स्वरूप
यमुनोत्री मंदिर के प्रांगण में विशाल शिला स्तम्भ खडा़ है जो दिखने मे बहुत ही अदभुत सा प्रतित होता है. इसे दिव्यशिला के नाम से जाना जाता है. यमुनोत्री मंदिर बहुत उँचाई पर स्थित है , ऊंचाई पर होने के बाद भी इसके बावजूद भी यहां पर तीर्थयात्रियों एवं श्रद्धालुओं का अपार समूह देखा जा सकता है. मां यमुना की तीर्थस्थली गढवाल हिमालय के पश्चिमी भाग में यमुना नदी के स्त्रोत पर स्थित है.
यमुनोत्री का वास्तविक रूप में बर्फ की जमी हुई एक झील हिमनद है. यह समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर कालिंद नामक पर्वत पर स्थित है. और इस स्थान से आगे जाना संभव नही है क्योकि यहां का मार्ग अत्यधिक दुर्गम है इसी वजह से देवी यमुनोत्री का मंदिर पहाड़ के तल पर स्थित है. संकरी एवं पतली सी धारा युमना जी का जल बहुत ही शीतल, परिशुद्ध एवं पवित्र होता है और मां यमुना के इस रूप को देखकर भक्तों के हृदय में यमुनोत्री के प्रति अगाध श्रद्धा और भक्ति उमड पड़ती है.
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यमुनोत्री धाम की कथा
भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के यमराज और यमुना संतान रूप में पैदा हुए | यमुना यमराज की बहन है अत: जो व्यक्ति यमुना में स्नान कर लेता है उसे यमराज अकाल मृत्यु नही देते | कहते है यह वरदान माँ यमुना ने अपने भाई यम से भाई दूज के दिन माँगा था | इसलिए भक्त लोग यमुना नदी पर यमुना के साथ साथ यमराज की भी पूजा अर्चना करते है |
सप्तर्षि कुण्ड और सप्त सरोवर
यमुनोत्री में स्थित ग्लेशियर और गर्म पानी के कुण्ड सभी के आकर्षण का केन्द्र है. यमुनोत्री नदी के उद्गम स्थल के पास ही महत्वपूर्ण जल के स्रोत हैं सप्तर्षि कुंड एवं सप्त सरोवर यह प्राकृतिक रुप से जल से परिपूर्ण होते हैं. यमुनोत्री का प्रमुख आकर्षण वहां गर्म जल के कुंड होना भी है. यहां पर आने वाले तीर्थयात्रीयों एवं श्रद्धालूओं के लिए इन गर्म जल के कुण्डों में स्नान करना बहुत महत्व रखता है यहां हनुमान, परशुराम, काली और एकादश रुद्र आदि के मन्दिर है.
सूर्य कुंड (Surya Kund )
इस कुंड का नाम इसमे होने वाले गर्म पानी के कारण पड़ा है | इसमे पानी इतना उबाल भरा है की कच्चे चावल भी पाक जाये | यही पके चावल प्रसाद कर रूप में यात्रियों को बांटे जाते है | इसे आप चमत्कार ही कह सकते है कि इतना गर्म कुंड यहा कैसे है ?
भक्त यहा कपडे की पोटली में चावल या आलू डालकर इस कुण्ड में गर्म जल में उसे पकाते है और फिर प्रसाद के रूप में खाते है .
गौरी कुंड (Gauri Kund )
गौरी कुंड का पानी ना ही ज्यादा ठंडा और ना ही गर्म है | इस कुंड में यात्री स्नान करके पास में दिव्य शिला और माँ यमुना की आरती करते है | फिर आता है तप्तकुंड जिसमे भी यात्री स्नान करके फिर यमुना नदी में डुबकी लगाते है | यह जगह धार्मिक महत्व के साथ प्राकृतिक सौंदर्य को बयान करती है | बर्फीली चोटियां पर चढ़ना , हिमपात देखना और कल कल की आवाज के साथ यमुना का बहना , और सफ़ेद बादलो को छूना मन को हर्ष से भर देता है |
पुरुष और महिमा तप्त कुण्ड
यमनोत्री धाम से कुछ पहले आपको नहाने के लिए महिला और पुरुष कुंड दिख जायेंगे . इस तरह के कुंड में पानी गुनगुना आता है और यहा स्नान करके की आगे यमनोत्री मंदिर में दर्शन करने लोग जाते है .
राम हनुमान मंदिर
यहा पास ही आपको राम दरबार और सिंदूरी रंग के हनुमान जी का मंदिर भी मिलेगा . यहा आने वाले श्रद्दालु यहा भी दर्शन करते है
यमुनोत्री यात्रा से जुड़ी रोचक बाते
आप हरिद्वार , ऋषिकेश या फिर देहरादून से बरकोट तक आ सकते है . बरकोट तक आप सड़क मार्ग द्वारा किसी गाडी के द्वारा आ सकते है , यहा आपको रुकने की अच्छी जगह और होटल मिल जाएगी . बरकोट के बाद यमुना धाम की यात्रा के लिए जानकी चट्टी तक आये . इन दोनों के बीच 40 किमी की दुरी है . जानकी चट्टी से आपको 6 किमी की पहाड़ी यात्रा (ट्रैकिंग ) करनी पड़ेगी . इसके बाद पहाड़ी यात्रा है और वो आपको या तो पैदल या फिर घोड़े और खच्चर के द्वारा ही करनी पड़ेगी .
घोड़े खच्चर का किराया : यदि आप जानकी चट्टी से यमुनोत्री धाम पैदल नही चल सकते तो आप घोड़े , पालकी या खच्चर को चुन सकते है . उनका किराया एक व्यक्ति का 1500 से 2000 तक है और फिर वापिस आने का 1000 से 1500 रुपए तक है .
यमुनोत्री धाम यात्रा से जुड़े प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1 :- यमुनोत्री धाम को पहला धाम क्यों कहा जाता है और क्यों श्रद्दालु पहले इस धाम की यात्रा करते है ?
उत्तर 1 :- दोस्तों यमुनोत्री धाम उत्तराखंड के चार धामों में सबसे अलग जगह पर है , बाकि तीन धाम पूर्व में है और यह पश्चिम में . अत: सबसे पहले इस धाम की यात्रा की जाती है और फिर बचे हुए तीन धाम एक की रूट पर आ जाते है .
प्रश्न 2 :- यमुनोत्री धाम में गाडी कहाँ तक जा सकती है ?
उत्तर 2 :- यमुनोत्री धाम में आप जानकी चट्टी तक अपने वाहन को ले जा सकते है , वहा से आपको 6 किमी की फिर पदयात्रा करनी पड़ेगी .
प्रश्न 3 :- यमुनोत्री धाम के लिए सुबह कितनी बजे निकले ?
उत्तर 3 :- आप रात को बरकोट में रुक जाए और फिर सुबह 7 बजे से बरकोट से वाहन द्वारा जानकी चट्टी आ जाये . यह दुरी 2 घंटे में तय हो जाएगी . फिर आप 10 बजे के करीब पद यात्रा शुरू कर दे और 2 घंटे में आप यमनोत्री धाम आ जायेंगे फिर 2 घंटे रुककर दर्शन करे और फिर 3 बजे फिर से जानकी चट्टी आ जाये .
उत्तराखंड के चार मुख्य धाम की जानकारी
सारांश
- तो दोस्तों उत्तराखंड के चार धामों में से एक यमुना नदी के उद्गम स्थल यमुनोत्री धाम से जुड़ी रोचक बाते हमने आपको इस आर्टिकल में बताई जिसमे आपने जाना कि यमुनोत्री के आस पास दर्शनीय स्थल कौनसे है और इस धाम का पौराणिक महत्व क्या है .
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