यमुना नदी से जुड़ी पौराणिक बाते
Yamuna River Ka Pouranik Mahtav
यमुना नदी भारत की पवित्र नदियों में से एक है. यह नदी राधे कृष्णा की रास स्थली वृंदावन से होकर बहती है. यमुना की उदगम स्थली यमनोत्री है जो उत्तरी हिमालय में स्थित है. यहां से यमुना नीचे आकर ब्रज मण्डल में प्रवेश करती है. यमुना नदी पर बना हुआ प्रत्येक घाट भगवान कृष्ण की लीलाओं से संबंधित है.
यहा हम जानेंगे कि यमुना नदी की क्या कहानी है और यह हिन्दू धर्म में क्या महत्व रखती है .
कृष्ण की चौथी पटरानी यमुना जी
भगवान श्रीकृष्ण की चौथी पटरानी श्री यमुना जी है जिन्हें कृष्ण भक्त कालिंदी के नाम से भी पुकारते है .यमुना प्रत्यक्ष रूप से भगवान कृष्ण से संबंधित है. जन्म से लेकर किशोरावस्था तक भगवान श्रीकृष्ण ने अधिकतर लीलायें यमुना किनारे ही रची थी.
पढ़े : - गोदावरी नदी की पौराणिक कहानी और महत्व
कृष्ण के स्पर्श से हुआ बहाव कम
श्रीकृष्ण के जन्म के समय उनकी रक्षा के लिए वासुदेव कृष्ण को गोकुल ले जा रहे थे तब यमुना तेज गति से बह रही थी. परन्तु श्रीकृष्ण के चरण स्पर्श कर वह शांत हो गई और सामान्य गति में बहने लगी.यमुना में भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ स्नान किया करते थे. वह अपनी गायो को भी यमुना में स्नान कराया करते थे.
यमुना का परिवार
यमुना सूर्य और छाया की पुत्री है और मौत के देवता यमराज की बहन है. छाया का रंग श्यामल था अत: दोनों भाई बहिन भी श्याम रंग के है . यम की बहिन होने के कारण यमुना जी को यमी भी कहा जाता है . यमुना को यमराज का वरदान है, जो व्यक्ति भईया दूज के दिन यमुना में स्नान करता है उसे मृत्यु का भय नहीं रहता और अकाल मृत्यु का संकट हट जाता है .
ब्रज की आत्मा है यमुना
कृष्ण की महान बाल लीलाओ की साक्षी यमुना हमेशा वन्दनीय है . ब्रज की संस्कृति का यह आईना है . गोवर्धन पर्वत और यमुना के बिना ब्रज स्थली अधूरी है . हर कृष्ण भक्त के लिए यह कृष्ण स्वरुप है . मथुरा में यमुना जी पर चोबीस घाट बनाये गये है जो तीर्थ कहलाते है .जिस यमुना घाट पर भगवान कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र चुराये थे वह “चीर-घाट” .
भाई दूज पर विशेष स्नान
इसी वरदान के चलते दीपावली के दो दिन बाद आने वाले भाई दूज के दिन हजारो श्रद्दालु यमुना जी के घाटो पर पवित्र स्नान करने जाया करते है .इसके अलावा हर मास आने वाली एकादशी और पूर्णिमा पर भी विशेष स्नान का महत्व है . इन घाटो पर कृष्ण अपने गोपालो और गोपियों के साथ स्नान किया करते थे .
प्रयाग में मिलती है गंगा से
तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर तीन नदियों गंगा , यमुना और सरस्वती का संगम होता है . सरस्वती नदी अद्रश्य रूप में ही मिलती है , इसका भौगोलिक मिलन का कोई प्रमाण नही मिलता है .
ऐसा भी कहा जाता है आज से 4000 साल पहले धरती पर आये एक बड़े भोगौलिक बदलाव के कारण
कैसे और क्यों लुप्त हुई पवित्र सरस्वती नदी इसके लिए आप उस लिंक को पढ़े .
यमुना नदी से जुड़ी रोचक बाते
प्रश्न 1 : यमुना नदी की सबसे अनोखी बात क्या है ?
उत्तर 1 :यमुना नदी का रंग काला है , क्योकि इसके भाई यमराज और शनि देवता है . यही कारण है कि इस नदी को यमी भी कहते है .
प्रश्न 2 : यमुना नदी के अन्य नाम क्या है ?
उत्तर 2 : यमुना नदी के दुसरे नाम काली गंगा , कालिंदी ,कलिंदजा , जमुना आदि है .
प्रश्न 3 : यमुना नदी की लम्बाई कितनी है ?
उत्तर 3 : यमुना नदी की लम्बाई 1350 किमी की है और यह यमुनोत्री से निकलकर दिल्ली , उत्तर प्रदेश में प्रयागराज में गंगा से मिल जाती है . इस नदी की औसतन गहराई 10 फीट और अधिकतम गहराई 35 फीट की है .
प्रश्न 4 : यमुना नदी पर प्रसिद्ध घाट कौनसे है ?
उत्तर 4 : यमुना नदी पर प्रसिद्ध घाट आपको उत्तरप्रदेश के मथुरा और वृन्दावन पर मिलेंगे . मथुरा में यमुना अर्ध चंद्राकर आकार में बहती है और चारो तरफ पवित्र स्नान के घाट बने हुए है जिनकी संख्या 50 से अधिक है .
कुछ के नाम है सूर्य तीर्थ , प्रयाग तीर्थ , ध्रुव तीर्थ , मोक्ष तीर्थ , कोटि तीर्थ , ऋषि तीर्थ , नाग तीर्थ , चक्र तीर्थ आदि
अब बात करे वृन्दावन की तो यहा सबसे प्रसिद्ध यमुना घाट है केशी . यहा कृष्ण ने केशी नामक दैत्य का वध किया था .
यहा आपको कई देवताओ के मंदिर मिल जायेंगे , साथ ही आपको यमुना जी का मंदिर देखने को मिलेगा . आने वाले श्रद्दालुओ के लिए यहा बोटिंग की व्यवस्था भी है .
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