उत्तराखण्ड के चार प्रसिद्ध धाम
भारत में हिन्दू धर्म के इतिहास से सबसे पवित्र राज्य उत्तराखंड को माना गया है जो हिमालय श्रृंखला की दक्षिणी ढलान पर स्थित है | प्राचीन काल में इसे कुमाऊ उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था | इसे देव भूमि का दर्जा प्राप्त है .
यह राज्य भारत के उत्तर में सीमांत नेपाल से जुड़ा हुआ है | यहा ऊँचे ऊँचे पहाड़ और भारत की सबसे पवित्रतम नदियाँ गंगा और यमुना का उद्गम स्थल गंगोत्री और यमुनोत्री है | अन्य दो धाम भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग केदारनाथ और भगवान विष्णु के बद्री रूप बद्रीनाथ को समर्प्रित है | ये सभी चारो धाम हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में है .
उत्तराखण्ड के चार प्रसिद्ध धाम को हिमालय के चार धाम या छोटे चार धाम आदि नामो से भी पुकारा जाता है |
प्राचीन समय से ही यहाँ आकर इनके दर्शन करना मोक्ष प्राप्ति कर मार्ग है . आप आकर गंगा और यमुना जी जैसे पवित्र नदियों में स्नान कर खुद को शुद्ध कर सकते है और उसके बाद भगवान विष्णु के महादर्शन बद्रीनाथ में तो शिव जी के दर्शन केदारनाथ में करते है . चारो तरफ शुद्ध और प्राकृतिक हवा , पहाड़ो पर बर्फ का नजारा और अध्यात्म से भरा वातावरण आपका मन हर लेता है .
पहला धाम यमुनोत्री धाम :
यमुना जी जिस पर्वत से ग्लेशियर रूप से निकलती है उस पर्वत को कालिंदी के नाम से जाना जाता है . यही पर यमुना जी का एक दुर्गम मंदिर बना है . इस जगह को यमुनोत्री धाम कहते है . यह सबसे अलग धाम है जो बाकी धामों के पश्चिम में पड़ता है . सबसे पहले इसी धाम के दर्शन किये जाते है और फिर बाद में बाकी तीनो धामों की यात्रा की जाती है .
यमुना नदी यमुनोत्री से निकलती है और फिर दिल्ली , मथुरा , वृन्दावन होते हुए प्रयागराज में संगम पर गंगा से मिल जाती है .
दूसरा धाम गंगोत्री धाम
उत्तराखंड का दूसरा धाम है गंगा का उद्गम स्थल गंगोत्री | हिमालय से गौमुख से निकलने वाली गंगा नदी का स्थान देखना एक धाम करने के तुल्य है | यहा से निकलने वाली नदी को भागीरथी नदी कहा जाता है . इसके बाद यह नदी उत्तराखंड में पञ्च प्रयागों में अलग अलग नदियों से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती है और आगे ऋषिकेश , हरिद्वार , काशी , प्रयागराज से होती हुई गंगा सागर के जरिये सागर में मिल जाती है .
तीसरा धाम बद्रीनाथ धाम :
बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्प्रित मंदिर है यह हिमालय के चार धाम में तीसरा धाम है | यही से अलकनंदा नदी निकलती है जो आगे चलकर गंगा बन जाती है . इसे बद्रीविशाल तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है . यही पर आपको एक नारद कुण्ड मिलेगा जहाँ नारद ने हजारो सालो तक भगवान विष्णु की तपस्या की थी .
चौथा धाम केदारनाथ
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव को समर्प्रित है | यह यात्रा अत्यंत कठिन है | तीनो तरफ पहाड़ो से घिरा केदारनाथ मंदिर जाने का रास्ता अति दुर्गम है | इसे चारो धाम में सबसे कठिन यात्रा माना जाता है .
400 सालो तक यह मंदिर बर्फ के निचे 13वी सदी से 17 वी सदी तक दबा रहा था . उस समय यहाँ बहुत बड़ी बर्फ़बारी हुई थी और यह एक ग्लेयिसर के निचे दब गया था . लेकिन यह चमत्कार था कि 400 साल दबने के बाद भी इस मंदिर को कोई भारी नुकसान नही हुआ .
किसने बनाये इन्हे चार धाम
आठवी सदी में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने अपने अल्प जीवन काल में भारत के चारो कोनो की यात्रा पैदल ही कई बार की थी , उन्होंने भारत की चारो दिशाओ में चार धाम की स्थापना की और इसके साथ ही उत्तराखंड में भी चार छोटे धाम बताये जिनके नाम बद्रीनाथ , केदारनाथ , गंगोत्री और यमुनोत्री है . केदारनाथ के पीछे ही 33 वर्ष की उम्र में आदि गुरु शंकराचार्य की समाधी बनी हुई है .
साल में कितने महीने खुलते है चार धाम
हम सभी जानते है कि यह चारो धाम बड़े बड़े बर्फीले पहाड़ो की गोद में बसे है . यहा जाने के रास्ते बड़े दुर्गम है और कई बार मौसम की मार झेलने पड़ते है . अत: नवम्बर से लेकर अप्रैल तक ये सभी धाम बंद रहते है और फिर अक्षय तृतीया पर धूम धाम के साथ ही ये कपाट दर्शनार्थ खोले जाते है .
अत: गरमियों के मौसम में आप चार धाम की यात्रा कर सकते है .
सारांश
- तो दोस्तों हमने आपको देव भूमि उत्तराखंड के चार धामों की जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दी जिन्हें हिन्दुओ के चार छोटे धाम कहे जाते है . ये चारो एक ही राज्य में और आप सिर्फ 7 दिनों में इन सभी में दर्शन कर सकते है .
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