तीर्थराज प्रयाग की महिमा और दर्शनीय स्थल
Prayagraj Tirth Ki Mahima aur Pouranik Mahtav . उत्तरप्रदेश के प्राचीनतम तीर्थो में प्रयाग का नाम सबसे ऊपर आता है | यह आधुनिक समय में इलाहाबाद के नाम से जाना जाता है | हमारे प्राचीनतम ग्रंथो में इस धार्मिक शहर के महत्व और महिमा का वर्णन किया गया है | इसे साधू संतो ने तीर्थो के राजा ‘ तीर्थ राज ‘ की संज्ञा दी है |
इससे पहले हमने आपको भारत की सात धार्मिक और पौराणिक नगरियो की जानकारी दी थी जो सनातन धर्म से पौराणिक काल से जुडी हुई है .
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प्रयाग को क्यों कहते है तीर्थो का राजा
आपने जब भी किसी से मुख से प्रयाग का नाम सुना होगा तो उसके साथ तीर्थराज भी सुना होगा . तीर्थराज का अर्थ होता है सभी तीर्थो का राजा अर्थात सबसे बड़ा तीर्थ स्थान . क्या आप जानते है कि इसे तीर्थराज क्यों कहा जाता है .
आइये बताते है .
भारत की सात सबसे पावन धार्मिक नगरी है अयोध्या , मायापुरी , मथुरा , काशी, कांची, अवंतिका और द्वारकापुरी . ये सभी व्यक्ति को जन्म मरण से मुक्त कराने वाली नगरियाँ है और यह आशीर्वाद इन सभी नगरियो को स्वयं प्रयागराज ने दिया है . कहते है कि प्रयाग पति है और ये सात नगरियाँ उसकी पत्नी है .
एक अन्य कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी ने सभी तीर्थो में सबसे बड़े तीर्थ का पता लगाने के लिए तराजू का सहारा लिया .
उन्होंने तराजू के एक पलड़े में प्रयाग को रखा और बाकि में सप्त नगरियो और समुन्द्रो को रखा पर तब भी प्रयाग जिस पलड़े में रखा हुआ था वो ही शिरा भारी रहा .
इससे ब्रह्मा जी इस निष्कर्ष पर पहुंचे की सबसे बड़ा तीर्थ स्थल प्रयागराज ही है .
तीर्थराज प्रयाग का धार्मिक महत्व
- इस पवित्र स्थान पर सबसे पहले भगवान ब्रह्मा जी ने पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए हवन किया था | तभी से इसका नाम प्रयाग पड़ गया | कहते है संसार की रचना से पहले भी ब्रह्मा जी यही पर दशाश्वमेध यज्ञ किया था .
- तीन महान और दैविक नदियों गंगा यमुना और सरस्वती के कारण यह नगरी अति पवित्र हो गयी है | यहा यह तीनो नदियाँ मिलती है और उस जगह को प्रयाग संगम के नाम से जाना जाता है .
- यह यज्ञों और अनुष्ठानों का नगर है। यहा महाकुम्भ मेला त्रिवेणी के संगम पर बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है |
- यहा के पातालपुरी मंदिर में एक अमर और अक्षय वृक्ष है |
- कुम्भ के अलावा मकर संक्रांति और गंगा दशहरा पर तीर्थ स्नान का अधिक महत्व है |
- त्रिवेणी संगम के स्नान से मन और शरीर पवित्र होता है और पापो से मुक्ति प्राप्त होती है |
- पुराण कहते है की प्रयागतीर्थ में साढ़े तीन करोड़ तीर्थस्थल हैं |
- यह नगरी वाल्मीकि के शिष्य ऋषि भारद्वाज की जन्मस्थली है |
- इस नगरी का दूसरा नाम हरिहर नगरी भी है .
त्रिवेणी संगम का धार्मिक महत्व
यहा भारत की तीन महान धार्मिक नदियाँ गंगा , यमुना और सरस्वती का संगम होता है जिसे त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है | यहा के स्नान को सबसे पवित्र स्नान की मान्यता प्राप्त है | कहा जाता है की इस संगम के पास किसी की मृत्यु हो जाती है तो जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो मोक्ष को प्राप्त करता है |
प्रयाग में दर्शनीय स्थल और मंदिर
तीर्थराज प्रयाग में बहुत सारे दर्शनीय मंदिर है जिनके दर्शन तीर्थ स्नान करके करने चाहिए |
- नाग वासुकी मंदिर : यह मंदिर संगम के उत्तरी तट पर गंगा किनारे है | वासुकी को नागराज की संज्ञा दी गयी है | यह परम शिव भक्त थे और भगवान शंकर के गले पर लिपटे रहते है | यहा नाग पंचमी के दिन बड़ी धूम धाम से उत्सव मनाया जाता है | नाग वासुकी मंदिर में दर्शन से काल सर्प दोष दूर होता है |
- अलोपी देवी मंदिर : यह एक शक्तिपीठ है जहा माँ सती के रूप में एक लाल कपडे की पूजा अर्चना की जाती है | अलोपी देवी मंदिर में देवी की कोई प्रतिमा नही है |
- तक्षकेश्वर नाथ मंदिर : यह मंदिर भी नाग देवता तक्षक का है | मान्यता है की कृष्ण ने जब तक्षक सर्प का पीछा किया तो उसने इसी जगह आश्रय लिया था |
- हनुमान मंदिर गंगा नदी पर - यहा एक बहुत ही चमत्कारी हनुमान मंदिर है जो गंगा नदी के तट पर बना हुआ है . गंगा नदी में पानी ज्यादा होने पर यह मंदिर जलमग्न हो जाता है . यहा लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति है . यह मूर्ति 20 फीट लम्बी है और जमीन से 10 फीट की गहराई में है . प्रयागराज का यह मुख्य मंदिर है जहाँ हर भक्त हनुमान जी के दर्शन करने आता है .
- अन्य मंदिर : इलाहबाद में दुसरे अन्य मंदिरो में भारद्वाज आश्रम , मनकामेश्वर मंदिर , ललिता मंदिर , पड़ला महादेव आदि मंदिर है |
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सारांश
- तो दोस्तों आपने जाना कि क्यों सबसे बड़ा तीर्थराज कहलाता है प्रयागराज . साथ ही हमने आपको बताया इस स्थान की पौराणिक महिमा और जुड़ी कथाये . यदि आप प्रयागराज घुमने आ रहे है तो यहा कौनसे दर्शनीय और धार्मिक स्थल है इसकी जानकारी भी हमने आपको यहा दी है . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी
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