क्यों शूर्पणखा चाहती थी रावण का वध हो
Shurpankha Chahati Thi Ravan Vadh हम सभी जानते है की शूर्पणखा लंकापति रावण की असुर बहिन थी पर रावण और उसके सहयोगियों के पतन का एक बहुत बड़ा कारण भी यही बनी थी | महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में एक प्रसंग ऐसा आया है जो बताता है की रावण की हार उसकी सगी बहिन शूर्पणखा भी चाहती थी | आइये जाने उस प्रसंग के बारे में की सगी बहिन शूर्पनखा
➜ सबसे पहली रामायण हनुमान जी ने लिखी थी
रावण की बहिन शूर्पणखा का एक और नाम मीनाक्षी था | उसने अपनी बहिन का विवाह कालकेय राजा के सेनापति विद्युतजिव्ह के साथ करवाया | अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए रावण विश्व विजय पर निकला और इस राह में उसने विद्युतजिव्ह का भी वध कर दिया जो की उनके घर का जमाई था |
अपने भाई लंकापति रावण के हाथो अपने सुहाग को उजड़ने के बाद शूर्पणखा अत्यंत दुखी हुई | उसने मन ही मन श्राप दे दिया की रावण का सर्वनाश हो | विधवा होने के बाद शूर्पणखा लंका में ही रहने लगी और किसी अच्छे अवसर की प्रतीक्षा करने लगी |
वनवास के अंतिम सालो में श्री राम , लक्ष्मण और जानकी महाराष्ट्र में नासिक के पास धार्मिक नदी गोदावरी के किनारे बसे पंचवटी में रहते थे . शूर्पनखा को जब इस बात का पता चल गया .
राम के हाथो रावण का वध हो इसके लिए उसने लक्ष्मण को विवाह करने का प्रस्ताव दिया और लक्ष्मण ने क्रोध में आकर उसकी नाक काट दी | यह लहू लुहान नाक दिखा कर उसने अपने भाई रावण को राम लक्ष्मण के विरुद्ध किया और सीता का हरण करवाया | उसे पता था कि ऐसा करने से श्री राम और लक्ष्मण लंका जरुर आयेंगे और सीता को मुक्त करवाने के लिए रावण के साथ युद्ध लड़ेंगे .
जैसा शूर्पनखा ने सोचा था वही हुआ और सीता हरण करके रावण ने अपनी मृत्यु को निमंत्रण दे दिया .
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सारांश
- आपने यहा जाना की कैसे रावण की बहिन की इच्छा और साजिश पर लंकापति रावण का वध श्री राम जी के हाथो हुआ . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी .
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