शनि शनिचरा पर्वत मंदिर मुरैना
Shani Shanichara Mandir Murainna भारत में शनि देव के बहुत सारे भक्त है | कुछ डर कर तो कुछ आस्था से शनि देव की पूजा करते है | भगवान शनि की टेढ़ी चाल से सभी भय खाते है | शनि शिंगणापुर मंदिर की तरह एक और शनि देवता का त्रेतायुग कालीन मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना में स्तिथ है | शनि अमावस्या के उपाय करने बहुत से भक्त आस्था और विश्वास के साथ इस मंदिर में आते है |
आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे शनि शनिचरा मुरैना मंदिर(Shani Shanichara Mandir in Hindi ) का इतिहास और पौराणिक महत्व और साथ ही बताएँगे की यह भारत के शनि देव जी के मंदिरों में कैसे खास है .
शनि शनिचरा पर्वत मंदिर कहाँ है ?
यह मंदिर मध्य प्रदेश में ग्वालियर शहर से 18 किमी की दुरी के पर एंती गाँव में स्थित है | यहा शनि के मूर्ति को हनुमान जी द्वारा लंका से स्थापित किया हुआ माना जाता है | यहा दर्शन से शीघ्र ही मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है | इस मंदिर को सबसे प्राचीन और त्रेताकालीन माना जाता है . यहा शनि देव की प्रतिमा तपस्या में लीन है . अत: यहा संत शनि देव सभी की इच्छाओ को पूर्ण करते है .
कैसे विराजित हुए शनि देव इस मंदिर में
लोगो का मानना है की एक उल्कापिंड टूट कर इस स्थान पर गिरा था जिससे यह प्रतिमा बनी है | आज भी इस जगह वो गहरा से गढ्ढा है |
इस मंदिर में भक्त लगाते है गले :
इस मंदिर की अनोखी परम्परा है जिसमे भक्त अपने आराध्य देव शनि से गले मिलते है | वे अपने दुःख उन्हें बताते है और अपने कष्टों को हरने की विनती करते है | दर्शन करने के बाद वे अपने दुर्भाग्य के रूप में चप्पल , पुराने कपड़े यही छोड़ जाते है | यहा भी तिरुपति में बालो का दान की तरह केश दान किया जाता है |
विक्रमादित्य ने की थी प्राण प्रतिष्ठा :
कहते है कि विन्ध्याचल पर्वत पर स्तिथ इस शनि देव के मंदिर में विराजित प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा स्वयं उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने की थी .
रामायण में हनुमान और शनि देव की पौराणिक कथा
त्रेतायुग में लंकापति रावण ने शनिदेव को भी कैद कर रखा था | जब हनुमान जी माँ सीता की खोज में लंका गये तो उन्होंने शनिदेव को लंका के द्वार पर उल्टा लटका देखा | शनिदेव ने उनसे आजादी मांगी | हनुमान जी ने उन्हें आजाद किया और उन्हें लंका से प्रक्षेपित किया तो शनिदेव इस क्षेत्र में आकर प्रतिष्ठित हो गए। तभी से यह मंदिर त्रेता युग से सम्बन्ध रखता है | जब शनि यहा हनुमान जी द्वारा हवा के मार्ग द्वारा आये तो एक उल्कापात हुआ और यहा यह प्रतिमा बन गयी |
फिर बने लंका विनाश कारण
जाते जाते शनि की टेढ़ी दृष्टि से लंका का विनाश हो गया |
शनि के आने से इस जगह आया प्रचुर लोहा
मुरैना और आस पास के क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में जमीन में लोहा पाया जाता है | स्थानीय लोगो का विश्वास है की यह शनिदेव की कृपा है | शनिदेव का लौहे से घनिष्ठ सम्बन्ध है और शनि को लोहा अत्यंत प्रिय है . यहा भू-गर्भ में लोह अयस्क की प्रधानता है |
चमत्कारी जल का कुंड
इस मंदिर परिसर में एक कुंड है जिसे चमत्कारी माना जाता है . इस कुण्ड में पानी विन्ध्याचल पर्वत के पत्थरो से लगातार आता है . यह कभी सुखा नही रहता है . साथ ही इसका सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि जितनी ज्यादा गर्मी पड़ती है , पानी उठना ही ठंडा हो जाता है .
साथ ही जितनी सर्दी होती है , उतना ही यह पानी गर्म निकलता है . लोग इस कुंड में स्नान करते है , पानी को पीते है और भगवान का अभिषेक करते है .
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Conclusion (निष्कर्ष )
तो दोस्तों आपने शनि शनिचारा मंदिर मुरैना की जानकारी यहा से पाई . आपने जाना कि यह मंदिर कितना पुराना और पौराणिक है . साथ ही कैसे यहा शनि देव जी का साक्षात् वास है . इसके साथ हमने आपको यहा के चमत्कारी कुंड के बारे में भी जानकारी दी .
आशा करता हूँ की आपको यह आर्टिकल ज्ञानवर्धक जरुर लगा होगा .
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