देवताओ के कहने पर सरस्वती ने दिलवाया राम को वनवास

Maa Saraswati Aur Shri Ram Ke Vanvas ki  Kahani हमने पहले एक लेख में आप सभी भागवत प्रेमियों को यह बताया था की विष्णु के अवतार रूप में श्री राम का जन्म और वनवास नारद मुनि के श्राप के कारण हुआ था | पुराणों और धर्म ग्रंथो में जो भी लीलाए रची गयी है उनके पीछे भी देवी देवताओ की महान लीला है |

अब आप सभी यह जानते है की श्री राम जी को वनवास भरत की माँ कैकई ने दिलवाया था पर दरअसल वो तो एक जरिया मात्र था , इस वनवास के पीछे सबसे बड़े हाथ देवताओ और माँ सरस्वती का था . 

सरस्वती माँ ने दिलवाया राम को वनवास

राम का होने वाला था राज्याभिषेक

सूर्यवंशी और अयोध्या नरेश दशरथ के चार पुत्र थे जिसमे से सबसे बड़े थे कौशल्या नंदन श्री राम | उस समय यह परम्परा थी की जयेष्ट पुत्र को ही राज पाठ और शासन का दायित्व दिया जाता था |

भगवान राम के राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थीं। दूसरी तरफ देवताओ को यह चिंता सता रही थी की अगर राम अयोध्या के राजा बन गये तो उनके जन्म के पीछे रावण की मृत्यु का उद्देश्य अपूर्ण रह जायेगा |

bhagwaan shri ram ko vanvas maa saraswati ke karan

देवताओं ने सरस्वती से की विनती

अपनी परेशानी का हल निकालने के लिए सभी देवता देवी ज्ञान और बुद्दी की देवी सरस्वती की शरण में गये और उनसे भरत की माँ रानी कैकेयी की दासी मन्थरा की बुद्धि फेरने की प्रार्थना करने लगे । वे जानते थे की यदि मन्थरा बुद्धि फिर जाएगी तो वो भरत के लिए राज पात की बात मांग कैकई से करवा देगी |

देवताओ की विनती ने माँ सरस्वती धर्म की विजय के लिए ऐसा ही किया और मंथरा के द्वारा भरत को राजा बनाने की बात कैकेयी के माध्यम से दशरथ से करवा दी | साथ ही साथ श्री रामचंद्र के लिए 14 साल का वनवास भी मांग लिया गया |

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सारांश 

  1. तो आपने इस धार्मिक कहानी में पढ़ा कि कैसे देवताओ के कहने पर माँ सरस्वती ने कैकई का सहारा लेकर राम को वनवास दिलाया और रावण का वध तब संभव हुआ  . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी 

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