राम से पहले रावण को इन वीरो ने किया था परास्त
Who defeats Ravana except Ram
हम सभी जानते है की त्रेता युग में सबसे शक्तिशाली राजाओ में से एक था लंकापति रावण | तीनो लोको को वो अपनी बुद्दिमता और ताकत से जीत चूका था . उसके पास अति शक्तिशाली दैत्यों की सेना थी और स्वयं उसका पुत्र इन्द्रजीत स्वर्ग को अकेला जीत चूका था . सभी नव ग्रह शनि देव सहित रावण के गुलाम बन चुके थे . उसकी दुर्गति श्री राम के हाथो होनी थी , इसी कारण उसने माँ सीता का अपहरण कर उसे लंका में कैद रखा |
भगवान शिव का परम भक्त रावण अत्यंत शक्तिशाली योध्या था पर श्री राम से पहले भी वो कुछ महावीरो से परास्त हो चूका था | आइये जाने राम के अलावा किस किस ने रावण को युद्ध में हराया था |
वानरराज बाली
सुग्रीव के भाई वानरराज बाली को यह वरदान प्राप्त था की वो जिससे भी युद्ध करेगा , उसकी आधी शक्ति बाली के पास आ जाएगी | ऐसे ही एक रावण के साथ युद्ध में बाली ने उसे परास्त किया था | उसने छः महीने तक रावण को अपनी बगल में दबा कर रखा | वो एक वानर था और रावण को श्री राम के हाथो ही मरना था , इसलिए उसने रावण की क्षमा प्राथना पर रिहा कर दिया | वह था हैहय वंश का राजा सहस्त्रार्जुन जिसे उसके पिता के नाम अर्थात कार्तेयवीर कहकर भी बुलाया जाता था |
राजा सहस्त्रार्जुन :
रावण को परास्त करने वाले तीसरे योध्या का नाम था हजारो हाथ वाला सहस्त्रार्जुन .
राजा सहस्त्रार्जुन ऐसा महावीर राजा था जिसके हजारो हाथ थे | सहस्त्र संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है हजार | यह महिष्मति नामक राज्य का राजा था और एक बार विश्वविजय की लालसा में रावण इनके राज्य आ पहुंचा | उसने उस राज्य में नदी किनारे शिवलिंग की स्थापना की और पूजा पाठ करने लगा | नदी के दुसरे छोर पर राजा सहस्त्रार्जुन अपनी रानियों के साथ समय बिता रहा था | रानियों के अनुरोध पर उसने अपनी बाजुओ की शक्ति दिखाने के लिए नदी का सम्पूर्ण प्रवाह रोक दिया |
यह देखकर रावण और सहस्त्रबाहु ने भयंकर युद्ध हुआ जिसमे रावण को हार का सामना करना पड़ा | सहस्त्रबाहु ने अपने हजारो हाथो से रावण को जकड़ लिया |
थक हार कर रावण को माफ़ी मांगनी पड़ी और तब जाकर सहस्त्रार्जुन ने उसे रिहा किया |
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भगवान शिव :
रावण शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था पर साथ ही उसे अपने बल पर बहुत हीज्यादा घमंड था . एक बार वो शिवजी मिलने कैलाश पर्वत पर आया और शिवजी के सामने हाथ जोड़ उन्हें पुकारने लगा . शिव जी पूरी तरह ध्यान में मग्न थे . रावण की मंशा थी की वो शिवजी और उनके कैलाश पर्वत को अपने साथ ही लंका ले जाए . इस घमंड भरी सोच में उसने कैलाश को उठाना चाहा .
Photo : Quora.com |
भगवान शिव अपनी तपस्या में ही रावण के घमंड को समझ चुके थे . उन्होंने उसे सबक सिखाने के लिए अपने दांये पैर का अंगूठा थोडा दबा दिया . इसके प्रभाव से कैलाश कई गुना भारी हो गया . रावण का हाथ कैलाश के निचे आ गया और वो दर्द से छटपटाने लगा और शिव जी क्षमा याचना मांगने लगा . उसने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत की उसी समय रचना की .
भोले तो भोले है . उन्होंने रावण को माफ़ कर दिया और रावण कैलाश से अपनी लंका लौट आया .
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पाताल में बच्चो से हारा था रावण :
पृथ्वी पर अपने विजय के झंडे लहराने के बाद रावण ने पाताल लोक की तरफ अपने कदम बढ़ाये. रावण की शक्तियां तो असीम थी पर पाताल लोक में वो ज्यादा कारगर सिद्ध नही हुई . उस समय पाताल लोक में राजा बलि का राज था . रावण जब राजा बलि से युद्ध करने जा रहा था तब उसे रास्ते में कुछ बालक मिले . बालको ने खेल ही खेल में रावण को पकड लिया और उसे घोड़े के अस्तबल में कैद करके रख दिया .
रावण ने अपनी सारी शक्तियां लगा दी पर पाताल में उसकी शक्तियां कुछ नही कर पाई . जब यह बात राजा बलि को पता चली तो उन्होंने रावण को मुक्त किया .
रावण अब समझ चूका था कि यहा के तो बच्चे ही उस पर भारी है तो राजा बलि से युद्ध तो बहुत बड़ी बात हो जाएगी .
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सारांश
- महाशक्तिशाली रावण तीनो लोको में अजेय था पर उसका अंत बाद में श्री राम के हाथो हुआ . श्री राम के अलावा भी धरती पर कुछ ऐसे योध्या थे जिनके सामने पूरी तरह परास्त हुआ था रावण . यहा हमने आपको उन सभी योद्धाओं के नाम बताये जो रावण को हरा चुके थे . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी .
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