नारद के श्राप से विष्णु ने लिया राम अवतार

अपनी करनी का फल सभी को भोगना पड़ता है चाहे वो मनुष्य हो या देवता | आज इस पौराणिक लेख में हम आपको यही बताएँगे की किस तरह भगवान विष्णु को राम का अवतार लेकर सीता मैया से वियोग झेलना पड़ा | यह सब नारद मुनि के श्राप के कारण हुआ |

narad ke shraap ke karan hui ramayan

क्यों नारायण के परम भक्त नारद मुनि ने दिया भगवान विष्णु को श्राप

Ramcharitmanas Me Aayi Katha . एक बार भगवान विष्णु के परम भक्त देवर्षि नारद को अहंकार हो गया की कोई भी उनके ब्रह्मचर्य को भंग नही कर सकता है | यह बात उन्होंने कैलाश पर्वत पर रहने वाले शिवजी को बताई , पर वे जान गये की नारद को अहंकार हो गया है | शिवजी ने उन्हें भगवान विष्णु के पास जाकर यह मत कहना | नारद को तो पूरी तरह घमंड था और वे शिवजी की बात ना मानकर विष्णु भगवान से मिले भी और उसी अंहकार में बाते करने लग गये |

नारद श्राप विष्णु को

भगवान विष्णु नारद के अंहकार को दूर करने के लिए एक लीला रच दिए | नारद जब विष्णु लोक से चले गये तब रस्ते में उन्हें अत्यंत ही सुन्दर राजकुमारी के दर्शन हुए | उस राजकुमारी ने नारद को भी स्वयंवर में आने को आमंत्रित किया | भगवान विष्णु की यह लीला थी जिसमे नारद पूरी तरह से राजकुमारी के रूप में मोहित हो गये थे | वे सपना देखने लगे की उनका विवाह उस राजकुमारी से ही हो | पर उन्हें अपने रूप पर संदेह था |

नारद के कहने पर विष्णु ने दिया उन्हें हरि रूप 

वे खुद भी सौन्दर्यवान बनने के लिए भगवान विष्णु के पास गये और उनसे कहे की हे हरि आप मुझे अपना रूप दे दे | भगवान विष्णु ने अपनी लीला से उन्हें हरि रूप (वानर) बना दिया | इस बात का नारद को पता नही था , वे तो सोच रहे थी की अब वे सबसे सुन्दर व्यक्ति है |

नारद का सभा में उपहास बनना 

नारद मुनि अब उस राजकुमारी के स्वयंवर में चले गये और उन्हें पूर्ण विश्वास था की आज उनका विवाह राजुमारी से हो जायेगा | शिव के दो गण भी वही शामिल थे और नारद के वानर रूप को देखकर जोर जोर से हँसने लगे | नाराज अपने रूप के बारे में अनजान थे | तभी भगवान विष्णु एक सुन्दर राजकुमार के रूप में उस महल में आये | राजकुमारी ने उन्हें पति के रूप में चुना | नारद को शिवगणों ने आईना दिखाया , तब नारद को भगवान विष्णु पर अत्यंत क्रोध आया | उन्होंने उसी समय उन दोनों शिवगणों को अगले जन्म में राक्षस कुल में जन्म का श्राप दे दिया |

विष्णु को नारद का श्राप देना 

वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे और अपने अपमान के लिए उन्हें दोषी मानकर उन्हें भी श्राप दे दिए की जिस तरह वे आज स्त्री वियोग को झेले है उसी तरह वे भी अपने अवतार में स्त्री का वियोग झेलेंगे | उस समय वानर ही आपका साथ देंगे |

इसी श्राप के कारण भगवान विष्णु के सभी अवतारों में से एक श्री राम का अवतार हुआ और फिर सीता हरण के कारण उन्हें अपनी पत्नी से वियोग झेलना पड़ा | वानर रूपी सेना ने सुघ्रीव और हनुमान के साथ मिलकर राम रावण युद्ध में राम जी का साथ दिया . 

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सारांश 

  1.  रामचरितमानस में आये एक प्रसंग के माध्यम से हमने बताया कि कैसे भगवान को भी मजाक उड़ाना भारी पड़ जाता है और तब उन्हें भी उनके भक्त श्राप दे देते है  . ऐसा ही एक मजाक भगवान विष्णु ने एक बार नारद से कर लिया और नारद को बहुत ही शर्मिंदा होना पड़ा . नारद ने तब विष्णु जी को श्राप दिया और पूरी रामायण घट गयी , हनुमान जी को वानर कूल में जन्म लेना पड़ा , राम को सीता का वियोग सहना पड़ा और रावण को मरना पड़ा .  आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी .

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