सीता जयंती पर जाने माँ सीता से जुड़ी १० रोचक बातें 

Mata Sita Se Judi Anokhi Rochak Baate माता सीता जो त्रेता में जन्मे श्री राम जी की पत्नी थी और रावण की मृत्यु का कारण बनी थी . जैसे श्री राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहा जाता है वैसे ही माता सीता भी पतिव्रता और नारी धर्म की एक बहुत बड़ी मिसाल थी .

उत्तम चरित्र की नारी के सभी गुण माता सीता में विद्यमान थे .

आज हम इस आर्टिकल में माता सीता की जयंती पर जानेंगे इनसे जुड़ी कुछ रोचक बाते .

Mata Sita Se judi Rochak baate


माता सीता का जन्म : 

मिथिला (नेपाल में स्थित एक जगह ) के राजा जनक इनके पिता थे . माता सीता को धरती की पुत्री कहा जाता है और इनके जन्म की कहानी बड़ी विचित्र करने वाली है .

एक बार मिथिला में भयंकर सुखा पड़ गया . सूखे के कारण उस क्षेत्र में लोगो की जान पर बन आई , ना पीने को पानी और ना ही खाने को अन्न था . तब अपनी प्रजा की ऐसी दुर्दशा देखकर मिथिला नरेश जनक ने ऋषि मुनियों से उपाय पूछा . 

ऋषियों ने बताया कि वे यज्ञ करे और जमीन पर खुद हल चलाये . राजा जनक ने वही किया और हल चलाते समय जमीन में से उन्हें कन्या के रूप में सीता जी प्राप्ति हुई . 

आज तक यह रहस्य है कि माता सीता को जन्म देने वाले  माता पिता कौन थे ? 

माता सीता थी लक्ष्मी जी का रूप 

जब जब धरती पर पाप बढ़ा है जग के पालनकर्ता श्री विष्णु ने अवतार लेकर इस पाप के बोझ से दबी धरती को फिर से उभारा है .साथ ही कई अवतारों में उनके लक्ष्मी जी भी अवतरित होकर उनके अवतारों की जीवन संगिनी बनी है 

कृष्ण के अवतार में लक्ष्मी जी रुक्मणी तो राम जी के अवतार में वे सीता जी बनकर अवतरित हुई थी . 

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सीता का विवाह राम से : 

राजा जनक के पास एक शिव धनुष था जो बहुत ही शक्तिशाली था , राजा जनक ने सीता से विवाह करने की यही शर्त रखी कि जो व्यक्ति इस धनुष को उठा कर इस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा , सीता का विवाह उसी से होगा . 

अलग अलग राज्यों से सभी राजा महाराजा अपना शक्ति प्रदर्शन करने और सीता को पत्नी रूप में पाने के लिए आये . गुरु वशिष्ट भी दशरथ नंदन श्री राम और लक्ष्मण के साथ उस सभा में आये . 

सभी ने प्रयत्न किया पर वे कोई भी उस धनुष को हिला नही पाए . 

तब अंत में श्री राम गुरु के आदेश पर  आगे बढे और उन्होंने धनुष को हाथ जोड़कर नमन किया और धनुष को ऐसे उठा लिया जैसे वो हलकी सी लकड़ी हो . जब राम उस पर प्रत्यंचा चढाने लगे तो शिव धनुष भंग हो गया और उसकी आवाज तीनो लोको में सुनाई दी . 

इस तरह जनक कुमारी को श्री राम पति के रूप में प्राप्त हो गये . 

 

पति के साथ वनवास  : 

विवाह के कुछ दिन बाद ही जब राम अयोध्या के राजा बनने वाले थे तब माता कैकई ने दशरथ जी से राम के लिए 14 साल का वनवास मांग लिया और अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राज्य . 

राम  अपनी माता और पिता की इच्छा पर ख़ुशी ख़ुशी वनवास जाने के लिए रवाना हो गये , राजकुमारी  सीता  और भाई लक्ष्मण भी श्री राम के साथ वनवास पर निकल पड़े . 

महलो में पली बढ़ी सीता ने अपने पतिव्रत धर्म का पालन किया और अपने पति के हर हाल में साथ देने का अपना वचन निभाया . जब वे सिर्फ 18 साल की थी तब उन्हें वनवास पर जाना पड़ा 

रावण का हरण करना 

वनवास के अंतिम दिनों में नासिक के पास पंचवटी में लंकापति रावण ने सीता का हरण कर  पुष्पक विमान में बैठकर लंका ले आया और अशोक वाटिका में ठहरा दिया .  माता सीता को रावन की लंका में 435 दिन यानी की 15 महीने के करीब रहना पड़ा .

राम का सीता को मुक्त कराना 

जब राम जी ने उन्हें मुक्त करवाया था तब उनकी उम्र 33 साल की थी . रामसेतु का निर्माण करके श्री राम , लक्ष्मण , सुघ्रीव और वानर भालू सेना लंका गयी और रावण , मेघनाथ और कुम्भकर्ण आदि का संहार करके सीता जी को मुक्त करवाया और विभीषण को लंका का राजा बनाकर अयोध्या लौट आये . 

राम के साथ राज अयोध्या में 

अपने भाई की प्रतीक्षा कर रहे भरत ने तब अयोध्या का राज्य अपने भाई श्री राम को दिया और उनके चरणों की सेवा में अपना जीवन लगा दिया . सीता जी राम के साथ अयोध्या में ही रही . 

सीता का मंदिर जनकपुर में 

भारत नेपाल बॉर्डर पर जनकपुर के महल में राजा जनक के घर सीता पली बढ़ी .आज भी यहा माता सीता का महल रूपी मंदिर है . इसी जगह पर सीता जी का स्वयंवर हुआ था और उन्होंने श्री राम को अपने पति रूप में विवाह पंचमी पर पाया था .

धरती की बेटी धरती में समा गयी 

राजा जनक को सीता धरती में से हल जोतते हुए मिली थी . रामायण में हमने देखा है कि अंत में सीता अपनी माँ को पुकारती है और धरती माता फट कर उन्हें अपने अन्दर समा लेती है . 

अब बहुत से लोगो के दिमाग में यह प्रश्न आता है यह जगह कौनसी है जहाँ सीता माता धरती में समा जाती है . 

तो दोस्तों इस जगह को लेकर कई अलग अलग मत है . कोई इसे नैनीताल के पास बताता है तो कोई इसे सीतामडी के पास .. 

सीता जयंती कब मनाई जाती है

सीता जयंती वैशाख मास के शुक्‍ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है . यही वो त्रेता का दिन था जब जनकपुर के राजा को सीतामडी में हल चलाते हुए धरती की गोद से सीता रूपी छोटी कन्या मिली थी . उस कन्या के चेहरे पर इतना तेज था की जनक ने उसे अपनी पुत्री के रूप में पाला और बड़ा किया . 

 भारत और नेपाल में सीता जयंती को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है . भारत की बहु और नेपाल की बेटी सीता इतिहास में अमर है एक पतिव्रतता नारी के रूप में . 

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सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने जाना कि माता सीता से जुड़ी रोचक और हैरान कर देने वाली बाते . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी  

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