नर्मदा जयंती का महत्व और माँ नर्मदा से जुड़ी रोचक बाते
Narmada Jayanti Festival and some important facts about this holy river .
हमारे हिन्दू धर्म में हम नदियों को भी देवी माओ की तरह पूजते है | इनका जल अमृत तुल्य होता है जो हमारे जीवन के लिए अत्यंत जरुरी है | शास्त्रों में भारत की पवित्र नदियों के बारे में विस्तार से महिमा बताई गयी है | नर्मदा नदी की उत्पति कहानी में हमने जाना कि कैसे माँ नर्मदा धरती पर आई थी और तब से लगातार बह रही है .
नर्मदा जयंती हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाया जाता है | नर्मदा नदी के तट पर इसे सनातन प्रेमी बड़ी धूम धाम से इसे मनाते है | इस साल 2023 में 28 जनवरी 2023 शनिवार को यह मनाया गया है | इसे मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के अमरकंटक में मनाया जाता है जिसे नर्मदा का उद्गम स्थल माना जाता है | ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा के तट पर ही स्तिथ है |
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कैसे मनाते है नर्मदा जयंती
इस दिन भक्तगण माँ नर्मदा के तट पर एकत्रित होते है | उसके बाद वे नर्मदा के तट पर स्नान करके इस नदी का गुणगान और जयकारे लगाते है | फिर दीपक पुष्प से माँ नर्मदा की महा आरती उतारते है | फिर नर्मदा के जल से नजदीकी शिवलिंग का अभिषेक करते है | बहुत से भक्त अपने साथ इस नदी के पवित्र जल को अपने घर ले जाते है | संध्या के समय बहुत सारे धार्मिक कार्यक्रम इस नदी के तट पर आयोजित होते है | नर्मदा के घाट को इंद्रधनुष के सात रंगों की तर्ज पर रंगा जाता है .
नर्मदा नदी से जुड़ी रोचक बाते
~ नर्मदा नदी का अवतरण दिवस माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को बताया जाता है . इसे नर्मदा जयंती के रूप में मनाया जाता है .
~ इस नदी का एक एक पाषाण नर्मदेश्वर शिवलिंग के रूप में बिना प्राण-प्रतिष्ठा के पूजित माना गया है |
~ भगवान शिव ने इस नदी को उत्पन्न किया जो कि 12 वर्ष की अति सुन्दर रूपवान कन्या थी | कही कही नर्मदा को पर्वतराज मैखल की पुत्री भी बताया गया है |
~ यह भारत के अन्दर बहने वाली तीसरी सबसे बड़ी नदी है जिसकी लम्बाई 1312 km की है |
~ मैकल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से यह नदी पूर्व से पश्चिम दिशा की तरफ बहती है और खम्भात की खाड़ी (अरब सागर ) मे मिलती है | यह भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो उल्टी बहती है .
~माँ नर्मदा में स्नान कर शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओमकारेश्वर - ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से अक्षय पूण्य की प्राप्ति होती है |
नर्मदा नदी का उद्गम स्थल
मध्य प्रदेश में एक पहाड़ी जगह है अमरकण्टक . यहा के पहाड़ो से पानी झरने के रूप में गिरता है और इसी से नर्मदा नदी का निर्माण होता है . यहा आपको लगेगा कि यह धारा कैसे इतनी विशालकाय नदी का रूप ले लेती है . दोस्तों आगे चल कर यह नदी बहुत बड़ा रूप दूसरी छोटी मोटी नदियों से मिलकर बना लेती है . यहा बनी सड़क के किनारे आपको एक जैसे लम्बे लम्बे पेड़ बहुत सारी संख्या में दिखाई देंगे .
पास ही है नर्मदा मंदिर
यही पास ही आपको सफेद रंग का विशाल मंदिर भी दिखाई देगा जो नर्मदा मंदिर के नाम से जाना जाता है . इस मंदिर के परिसर में आपको बहुत सारे कुंड मिलेंगे जिसमे माँ नर्मदा का पानी भरा हुआ है . यहा आने वाले लोग इन कुण्डो में पवित्र स्थान करते है . यहा आपको अति सुन्दर नर्मदा देवी की प्रतिमा के दर्शन भी होंगे .
यहा सबसे ख़ास है एक गौ मुख जिसमे से लगातार पानी निकलता रहता है . यहा के पंडित बताते है कि यही मुख्य पानी है जिससे नर्मदा नदी का निर्माण होता है .
यहा इस मंदिर परिसर में बहुत सारे शिवलिंग और माँ नर्मदा के दर्शन आपको अलग अलग रूपों में होंगे , एक रूप में माँ नर्मदा एक बड़े से कुंड के बीच में खड़ी है और उनके सामने शिवलिंग है .
हाथी के निचे से निकल गये तो हो जायेगा साष्टांग प्रणाम
नर्मदा मंदिर के परिसर में एक ढाई फीट के हाथी की प्रतिमा है जो ठीक मंदिर के सामने है . यह यहा का एक खास आकर्षण का केंद्र है .कहते है कि इस हाथी की मूर्ति के निचे से कोई लेटा हुआ निकल जाता है तो उसका साष्टांग प्रणाम नर्मदा माई के चरणों में चला जाता है . इसी कारण यहा श्रदालुओ की भीड़ लगी रहती है जो बारी बारी से खुद को अजमाती है .
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