कैसे जन्मी माँ नर्मदा नदी- पौराणिक कहानी 

Birth Story of River Narmada . नर्मदा नदी भारत की एक पौराणिक नदी है . इस नदी का धरती पर अवतरण कैसे हुआ इसके पीछे कई कथाये और कहानियाँ है . इसमे एक कथा बताती है कि नर्मदा नदी का अवतरण शिव जी के पसीने से हुआ था .

जबकि एक अन्य कहानी में यह बताया गया है कि घोर तपस्या करके एक राजा ने शिव जी को प्रसन्न किया और नर्मदा को धरती के लिए मांग लिया .

कैसे जन्मी माँ नर्मदा , जाने अवतरण कथा

नर्मदा नदी का एक अन्य नाम रेवा भी है . पुराणों में इस नदी को रेवा के नाम से ही बताया गया है .

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नर्मदा जन्म से जुडी पहली कथा 

एक बार भोलेनाथ अपनी घोर तपस्या में व्यस्त थे , उनका शरीर अति ग्रीष्म हो चूका था | इसी ग्रीष्मता से उन्हें पसीना आने लगा और उस पसीने से एक नदी प्रकट हुई | यह नदी अत्यंत प्राकृतिक सौन्दर्य की प्रतीक थी | जिसकी सुन्दरता से उमा और शिव अति प्रसन्न हुए |

उन्होंने कहा की यह अति सुन्दर कन्या प्रसन्न करने वाली है अत: इसका नाम आज से नर्मदा होगा .

नर्म का हिंदी अर्थ है ख़ुशी देने वाली और दा का अर्थ है प्रदान करने वाली | अत: नर्मदा का अर्थ हुआ ख़ुशी देने वाली |

देवी नर्मदा माँ


नर्मदा से जुडी दूसरी कथा :

एक अन्य कथा के अनुसार शिव शंकर ने मैखल पर्वत पर एक अति सुन्दर कन्या को अवतरित किया | देवी देवताओ ने उसके रूपवती होने के कारण उसे नर्मदा नाम दिया |

नर्मदा से जुडी तीसरी कथा : 

स्कंद पुराण की कथा के अनुसार एक राजा जिनका नाम था हिरण्यतेजा ने 14000 साल की घोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया . शिव जी ने राजा से कहा कि वे कोई भी वरदान मांग ले . तब राजा ने शिव जी वरदान में नर्मदा नदी को धरती के लिए मांग लिया . शिव ने यह स्वीकार कर लिया और राजा की इच्छा को पूरा किया और नर्मदा नदी मगरमच्छ पर विराजमान होकर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पूर्व से पश्चिम दिशा में बहने लगी |

जहाँ बाकि नदियाँ पश्चिम से पूर्व की तरफ बह कर बंगाल की खादी में गिरती है वही नर्मदा पूर्व से पश्चिम की तरफ उलटी बहती है .

क्यों है नर्मदा का एक एक पत्थर शंकर ?

भगवान शिव जी से जुडी सबसे प्रसिद्ध नदी का नाम नर्मदा है . एक कहानी के अनुसार नर्मदा नदी ने शिव जी की घोर तपस्या हजारो सालो तक की थी . इससे भगवान शिव जी अत्यंत प्रसन्न हुए और नर्मदा को दर्शन दे कर उन्हें वरदान मांगने को कहा .

नर्मदा ने वरदान में शिव जी ने माँगा की वो अमर नदी रहे , कभी उसका जल सूखे नही और साथ ही सभी देवी देवता उनके तटो पर निवास करे . भगवान शिव ने नर्मदा की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और उसे यह भी वरदान दिया कि तुम्हारे कंकर कंकर में शंकर का वास होगा . तुम्हारे पत्थर से नर्मदेश्वर शिवलिंग बनेंगे जो बिना किसी प्राणप्रतिष्ठा के भी पूजनीय होंगे .

यही कारण है कि हिन्दू धर्म में माँ नर्मदा का बहुत बड़ा स्थान है .  

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सारांश 

  1. हिन्दू धर्म में पवित्र नदियों में से एक माँ नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की मुख्य नदी है जो वहा के लोगो को पानी की व्यवस्था करती है . इस नदी के किनारे ओम्कारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग है . यहा हमने इस आर्टिकल में आपको माँ नर्मदा की पौराणिक महिमा बताने वाली कहानी बताई है . माँ नर्मदा के जन्म की अलग अलग कहानियाँ हमें पता चलती है पर कुल मिलाकर सार यही है कि यह नदी शिव शंकर के बहुत करीब है और नर्मदा का कंकर कंकर शंकर रूप है . 

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