कौन होते है अघोरी बाबा , जाने इनसे जुडी रहस्यमई बाते
Know About Aghori Sadhu of India - हिन्दू धर्म में साधुओ का एक अलग ही लेवल है अघोर पंथ . इस पंथ के तामसिक साधुओ को अघोर कहा जाता है . यह तामसिक देवता जैसे भैरव और माँ काली की साधना करने वाले होते है .
अघोरी पंथ में कोई अपना नही कोई पराया नही , किसी में खुशबु नही तो किसी में बदबू नही , किसी भी स्वाद नही तो किसी में बास नही . यानी की सम्पूर्ण संसार ही अपना है और सम्पूर्ण संसार ही पराया है .
भारत के सिद्ध तांत्रिक स्थान जहाँ होते है तंत्र मंत्र
अघोरी बाबा किसकी पूजा करते है ?
- अघोरी बाबा शिव जी के भक्त होते है , उनके लिए सिर्फ शिव ही भगवान है . इनके लिए रिश्ते नाते मोह माया सब झूठ होते है सिर्फ शिव की भक्ति में डूबे रहना इनका काम होता है.
कौन होते है अघोर साधू ?
- हिन्दू धर्म में साधू संतो का एक विशेष पंथ है अघोर साधू . ये दुसरे साधुओ से बिलकुल अलग है . ये तामसिक स्वभाव के होते है .
कैसे करे अघोरी बाबा की पहचान ?
- इनकी वेश भूषा से ही इनकी पहचान हो जाती है . शरीर पर बहुत ही कम कपडे और शमशान की राख से लिपटा शरीर , बिखरे बाल और कानो में बड़े बड़े कुंडल . शरीर पर मुर्दों की कपाल के आभूषण पहनते है . लम्बी लम्बी दाढ़ी मूंछ . शरीर पर रुद्राक्ष के आभूषण . अघोरी कभी भी किसी मोहल्ले में गुस कर भिक्षा नही मांगते है .
- ये तंत्र साधना करते है जो शमशान में की जाती है , इन्हे भूत प्रेतों का कोई डर नही होता .
अघोरी बाबा का खान पानी क्या है ?
- अघोरी बाबा नशा करते है , इनके पास बड़ी बड़ी चिलम और गांजा मिलता है . इसके अलावा यह शराब का भी सेवन करते है . खान पान में ये लाशो को भी खा जाते है . कभी कभी ये लाशो के साथ सम्भोग भी करते है . वे लाशो के बीच रह सकते है . खाने में स्वाद का कोई अहसास नही रखते . सधा गला मांस भी खा लेते है .
अघोरी बाबा कहाँ रहते है ?
- अघोरी बाबा लोगो के बीच ना रहकर अलग थलग रहते है , ज्यादातर इनका वास शमशान के पास ही होता है . हर चार साल में भरने वाले कुम्भ मेले में ये आते है और शाही स्नान करते है . यदि इनकी मुख्य जगहों की बात की जाये तो यह है उज्जैन का विक्रांत भैरव मंदिर , कोलकाता का तारापीठ , गुजरात में जूनागढ़ का गिरनार पर्वत , असम का कामाख्या माता मंदिर , उज्जैन का ही चक्रतीर्थ , काशी के गुप्त स्थान या फिर हिमालय के घने जंगल आदि .
अघोरी पंथ कैसे बना ?
- ऐसा माना जाता है कि काशी शहर से ही अघोरी पंथ की स्थापना हुई थी . यहा बाबा कीनाराम का बहुत बड़ा तीर्थ स्थल है जो अघोरियो के लिए बहुत ही पावन जगह है . अघोरी संत तांत्रिक होते है और वे जब साधनाए करते है तो उनका कई बार सामना भुत प्रेतों से भी हो जाता है . यही कारण है कि वे फिर हमारे बीच नही रहते , इनके सोचने समझने की शक्ति हम लोगो से बिलकुल अलग हो जाती है . अघोर पंथ के लोग अघोरियो में रहते है . और अघोरी समाज से अलग . वे बस समाज से कुम्भ के मेले में ही मिलते है .
अघोर पंथ किस तरह की साधना करता है ?
- अघोरी ज्यादतार तीन तरह की साधनाए करते है , एक शिव साधना , शव साधना और शमशान साधना . ये सभी साधनाए तांत्रिक क्रियाकलापों से जुड़ी हुई है जिसे रात में किया जाता है .
अघोर के लिए हर चीज पवित्र है
- अघोरी लोग उन्हें अपनाते है जिन्हें समाज दूर रहना चाहता है जैसे श्मशान , मुर्दा , भस्म आदि .
Conclusion (निष्कर्ष )
अघोरी साधू कौन होते है और यह कैसे दुसरे साधुओ से अलग होते है . अघोर पंथ क्या है और अघोरी साधू कैसे अपना जीवन बिताते है . इन सभी प्रश्नों का जवाब देने के लिए हमने यह पोस्ट लिखी है जिसमे अघोर पंथ और अघोर साधुओ से जुडी बहुत सी रोचक जानकारियाँ और रहस्मयी बाते जानेंगे .
आशा करता हूँ कि यह पोस्ट भारत के अघोरी तांत्रिक आपको जरुर पसंद आयी होगी .
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