गंगोत्री धाम में दर्शनीय मंदिर स्थल
Gangotri Dham Darshaniya Sthal . गंगोत्री धाम : वह जगह जहा से माँ गंगा का उद्गम शुरू होता है | यह उत्तराखंड राज्य के उत्तर-काशी में स्थित है | यह जगह समुन्द्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर है .
गंगोत्री धाम का पौराणिक महत्व
अद्भुत सौंदर्य प्राकृतिक सुन्दरता का नजारा नयनो में जयजयकार करवाता है | गंगा गौमुख रूपी एक गुफा से ग्लेशियर से निकलती है | इस जगह तो इसे भागीरथी ही कहा जाता है | यहां से निकलकर गंगा जब अलंकनंदा से मिलती है, तो वह गंगा कहलाती है .
पौराणिक मान्यताओं में गंगा के स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने का उल्लेख है।
गंगोत्री मंदिर – गंगोत्री में गंगाजी का भव्य और आस्था से परिपूर्ण मंदिर इस जगह का मुख्य केद्र है। इस मंदिर का निर्माण अमरसिंह थापा ने 19वी सदी में करवाया | मंदिर में एक शीला है जिसके बारे में कहा जाता है की भागीरथ ने इसी जगह पर बैठकर गंगा के धरती पर अवतरण के लिए तप किया था | मंदिर में गंगा और शंकराचार्य की मूर्तियां है।
अन्य दर्शनीय स्थल – गंगोत्री में एक जल में डूबी शिवलिंग रुप में एक शिला है। जिसके पीछे मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने स्वर्ग से उतरी गंगा को अपनी जटा में स्थान दिया था।
नन्दनवन तपोवन : यह गंगोत्री से 6 किमी की दुरी पर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जगह है | पर्वतारोहण के लिए यह जगह उपयुक्त है | यही से 19 किमी की दुरी पर गोमुख जैसी गुफा से गंगा निकलती है |
गौरीकुण्ड और देवघाट भी यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थानों में एक है। गौरीकुंड तक आप वाहन से जा सकते है उसके बाद 14 किमी की दुरी पर केदारनाथ है जहाँ आपको पैदल या खच्चर के द्वारा ही जाना होता है .
मुख्य उत्सव :
गंगोत्री में मुख्य उत्सव माँ गंगा का प्रकट होने वाला दिन है जो ज्येष्ठ माह की दशमी (गंगा दशहरा ) को आता है | इसी दिन भागीरथ के कारण माँ गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था | साथ ही जिस दिन गंगोत्री के कपाट खुलते है उस दिन भी बड़ी धूम धाम से उत्सव मनाया जाता है | यह दिन अप्रैल या मई के महीने में होता है | अक्षय तृतीया के दिन यहा यात्रा शुरू होती है | वही कपाट बंद नवम्बर के आस पास बंद होते है | यही क्रम यमुनोत्री , बद्रीनाथ और केदारनाथ के लिए है |
कैसे पहुंचे गंगोत्री :
गंगोत्री जाने के लिए आपको नजदीकी शहरो में जाना पड़ेगा जो अच्छे से वायुमार्ग , रेलमार्ग और सड़क मार्ग से जुड़े हुए है | इनमे नजदीकी शहर देहरादून ,हरिद्वार और ,ऋषिकेश है | उत्तर के चारो धामो के लिए बस की व्यवस्था भी इन शहरो से है |
गंगोत्री की मुख्य शहरो से दुरी
हरिद्वार से गंगोत्री की दूरी 200 किमी, ऋषिकेश से 177 किमी तथा देहरादून से 212 किमी है। उत्तरकाशी से गंगोत्री की दूरी 100 किमी से कुछ ज्यादा है |
गंगोत्री यात्रा से जुड़े मुख्य प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. गंगोत्री यात्रा कब से कब तक की जाती है ?
उत्तर 1. गंगोत्री यात्रा मुख्य रूप से गर्मियों में अप्रैल से नवम्बर के बीच की जाती है जब बर्फबारी कम हो .
प्रश्न 2. गंगोत्री यात्रा का क्या महत्व है ?
उत्तर 2. गंगोत्री यात्रा उत्तराखंड के चार धाम में से एक है . हिन्दू धर्म में उत्तराखंड के चार धाम को छोटे चार धाम कहा जाता है . यही पर गंगा जी का अवतरण हुआ था और गंगा जी सबसे शुद्ध रूप में यही होती है अत: गंगोत्री दर्शन करने से माँ गंगा की कृपा प्राप्ति होती है .
प्रश्न 3. गंगोत्री धाम से बाकी धाम कितनी दुरी पर है
उत्तर 3 . गंगोत्री धाम से केदारनाथ धाम 31 किमी पर , गंगोत्री से यमुनोत्री 45 किमी पर , गंगोत्री से बद्रीनाथ 60 किमी पर सड़क मार्ग से 400 किमी की दुरी पर है .
सारांश
- यहा अपने जाना उत्तराखंड के एक बहुत ही प्रसिद्ध धाम गंगोत्री के बारे में जहाँ से माँ गंगा का उद्गम होता है और वे आधे भारत से गुजरकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है . यहा हमने आपको गंगोत्री धाम के पौराणिक महत्व और इससे जुड़ी कथा बताई . साथ ही यहा के मुख्य दर्शनीय स्थलों की भी जानकारी दी है .
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